डिजिटल प्रौद्योगिकी: भारत में महिलाएँ और कृषि कार्य

पाठ्यक्रम: GS3/कृषि; विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग

संदर्भ

  • प्रौद्योगिकी में हुई वर्तमान प्रगति महिला किसानों को सशक्त बना रही है और उन्हें कृषि कार्य में अधिक सशक्त आवाज दे रही है।

कृषि में महिलाओं का प्रमुख योगदान

  • कृषि भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, जो कुल कार्यबल के लगभग 54.6% को रोजगार प्रदान करती है (जनगणना 2011), जिसमें महिलाएँ पूर्णकालिक कृषि श्रम शक्ति का लगभग 75% हिस्सा बनाती हैं।
    • ग्रामीण महिलाओं की कार्यबल भागीदारी दर शहरी महिलाओं की 35.31% की भागीदारी दर की तुलना में अत्यधिक (41.8%) है (MoSPI, 2017)। 
  • महिलाएँ कृषि कार्यबल का एक बड़ा हिस्सा हैं, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में, जहाँ 80% महिलाएँ आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर हैं (ICAR डेटा)।
    • भारत में ग्रामीण महिलाओं का कार्य देश के खाद्य उत्पादन के 60-80% के लिए जिम्मेदार है।

महिलाओं के कृषि कार्य में डिजिटल प्रौद्योगिकी की भूमिका

  • डिजिटल उपकरणों के माध्यम से बेहतर निर्णय लेना: मोबाइल आधारित कृषि सलाहकार सेवाएँ (जैसे डिजिटल ग्रीन, विकास के लिए सटीक कृषि) वास्तविक समय के मौसम अपडेट, बाजार मूल्य और कृषि की तकनीकें प्रदान करती हैं।
  •  उत्पादकता में वृद्धि और श्रम भार में कमी: सिंचाई प्रौद्योगिकियाँ (ड्रिप सिंचाई, सौर ऊर्जा से चलने वाले पंप) महिलाओं को जल प्रबंधन पर अधिक स्वायत्तता प्रदान करती हैं, विशेषतः सूखाग्रस्त क्षेत्रों में।
    • जलवायु-प्रतिरोधी कृषि तकनीकें, जिनमें सूखा-प्रतिरोधी बीज और ऊर्ध्वाधर कृषि शामिल हैं, महिलाओं को बदलती जलवायु परिस्थितियों के बावजूद उत्पादकता बनाए रखने की अनुमति प्रदान करती हैं। 
  • बाजार तक पहुँच के लिए मोबाइल-आधारित समाधान: 
    • eNAM (राष्ट्रीय कृषि बाजार): यह महिलाओं को सीधे खरीदारों से जुड़ने की अनुमति प्रदान करता है। 
    • किसान सुविधा और एग्रीमार्केट ऐप मूल्य खोज और मौसम पूर्वानुमान में सहायता करते हैं। 
    • पूसा कृषि उपज में सुधार के लिए विशेषज्ञ कृषि सलाह प्रदान करती है। 
  • महिला किसानों के लिए डिजिटल वित्तीय सेवाएँ: ये महिलाओं को सुरक्षित रूप से भुगतान प्राप्त करने, ऋण लेने और निर्णय लेने में भाग लेने में सक्षम बनाती हैं।
    • आधार-सक्षम भुगतान प्रणाली (AePS)
    • सब्सिडी के लिए प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT)
  • वित्त और ऋण तक पहुँच: प्रधानमंत्री जन धन योजना और स्वयं सहायता समूह (SHG) – महिला किसान सशक्तिकरण परियोजना (MKSP) जैसे बैंक लिंकेज प्लेटफ़ॉर्म जैसी पहलों ने महिलाओं की वित्त तक पहुँच को बेहतर बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
  • AI, IoT और स्मार्ट फ़ार्मिंग तकनीकें:
    • AI-संचालित फ़सल रोग पहचान ऐप जो वास्तविक समय में सतर्कता प्रदान करते हैं।
    • IoT-आधारित स्मार्ट सिंचाई प्रणाली जो जल उपयोग को अनुकूलित करती है और श्रम भार को कम करती है।
    • GPS-निर्देशित उपकरण एवं ड्रोन जैसी सटीक कृषि तकनीकों ने कृषि के संचालन की दक्षता और उत्पादकता को उच्चतम स्तर तक बढ़ाया है।
  • ऑनलाइन प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण: डिजिटल इंडिया पहल और राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) जैसे सरकारी कार्यक्रमों ने ग्रामीण महिलाओं को लक्षित करके डिजिटल साक्षरता कार्यक्रम प्रारंभ किए हैं। ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म जैसे:
    • डिजिटल ग्रीन: महिला किसानों को प्रशिक्षित करने के लिए सहभागी वीडियो का उपयोग करता है।
    • YouTube कृषि चैनल: मुफ़्त कृषि के पाठ प्रदान करते हैं।
  • एम. एस. स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन और विभिन्न सरकारी एजेंसियां ​​आधुनिक कृषि उपकरणों एवं तकनीकों के उपयोग पर प्रशिक्षण प्रदान करती हैं।
  • लिंग-समावेशी कृषि-तकनीक स्टार्टअप: कलगुडी, क्रॉपइन और देहात जैसे स्टार्टअप AI-संचालित कृषि सलाह, मौसम संबंधी सतर्कता और मृदा विश्लेषण प्रदान करते हैं, जिससे महिला किसानों को सशक्त बनाया जाता है।

