भविष्य के बंदरगाह को आकार प्रदान करना

पाठ्यक्रम: GS3/अर्थव्यवस्था; बुनियादी ढाँचा

संदर्भ

  • भारत का समुद्री क्षेत्र विझिंजम अंतर्राष्ट्रीय बंदरगाह के हाल के विकास के साथ परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है, जो देश का प्रथम गहरे जल का कंटेनर ट्रांसशिपमेंट बंदरगाह है।
विझिंजम अंतर्राष्ट्रीय बंदरगाह (तिरुवनंतपुरम, केरल)
ऐतिहासिक महत्त्व और विकास
–  प्राचीन समुद्री विरासत:विझिनजम की समुद्री इतिहास पांड्य-चोल युग (1129 ई.) से जुड़ा हुआ है, जब इसे राजेंद्र चोल पट्टिनम के नाम से जाना जाता था।
– इतिहासकारों का मानना है कि पहली शताब्दी के यात्रा वृतांत “द पेरिप्लस ऑफ़ द एरिथ्रियन सी” में वर्णित बालिता बंदरगाह वास्तव में विझिनजम को संदर्भित करता है।
– 1940 के दशक में, त्रावणकोर रियासत ने विझिनजम के संभावित वर्ल्ड-क्लास पोर्ट के रूप में विकास के लिए एक अध्ययन का आदेश दिया।
आधुनिक पुनरुद्धार
–  परियोजना लागत:लगभग ₹8,800 करोड़।
– केरल राज्य सरकार, अदानी पोर्ट्स और केंद्र सरकार ने इस परियोजना में सहयोग किया, जिसमें केंद्र सरकार ने ₹817.8 करोड़ की Viability Gap Funding (VGF) प्रदान की।
विझिनजम बंदरगाह की प्रमुख विशेषताएँ
–  गहरे जल का लाभ:बंदरगाह की प्राकृतिक गहराई 24 मीटर है, जिससे यह अल्ट्रा लार्ज कंटेनर शिप्स (ULCS) को समायोजित कर सकता है।
1. इसमें न्यूनतम ड्रेजिंग की आवश्यकता होती है, जो अन्य भारतीय बंदरगाहों की तुलना में इसे अधिक कुशल बनाता है।
–  तकनीकी प्रगति:भारत का प्रथम अर्ध-स्वचालित बंदरगाह, जिसमें पूरी तरह से स्वचालित यार्ड क्रेन्स और रिमोट ऑपरेटेड शिप-टू-शोर क्रेन्स शामिल हैं।
 – आर्थिक महत्त्व:
1. व्यापार और रोजगार को बढ़ावा: बंदरगाह हर साल लाखों TEUs (ट्वेंटी-फुट इक्विवेलेंट यूनिट्स) संभालने की उम्मीद करता है, जिससे वैश्विक व्यापार में भारत की स्थिति मजबूत होगी।
1.1 केरल और व्यापक दक्षिण एशियाई समुद्री क्षेत्र के लिए नए आर्थिक अवसर उत्पन्न करेगा।
– ट्रांसशिपमेंट लागत में कमी:वर्तमान में भारत के 75% ट्रांसशिपमेंट कार्गो कोलंबो, सिंगापुर और क्लांग जैसे बंदरगाहों पर संभाले जाते हैं।
1.1 विझिनजम भारतीय कार्गो को बनाए रखने की कोशिश कर रहा है, जिससे लागत कम होगी और घरेलू व्यापार को बढ़ावा मिलेगा।
भू-राजनीतिक और रणनीतिक महत्त्व:
1.  यह वैश्विक शिपिंग मार्गों से सिर्फ 10 समुद्री मील की दूरी पर रणनीतिक रूप से स्थित है। 
2. यह यूरोप, फारस की खाड़ी, दक्षिण पूर्व एशिया और सुदूर पूर्व को जोड़ने वाले पूर्व-पश्चिम शिपिंग गलियारे के पास स्थित है। 
1.1 मेडिटेरेनियन शिपिंग कंपनी (MSC) ने पहले ही यूरोप, एशिया और भूमध्य सागर को जोड़ने वाली अपनी जेड और ड्रैगन शिपिंग सेवाओं में विझिंजम को शामिल कर लिया है। 
3. इससे कोलंबो, सिंगापुर और दुबई जैसे ट्रांसशिपमेंट हब पर भारत की निर्भरता में उल्लेखनीय कमी आने की संभावना है। 
4. यह पीएम गति शक्ति और भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे (IMEC) जैसी पहलों के अंतर्गत कनेक्टिविटी को मजबूत करता है।

