पाठ्यक्रम: GS2/स्वास्थ्य से संबंधित मुद्दे
संदर्भ
- स्वास्थ्य सेवा तक पहुँच में सुधार के प्रयासों के बावजूद, भारत की सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली अभी भी अपर्याप्त वित्तपोषित है तथा इसका समन्वय भी ठीक से नहीं हो पा रहा है, जिसके कारण रोग की रोकथाम, स्वास्थ्य सेवा वितरण और चिकित्सा शिक्षा में अकुशलता बनी हुई है।
भारत की सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली के बारे में
- भारत की सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली सार्वभौमिक स्वास्थ्य सेवा तक पहुँच प्रदान करने के लिए संरचित है, जो निवारक, प्रोत्साहन और उपचारात्मक सेवाओं पर ध्यान केंद्रित करती है।
- यह राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रमों, राज्य-स्तरीय पहलों और स्थानीय स्वास्थ्य सेवा वितरण तंत्रों के माध्यम से संचालित होती है।
- यह भारत में संचारी और गैर-संचारी रोगों के दोहरे बोझ के साथ-साथ महत्त्वपूर्ण स्वास्थ्य असमानताओं के कारण महत्त्वपूर्ण है।
- पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया (PHFI) भारत में एक अग्रणी सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थान है जो इस क्षेत्र में प्रशिक्षण, अनुसंधान और नीति विकास पर कार्य करता है।
स्वास्थ्य एवं भारतीय संविधान की 7वीं अनुसूची – राज्य सूची: सार्वजनिक स्वास्थ्य को प्राथमिक देखभाल और स्वास्थ्य शिक्षा के अंतर्गत वर्गीकृत किया जाता है, जिससे व्यापक नीति निर्माण सीमित हो जाता है। – समवर्ती सूची: दवा सुरक्षा, प्रदूषण नियंत्रण, परिवार नियोजन और खाद्य सुरक्षा राज्य और संघ सरकारों के बीच साझा विधायी नियंत्रण के अंतर्गत आते हैं। – संघ सूची: संगरोध उपाय, अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य विनियम और जनगणना डेटा जैसे महत्त्वपूर्ण मुद्दे केंद्रीय रूप से शासित होते हैं। |
भारत की सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली में प्रमुख चुनौतियाँ
- नीतिगत निष्क्रियता और प्रशासनिक समस्याएँ: सार्वजनिक स्वास्थ्य की जिम्मेदारियाँ विभिन्न सरकारी स्तरों में विभाजित हैं, जैसे स्वास्थ्य मंत्रालय, जल संसाधन मंत्रालय, खाद्य सुरक्षा विभाग और स्थानीय निकाय। इससे समन्वय की कमी और जवाबदेही में अंतर आता है।
- टीकाकरण और रोग नियंत्रण अलग-अलग विभागों द्वारा प्रबंधित किए जाते हैं, जबकि खाद्य सुरक्षा, स्वच्छता और जल प्रबंधन अलग-अलग आयुक्तों के अंतर्गत आते हैं।
- भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद् (ICMR) तंबाकू से जुड़ी बीमारियों से लड़ता है, जबकि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् (ICAR) तंबाकू उत्पादन को बढ़ावा देता है, जिससे नीतिगत समन्वय की कमी स्पष्ट होती है।
- एकीकृत राष्ट्रीय स्वास्थ्य रणनीति के अभाव में राज्यों में असंगत स्वास्थ्य नीतियाँ लागू होती हैं।
कमजोर प्रशिक्षण और शिक्षा मानक
- भारत में सार्वजनिक स्वास्थ्य शिक्षा अक्सर चिकित्सा प्रशिक्षण तक ही सीमित रहती है, जिससे सामाजिक, पर्यावरणीय और व्यवहारगत स्वास्थ्य पहलुओं की अनदेखी होती है।
- मास्टर ऑफ पब्लिक हेल्थ (MPH) कार्यक्रमों में मानकीकृत पाठ्यक्रमों की कमी के कारण सार्वजनिक स्वास्थ्य पेशेवरों की गुणवत्ता प्रभावित होती है।
अपर्याप्त वित्तपोषण और बुनियादी ढाँचे की कमी
- भारत का स्वास्थ्य व्यय वैश्विक मानकों से कम बना हुआ है, जिससे प्राथमिक देखभाल और निवारक स्वास्थ्य सेवाओं में निवेश सीमित रहता है।
- निजी स्वास्थ्य सेवा की वृद्धि ने सार्वजनिक क्षेत्र के विकास को पीछे छोड़ दिया है, जिससे स्वास्थ्य सेवा की पहुँच में असमानता बढ़ गई है।
भारत की सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली के प्रमुख घटक
- आयुष्मान भारत: भारत का प्रमुख सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज कार्यक्रम, जो माध्यमिक और तृतीयक देखभाल के लिए वित्तीय सुरक्षा प्रदान करता है।
