भारत को सॉवरेन AI मॉडल की आवश्यकता

पाठ्यक्रम: GS3/विज्ञान और प्रौद्योगिकी

संदर्भ

  • यह प्रश्न कि क्या भारत को अपना स्वयं का सॉवरेन, आधारभूत AI मॉडल विकसित करना चाहिए, प्रमुखता प्राप्त कर चुका है, क्योंकि विश्व विभिन्न अनुप्रयोगों के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर तीव्रता से निर्भर हो रहा है।
    • वैश्विक तकनीकी दिग्गजों के AI परिदृश्य पर प्रभुत्वशाली होने के साथ, भारत का अपना AI मॉडल बनाने का विचार महत्वाकांक्षी और रणनीतिक दोनों है।

परिचय

  • जैसे-जैसे कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) आर्थिक और रणनीतिक नीति निर्धारण का केन्द्र बनती जा रही है, राष्ट्र इस परिवर्तनकारी प्रौद्योगिकी में अपना नेतृत्व स्थापित करने की होड़ में लगे हुए हैं।
  • AI फाउंडेशन मॉडल – विशाल डेटासेट पर प्रशिक्षित व्यापक स्तर की AI प्रणालियों – के उदय ने तकनीकी निर्भरता, डेटा सुरक्षा और राष्ट्रीय संप्रभुता के बारे में चिंताएँ बढ़ा दी हैं।
  • यद्यपि संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन जैसे देशों ने अपने स्वयं के संप्रभु AI मॉडल विकसित किए हैं, भारत वर्तमान में OpenAI, गूगल डीपमाइंड और मेटा जैसे विदेशी निगमों द्वारा निर्मित मॉडलों पर निर्भर है।

सॉवरेन AI मॉडल को समझना

  • सॉवरेन AI मॉडल से तात्पर्य किसी देश के अंदर विकसित, प्रशिक्षित और अनुरक्षित AI प्रणाली से है, जिसमें देश के अपने संसाधनों, डेटा एवं बुनियादी ढाँचे का उपयोग किया जाता है।
  • बहुराष्ट्रीय निगमों द्वारा निर्मित AI मॉडल के विपरीत, एक संप्रभु AI मॉडल यह सुनिश्चित करता है कि डेटा, निर्णय लेने की प्रक्रिया और नैतिक विचारों पर नियंत्रण राष्ट्रीय हितधारकों के हाथों में रहे।

भारत को अपने स्वयं के आधारभूत AI मॉडल की आवश्यकता क्यों है?

  • डेटा संप्रभुता और सुरक्षा: AI मॉडल डेटा पर बहुत अधिक निर्भर हैं, और भारत विश्व में डिजिटल डेटा का सबसे बड़ा भंडार सृजित करने वाले देशों में से एक है।
    • विदेशी AI मॉडल पर निर्भरता से डेटा गोपनीयता, सुरक्षा और संभावित दुरुपयोग के बारे में चिंताएँ उत्पन्न होती हैं।
    • एक घरेलू AI मॉडल यह सुनिश्चित करेगा कि भारत का संवेदनशील डेटा – स्वास्थ्य संबंधी रिकॉर्ड से लेकर वित्तीय लेनदेन तक – देश के अंदर ही रहे।
  • विदेशी प्रौद्योगिकी पर निर्भरता कम करना: वर्तमान में, भारत अमेरिकी और चीनी कंपनियों द्वारा निर्मित AI प्रणालियों पर निर्भर है।
    • ये मॉडल अपने-अपने देशों की नीतियों और शासन ढाँचे के अंतर्गत कार्य करते हैं, जिससे भारत की रक्षा, शासन और साइबर सुरक्षा जैसे महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में AI को तैनात करने की क्षमता सीमित हो सकती है।
    • स्वदेशी मॉडल विकसित करने से यह निर्भरता कम होगी और भारत को अपना स्वयं का AI भविष्य तैयार करने में सहायता मिलेगी।
  • भारतीय मूल्यों और भाषाओं के साथ संरेखण: वर्तमान AI मॉडल मुख्य रूप से अंग्रेजी भाषा के डेटासेट और पश्चिमी-केंद्रित दृष्टिकोणों पर प्रशिक्षित होते हैं।
    • एक संप्रभु भारतीय AI मॉडल को क्षेत्रीय भाषाओं और सांस्कृतिक संदर्भों का समर्थन करने के लिए डिज़ाइन किया जा सकता है, जिससे यह भारत की विविध जनसंख्या के लिए अधिक समावेशी बन सके।
    • इससे ग्रामीण और गैर-अंग्रेजी भाषी जनसंख्या में AI को अपनाने में अत्यधिक वृद्धि हो सकती है।
  • नवाचार और आर्थिक विकास को बढ़ावा देना: एक स्वदेशी AI मॉडल भारत में एक समृद्ध AI पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा दे सकता है, जिससे स्टार्टअप, शैक्षणिक संस्थानों और उद्योग सहयोग को प्रोत्साहन मिलेगा।
    • इससे उच्च कौशल वाली रोजगारों का सृजन होगा, निवेश आकर्षित होगा और भारत वैश्विक AI केंद्र के रूप में स्थापित होगा।
  • राष्ट्रीय सुरक्षा और रक्षा अनुप्रयोग: सैन्य अनुप्रयोगों, खुफिया जानकारी एकत्रित करने और साइबर सुरक्षा में AI का उपयोग तेजी से किया जा रहा है।
    • ऐसे क्षेत्रों में विदेश निर्मित AI मॉडल पर निर्भरता राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा उत्पन्न कर सकती है।
    • एक संप्रभु AI मॉडल यह सुनिश्चित करेगा कि भारत का अपनी रक्षा AI प्रणालियों पर पूर्ण नियंत्रण रहेगा।