भारत में बंदरगाह आधारित विकास

भारत की बंदरगाह अर्थव्यवस्था का इतिहास:

  • प्राचीन भारत: लोथल (गुजरात), मुजिरिस (केरल) और अरिकमेडु (तमिलनाडु) इंडो-रोमन, इंडो-ग्रीक और दक्षिण-पूर्व एशियाई व्यापार के जीवंत केंद्र थे।
  • मध्यकालीन भारत: सूरत, कालीकट और मसूलीपट्टनम जैसे बंदरगाह अरबों, फारसियों, चीनी और यूरोपीय लोगों के साथ व्यापार के लिए प्रमुख केंद्र के रूप में उभरे।

वर्तमान स्थिति:

  • भारत में 13 प्रमुख बंदरगाहों और 200 से अधिक गैर-प्रमुख बंदरगाहों के साथ एक विशाल तटरेखा है।
    • प्रमुख बंदरगाह पूरी तरह से भारत सरकार के स्वामित्व में हैं और प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण अधिनियम, 2021 द्वारा शासित हैं। 
    • सभी गैर-प्रमुख बंदरगाह (लघु बंदरगाह) भारतीय बंदरगाह अधिनियम, 1908 के अंतर्गत  शासित हैं।
      • हाल ही में, केंद्र सरकार ने भारतीय बंदरगाह अधिनियम, 1908 में संशोधन करने के लिए भारतीय बंदरगाह विधेयक 2025 पेश किया।
  • कार्गो हैंडलिंग: भारत के EXIM कार्गो का लगभग 95% मात्रा के हिसाब से और 70% मूल्य के हिसाब से है।
    • भारत वैश्विक जहाज निर्माण (2024-25) में शीर्ष 20 देशों में शुमार है।
    • दो भारतीय बंदरगाह, जवाहरलाल नेहरू पोर्ट अथॉरिटी (JNPA) और मुंद्रा पोर्ट, वैश्विक स्तर पर शीर्ष 30 में शामिल हैं।
  • विश्व बैंक का लॉजिस्टिक्स प्रदर्शन सूचकांक (एलपीआई), 2023:
    • अंतर्राष्ट्रीय शिपमेंट श्रेणी में वैश्विक रैंकिंग में 22वां स्थान
    • लॉजिस्टिक्स प्रदर्शन सूचकांक में 38वां स्थान।

भारत के प्रमुख बंदरगाहों की सूची

भारत का पश्चिमी तटभारत का पूर्वी तट
– दीनदयाल बंदरगाह, कांडला (गुजरात)
– मुंबई (महाराष्ट्र)
– जवाहरलाल नेहरू (न्हावा शेवा) (महाराष्ट्र)
– मार्मुगाओ (गोवा)
– न्यू मैंगलोर (कर्नाटक)
– कोचीन (केरल)
– वी.ओ. चिदंबरनार बंदरगाह, तूतीकोरिन (तमिलनाडु)
– चेन्नई (तमिलनाडु)
– कामराजार बंदरगाह, एन्नोर (तमिलनाडु)
– विशाखापत्तनम (आंध्र प्रदेश)
– पारादीप (उड़ीसा)
– श्यामा प्रसाद मुखर्जी बंदरगाह, कोलकाता, हल्दिया (पश्चिम बंगाल)
– पोर्ट ब्लेयर, हैड्डो (अंडमान और निकोबार द्वीप समूह)