डिजिटल प्रौद्योगिकियों को अपनाने में चुनौतियाँ

  • सीमित भूमि स्वामित्व: केवल 12.8% परिचालन जोतों का स्वामित्व महिलाओं के पास था, जो कृषि में भूमि स्वामित्व में लैंगिक असमानता को दर्शाता है।
    • इसके अतिरिक्त, सीमांत और छोटी जोतों की श्रेणियों में परिचालन जोतों (25.7%) का संकेंद्रण महिलाओं के पास है। 
  • लैंगिक वेतन अंतर: महिला कृषि श्रमिक अपने पुरुष समकक्षों की तुलना में 20-30% कम अर्जित करते  हैं। 
  • सीमित डिजिटल साक्षरता: कई ग्रामीण महिलाओं में डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म संचालित करने के कौशल की कमी है। 
  • लैंगिक सामाजिक-सांस्कृतिक बाधाएँ: सामाजिक मानदंड महिलाओं की गतिशीलता और स्वतंत्र निर्णय लेने को प्रतिबंधित करते हैं। 
  • वित्तीय बाधाएँ: कुछ महिलाओं के लिए स्मार्टफ़ोन और इंटरनेट का उपयोग महँगा बना हुआ है। 
  • स्थानीयकृत सामग्री की कमी: कई डिजिटल उपकरण अंग्रेजी या हिंदी में हैं, जो क्षेत्रीय भाषा की पहुँच को सीमित करते हैं।

भारत में महिलाओं के लिए डिजिटल कृषि को समर्थन देने वाली पहल

  • डिजिटल कृषि मिशन (2021-2025): यह कृषि में AI, IoT, ब्लॉकचेन और रिमोट सेंसिंग जैसी डिजिटल तकनीकों को बढ़ावा देता है।
    • महिला किसान इस पहल के माध्यम से सटीक कृषि उपकरण, डिजिटल सलाह और वित्तीय सेवाओं तक पहुँच सकती हैं।
  • कृषि में राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस योजना (NeGPA): यह ICT-आधारित समाधानों को एकीकृत करके कृषि के डिजिटल परिवर्तन पर ध्यान केंद्रित करती है।
    • महिला किसानों के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं, जिनमें मोबाइल-आधारित सलाह और डिजिटल बाज़ार पहुँच शामिल हैं।
  • महिला किसान सशक्तिकरण परियोजना (MKSP): राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) का एक उप-घटक, MKSP का उद्देश्य कृषि में महिलाओं को सशक्त बनाना है।
    • महिलाओं को जलवायु-प्रतिरोधी तरीकों और सतत् कृषि में प्रशिक्षित करने के लिए डिजिटल उपकरणों का उपयोग किया जाता है।
  • किसान सुविधा ऐप: मौसम अपडेट, बाज़ार मूल्य और विशेषज्ञ मार्गदर्शन प्रदान करने वाला एक मोबाइल ऐप।
    • यह महिला किसानों को कृषि में सूचित निर्णय लेने में सक्षम बनाता है।
  • PM किसान और प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण: महिला किसानों सहित किसानों के बैंक खातों में सीधे वित्तीय सहायता सुनिश्चित करता है।
    • कृषि क्षेत्र में महिलाओं के लिए वित्तीय स्वतंत्रता और ऋण तक पहुँच को प्रोत्साहित करता है। 
  • एग्री स्टैक: एक डिजिटल डेटाबेस जो किसान-केंद्रित डिजिटल सेवाएँ बनाने में सहायता करता है।
    • महिला किसान इनपुट, वित्त और बाज़ारों के लिए अनुकूलित सहायता प्राप्त कर सकती हैं।

निष्कर्ष

  • कृषि में प्रौद्योगिकी का एकीकरण महिला किसानों के लिए परिदृश्य बदल रहा है, जिससे उन्हें अपने कृषि कार्यों पर अधिक नियंत्रण मिल रहा है और उनकी निर्णय लेने की शक्ति में वृद्धि हो रही है। 
  • डिजिटल उपकरण, सटीक कृषि, वित्तीय सेवाओं, मशीनीकरण और प्रशिक्षण तक पहुँच प्रदान करके, ये प्रौद्योगिकियाँ अधिक समावेशी एवं न्यायसंगत कृषि क्षेत्र का मार्ग प्रशस्त कर रही हैं। 
  • जैसे-जैसे महिलाएँ इन नवाचारों को अपनाना जारी रखेंगी, वे खेती के भविष्य को आकार देने में अधिक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार होंगी।
दैनिक मुख्य परीक्षा अभ्यास प्रश्न
[प्रश्न] चर्चा कीजिए कि कृषि में तकनीकी प्रगति ने महिला किसानों की निर्णय लेने की क्षमता और उत्पादकता को बढ़ाकर उन्हें कैसे सशक्त बनाया है। इन तकनीकों तक उनकी पहुँच में अभी भी कौन सी चुनौतियाँ बाधा बनती हैं, और खेती में समान भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए इन बाधाओं को कैसे दूर किया जा सकता है?

Source: IE