भारत में आधारभूत AI मॉडल के निर्माण में चुनौतियाँ

  • कम्प्यूटेशनल शक्ति और अवसंरचना: बड़े AI मॉडलों के प्रशिक्षण के लिए बड़े पैमाने पर कंप्यूटिंग संसाधनों की आवश्यकता होती है, जिसमें उच्च प्रदर्शन वाले GPU और TPU शामिल हैं।
    • भारत का वर्तमान सुपरकंप्यूटिंग बुनियादी ढाँचा अमेरिका और चीन जैसे वैश्विक AI महाशक्तियों से पीछे है।
    • एक संप्रभु मॉडल बनाने के लिए, भारत को डेटा सेंटर, AI चिप्स और क्लाउड कंप्यूटिंग में महत्त्वपूर्ण निवेश की आवश्यकता होगी।
  • डेटा की कमी और गुणवत्ता: यद्यपि भारत विशाल मात्रा में डेटा उत्पन्न करता है, लेकिन इसका अधिकांश भाग असंरचित, खंडित है, तथा AI प्रशिक्षण के लिए उचित रूप से लेबल नहीं किया गया है।
    • देश को उच्च गुणवत्ता वाले AI मॉडल विकसित करने के लिए डेटा संग्रह, एनोटेशन और पहुँच में सुधार पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
  • प्रतिभा और विशेषज्ञता: भारत में मजबूत IT कार्यबल है, लेकिन AI अनुसंधान में विशेषज्ञता, विशेष रूप से आधारभूत मॉडलों के प्रशिक्षण में, अभी भी सीमित है।
    • देश को कुशल AI कार्यबल तैयार करने के लिए AI शिक्षा, अनुसंधान संस्थानों और वैश्विक सहयोग में निवेश करने की आवश्यकता है।
  • उच्च लागत और निवेश आवश्यकताएँ: एक संप्रभु AI मॉडल विकसित करने के लिए अरबों डॉलर के वित्तपोषण की आवश्यकता होती है।
    • भारत सरकार को आवश्यक निवेश सुनिश्चित करने के लिए निजी क्षेत्र की कंपनियों, स्टार्टअप्स और शिक्षाविदों के साथ मिलकर कार्य करना चाहिए।
    • गूगल और माइक्रोसॉफ्ट जैसी दिग्गज प्रौद्योगिकी कम्पनियों के विपरीत, भारतीय कम्पनियों के पास व्यापक स्तर पर AI परियोजनाओं को वित्तपोषित करने की वित्तीय क्षमता सीमित है।
  • विनियामक और नैतिक चुनौतियाँ: भारत को यह सुनिश्चित करना होगा कि उसका AI मॉडल निष्पक्षता, पारदर्शिता और जवाबदेही सहित नैतिक AI सिद्धांतों का पालन करे।
    • AI अनुप्रयोगों में दुरुपयोग और पूर्वाग्रह को रोकने के लिए स्पष्ट नियामक ढाँचे स्थापित किए जाने चाहिए।

भारत के पास उपलब्ध विकल्प?