सुदृढ़ बंदरगाह अर्थव्यवस्था के लाभ

  • भू-रणनीतिक मूल्य: बंदरगाह भारत के समुद्री प्रभाव को बढ़ाते हैं और क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास (सागर) और प्रोजेक्ट मौसम जैसी पहलों का समर्थन करते हैं।
  • क्षेत्रीय विकास: बंदरगाह-आधारित औद्योगिक क्षेत्र बुनियादी ढाँचे के विकास को उत्प्रेरित करते हैं और आंतरिक क्षेत्रों में निजी निवेश को आकर्षित करते हैं।
  • पर्यावरणीय दक्षता: अच्छी तरह से प्रबंधित बंदरगाह टर्नअराउंड समय में सुधार करके और रेलवे/अंतर्देशीय जलमार्गों में मोडल शिफ्ट की सुविधा प्रदान करके कार्बन उत्सर्जन को कम करते हैं।
    • टर्नअराउंड समय वह समय होता है जो जहाज आगमन से प्रस्थान तक बंदरगाह पर बिताता है।
    • अंतर्देशीय जल परिवहन (IWT) सड़क परिवहन की तुलना में प्रति टन-किमी 50% कम CO₂ उत्सर्जित करता है।
  • रोज़गार सृजन: बंदरगाह प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रसद, भंडारण और सहायक क्षेत्रों में लाखों रोजगारों का समर्थन करते हैं।

चुनौतियां

  • उच्च रसद लागत: भारत की रसद लागत सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 13-14% है, जबकि विकसित अर्थव्यवस्थाओं में यह 8-9% है।
  • विदेशी बंदरगाहों पर निर्भरता: घरेलू गहरे जल की क्षमता की कमी के कारण प्रमुख ट्रांसशिपमेंट गतिविधियाँ विदेशी प्रतिष्ठानों पर निर्भर करती हैं।
    • बंदरगाहों पर भीड़भाड़, प्रक्रियागत अक्षमताएँ और डिजिटलीकरण की कमी के कारण देरी होती है, जिससे वैश्विक प्रतिस्पर्धा कम होती है।
  • पर्यावरण संबंधी चिंताएँ: बंदरगाह निर्माण और ड्रेजिंग से तटीय पारिस्थितिकी तंत्र और समुद्री जैव विविधता को हानि पहुँचता है।

बंदरगाह आधारित विकास को बढ़ावा देने वाली प्रमुख पहल

  • सागरमाला कार्यक्रम (2015): इस कार्यक्रम के अंतर्गत 6.01 लाख करोड़ रुपये की लागत वाली 574 से अधिक परियोजनाओं की पहचान की गई है, जिसमें बंदरगाहों का आधुनिकीकरण, नए बंदरगाहों का विकास और अंतर्देशीय जलमार्गों का विस्तार शामिल है।
  • पीएम गति शक्ति: यह बंदरगाहों, रेलवे, राजमार्गों और वायुमार्गों को एकीकृत करके एक निर्बाध रसद नेटवर्क बनाता है।
    • यह जहाज के टर्नअराउंड समय को कम करने, कार्गो हैंडलिंग दक्षता में सुधार करने और बंदरगाह की क्षमता को दोगुना करने पर केंद्रित है।
  • अमृत काल विजन 2047: यह मैरीटाइम इंडिया विजन 2030 पर आधारित है और इसमें रसद, बुनियादी ढाँचे और शिपिंग में आकांक्षाओं को शामिल किया गया है, जो भारत की ‘ब्लू इकोनॉमी’ का समर्थन करता है।
  • एक राष्ट्र एक बंदरगाह (ONOP) प्रक्रिया: यह बंदरगाह प्रक्रियाओं और दस्तावेज़ीकरण के मानचित्रण और मानकीकरण पर केंद्रित है, और कंटेनर संचालन और बल्क कार्गो दोनों के लिए कागजी कार्रवाई को लगभग 25% तक कम करने का अनुमान है, जिससे रसद लागत में कमी आएगी।