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM): यह मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य, संक्रामक रोग नियंत्रण और प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल को मजबूत करने पर केंद्रित है। इसमें स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र (HWCs) शामिल हैं जो निवारक स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार करते हैं।
- स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र (HWCs): निवारक स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने और प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार करने का प्रयास।
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति (2017): यह स्वास्थ्य बुनियादी ढाँचे को सशक्त बनाने, रोग निवारण और सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज के लिए भारत की दृष्टि को रेखांकित करती है।
- इसमें प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा के विस्तार, डिजिटल स्वास्थ्य एकीकरण और कमजोर वर्गों के लिए वित्तीय सुरक्षा पर बल दिया गया है।
- 2025 तक सार्वजनिक स्वास्थ्य खर्च को GDP के 2.5% तक बढ़ाने की सिफारिश की गई थी, और हाल की बजट आवंटन से इस लक्ष्य की दिशा में प्रगति प्रदर्शित होती है।
- सार्वजनिक स्वास्थ्य निगरानी (दृष्टि 2035): यह डेटा-संचालित रोग निगरानी और प्रतिक्रिया रणनीतियों को बढ़ाने का प्रयास करता है।
- महामारी की तैयारी के लिए रीयल-टाइम स्वास्थ्य डेटा संग्रह और भविष्यवाणी विश्लेषण को बढ़ावा देता है।
- स्वास्थ्य प्रणालियों को मजबूत करना: भारत ने गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं को सुनिश्चित करने के लिए भारतीय सार्वजनिक स्वास्थ्य मानक (IPHS) अपनाए हैं।
- इसमें अस्पताल प्रबंधन समितियाँ, कौशल विकास कार्यक्रम और गुणवत्ता आश्वासन तंत्र शामिल हैं।
सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रशासन और नीतिगत ढाँचे
- सार्वजनिक स्वास्थ्य की जिम्मेदारियाँ केंद्र, राज्य और स्थानीय सरकारों के बीच विभाजित हैं, जिससे अतिव्यापी नियम एवं कमजोर समन्वय उत्पन्न होते हैं।
- MoHFW राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीतियों, रोग नियंत्रण कार्यक्रमों और चिकित्सा शिक्षा की देखरेख करता है।
आगे की राह
- सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रशासन को मजबूत करना: राज्य और राष्ट्रीय स्वास्थ्य एजेंसियों के बीच समन्वय में सुधार के लिए एक केंद्रीकृत स्वास्थ्य नीति ढाँचा स्थापित करना।
- सार्वजनिक स्वास्थ्य शिक्षा का विस्तार: चिकित्सा प्रशिक्षण के अतिरिक्त समाजशास्त्र, पर्यावरणीय स्वास्थ्य और नीतिगत विश्लेषण को शामिल करना।
- अंतर-विभागीय समन्वय बढ़ाना: रोग निवारण, स्वच्छता, प्रदूषण नियंत्रण और खाद्य सुरक्षा के प्रयासों को एकीकृत करना।
- स्वास्थ्य देखभाल अवसंरचना में निवेश: प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल और रोग निगरानी पर केंद्रित बजट आवंटन बढ़ाना।
- सार्वजनिक स्वास्थ्य पेशेवरों के प्रशिक्षण कार्यक्रमों को सशक्त बनाना: मानकीकृत पाठ्यक्रम और कौशल विकास सुनिश्चित करना।
- सामुदायिक-आधारित स्वास्थ्य पहल को बढ़ावा देना: स्वास्थ्य योजना और कार्यान्वयन में स्थानीय शासन भागीदारी को प्रोत्साहित करना।
- स्वास्थ्य साक्षरता और निवारक देखभाल अपनाने में सुधार के लिए सार्वजनिक जागरूकता अभियान को मजबूत करना।
निष्कर्ष
- भारत की सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली को प्रणालीगत अक्षमताओं को दूर करने के लिए तत्काल नीतिगत सुधार, बेहतर प्रशिक्षण कार्यक्रम और बढ़ा हुआ वित्तपोषण आवश्यक है।
- प्रशासन को मजबूत करके, बुनियादी ढाँचे में निवेश करके और शिक्षा का विस्तार करके, भारत भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक लोचशील और न्यायसंगत स्वास्थ्य सेवा प्रणाली का निर्माण कर सकता है।
दैनिक मुख्य परीक्षा अभ्यास प्रश्न [प्रश्न] नीतिगत अंतराल और अपर्याप्त प्रशिक्षण भारत की सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली में चुनौतियों में कैसे योगदान करते हैं, तथा अधिक कुशल, न्यायसंगत एवं सतत् स्वास्थ्य सेवा बुनियादी ढाँचे को बनाने के लिए कौन से सुधार आवश्यक हैं? |
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