  • महत्त्वपूर्ण आधारभूत मॉडलों में निवेश करना: राष्ट्रीय सुरक्षा, स्वास्थ्य सेवा और शासन जैसे महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों के लिए आधारभूत मॉडलों का निर्माण करना, जबकि कम संवेदनशील क्षेत्रों के लिए वैश्विक मॉडलों पर निर्भर रहना।
    • भारत के अपने आधारभूत मॉडल सांस्कृतिक प्रतिनिधित्व, डेटा संप्रभुता और रणनीतिक स्वायत्तता में अद्वितीय लाभ प्रदान करते हैं।
  • फाउंडेशन मॉडल बिल्डरों के लिए DPI का निर्माण: भारत को डेटासेट, APIs, डेटा लेबलिंग और क्यूरेटिंग के लिए उपकरण, सेवाओं की डिलीवरी के लिए प्लेटफॉर्म, विशिष्ट संदर्भ के लिए फाइन-ट्यूनिंग आदि विकसित करना चाहिए। इसे एक मिशन-मोड कार्यक्रम के रूप में बनाया जाना चाहिए।
    • वाधवानी स्कूल ऑफ डेटा साइंस एंड आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (WSAI) में AI4Bharat केंद्र की पहल दर्शाती है कि एक घरेलू मॉडल भारत की बहुभाषी जनसंख्या की बेहतर सेवा कर सकता है।
    • सर्वम AI ने पहले ही एनवीडिया के सहयोग से भारत का पहला घरेलू लार्ज बहुभाषी भाषा मॉडल सर्वम 1 विकसित कर लिया है।
  • उन्नत AI अनुसंधान और अनुवाद को प्रोत्साहित करना: भारत को भौतिक AI (रोबोट में सन्निहित) के साथ-साथ न्यूरोसिम्बोलिक रीजनिंग (AI के निर्णय लेने को बढ़ाने के लिए नियम-आधारित तर्क) पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।
    • सार्वजनिक-निजी भागीदारी, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और AI अनुसंधान में चरणबद्ध निवेश से जोखिम कम हो सकता है और साथ ही एक मजबूत AI पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा मिल सकता है।
  • राष्ट्रीय AI अवसंरचना का विकास: अपने IndiaAI मिशन के अंतर्गत, सरकार 10,000 से अधिक GPUs, उच्च प्रदर्शन कंप्यूटिंग क्लस्टर, सुरक्षित क्लाउड स्टोरेज और स्केलेबल AI अनुसंधान केंद्रों से युक्त उच्च प्रदर्शन AI कंप्यूटिंग अवसंरचना बनाने की योजना बना रही है।
    • अन्य देश पहले से ही अपनी ‘नेक्स्टजेन AI फैक्ट्रियाँ’ विकसित कर रहे हैं – डेनमार्क अपने गेफियोन सुपरकंप्यूटर के साथ, और जापान अपनी AI ग्रिड पहल के माध्यम से।

आगे की राह: एक सहयोगात्मक दृष्टिकोण

  • सरकार, उद्योग और शिक्षा जगत मिलकर सार्वजनिक-निजी भागीदारी द्वारा समर्थित एक ओपन-सोर्स भारतीय AI मॉडल तैयार कर रहे हैं।
  • भारत वर्तमान विशेषज्ञता का लाभ उठाने के लिए वैश्विक AI अनुसंधान संस्थानों के साथ साझेदारी करता है, साथ ही यह सुनिश्चित करता है कि उसका मॉडल राष्ट्रीय हितों के अनुरूप हो।
  • इसका ध्यान भारत की आवश्यकताओं के अनुरूप AI मॉडल विकसित करने पर है, जैसे कि कृषि, स्वास्थ्य सेवा, शासन और भाषाई विविधता के लिए AI।

निष्कर्ष: एक रणनीतिक आवश्यकता

  • यद्यपि एक संप्रभु AI मॉडल का निर्माण करना महत्त्वपूर्ण चुनौतियाँ प्रस्तुत करता है, यह भारत के लिए एक रणनीतिक आवश्यकता है। AI आर्थिक विकास, राष्ट्रीय सुरक्षा और तकनीकी नवाचार का प्रमुख चालक बनने के लिए तैयार है।
  • भारत को स्वदेशी AI पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने के लिए AI अनुसंधान, बुनियादी ढाँचे और नीति ढाँचे में निवेश करने के लिए निर्णायक रूप से कार्य करना चाहिए।
दैनिक मुख्य परीक्षा अभ्यास प्रश्न
[प्रश्न] भारत द्वारा एक संप्रभु, आधारभूत AI मॉडल के निर्माण के संभावित लाभों और चुनौतियों का विश्लेषण कीजिए। डेटा संप्रभुता, राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धात्मकता, सांस्कृतिक प्रासंगिकता, वित्तीय निवेश एवं तकनीकी विशेषज्ञता जैसे कारकों पर विचार कीजिए।

Source: TH