निष्कर्ष

  • विझिंजम में गहरे समुद्र का बंदरगाह, चीन के पहले विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) शेन्ज़ेन के समान आर्थिक तीव्र वृद्धि को उत्पन्न कर सकता है, जिसने शहर को चीन की सिलिकॉन वैली में बदल दिया, बशर्ते कि सरकारें, रियायतग्राही, व्यवसाय और स्थानीय समुदाय एक मजबूत और टिकाऊ निवेश पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के लिए एक साथ काम करना।
दैनिक मुख्य परीक्षा अभ्यास प्रश्न
[प्रश्न] आधुनिक बंदरगाहों के विकास को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारकों पर चर्चा कीजिए। तकनीकी प्रगति, संधारणीय प्रथाएँ और रणनीतिक बुनियादी ढाँचा नियोजन भविष्य के बंदरगाह को आकार देने में कैसे योगदान दे सकते हैं?
 

Recent News

पाठ्यक्रम: GS2/राजव्यवस्था एवं शासन प्रसंग:  भारत में निजी सदस्य विधेयक (Private Member's Bill) प्रणाली, जो प्रगतिशील कानूनों को प्रस्तुत करने की क्षमता रखती है, वर्षों से धीरे-धीरे कमजोर होती गई है। इसका कारण लगातार व्यवधान, स्थगन और सरकारी कार्यों को प्राथमिकता देना है। भारत की विधायी प्रक्रिया के बारे में:...
Read More

पाठ्यक्रम: GS2/ कार्यपालिका और न्यायपालिका की संरचना, संगठन एवं कार्यप्रणाली संदर्भ हाल ही में, टाटा ट्रस्ट्स द्वारा अन्य संगठनों के सहयोग से इंडिया जस्टिस रिपोर्ट (IJR) 2025 जारी की गई, जिसमें इस बात पर बल दिया गया है कि किस प्रकार विलंब, अत्यधिक भीड़ और जवाबदेही की कमी ने लाखों...
Read More

पाठ्यक्रम: GS3/पर्यावरण प्रदूषण एवं क्षरण; संरक्षण संदर्भ भारत को अपशिष्ट प्रबंधन में बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है, जिसमें प्लास्टिक प्रदूषण और अप्रसंस्कृत ठोस अपशिष्ट शामिल हैं। इस संकट के समाधान के लिए न्यायिक हस्तक्षेप की आवश्यकता है। भारत में ठोस अपशिष्ट भारत प्रतिदिन 170,000 टन नगरपालिका ठोस...
Read More

पाठ्यक्रम: GS2/भारतीय राजव्यवस्था एवं शासन संदर्भ लोकसभा के उपाध्यक्ष का पद, जो एक महत्त्वपूर्ण संवैधानिक संस्था है, 2019 में 17वीं लोकसभा के गठन के बाद से रिक्त पड़ा है। यह लम्बे समय से रिक्त पद संवैधानिक भावना का उल्लंघन करता है, संस्थागत संतुलन को बाधित करता है, तथा संसदीय लोकतंत्र...
Read More

पाठ्यक्रम: GS1/गरीबी और विकासात्मक मुद्दे; GS3/अर्थव्यवस्था संदर्भ हाल ही में, विश्व बैंक द्वारा जारी भारत पर गरीबी और समानता संबंधी संक्षिप्त रिपोर्ट भारत के सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य की एक जटिल तस्वीर प्रस्तुत करती है, तथा व्यापक आर्थिक असमानता और सामाजिक-आर्थिक प्रवृत्तियों को पकड़ने में आँकड़ों की विश्वसनीयता के बारे में प्रश्न...
Read More