पाठ्यक्रम: GS3/रक्षा एवं सुरक्षा
संदर्भ
- यूक्रेन द्वारा ऑपरेशन स्पाइडरवेब के अंतर्गत किए गए असमान्य (Asymmetric) हमले, जिसमें रूसी हवाई अड्डों पर लंबी दूरी के ड्रोन हमले शामिल थे, ने व्यापक ध्यान आकर्षित किया और आधुनिक वॉरफेयर के महत्त्वपूर्ण सबक सिखाए।
यूक्रेन का असमान्य हमला
- रणनीतिक लक्ष्यीकरण: यूक्रेन के ड्रोन हमलों ने 40 से अधिक रूसी युद्धक विमानों को क्षतिग्रस्त या नष्ट कर दिया, जिसमें दूरस्थ क्षेत्रों में तैनात विमान भी शामिल हैं।
- यह उच्च-मूल्य वाली संपत्तियों पर सटीक हमलों की प्रभावशीलता को दर्शाता है।
- मनोवैज्ञानिक प्रभाव: इस हमले ने सामग्रीगत हानि पहुँचाने के साथ-साथ रूसी वायु प्रभुत्व को कमजोर किया, जिससे तैनाती रणनीतियों में बदलाव करने के लिए मजबूर किया।
- भविष्य के संघर्षों के लिए सबक: यह हमला अनमैन्ड एरियल सिस्टम्स (UAS) की बढ़ती भूमिका को रेखांकित करता है और मजबूत वायु रक्षा तंत्र की आवश्यकता पर बल देता है।
आधुनिक, हाइब्रिड और असमान्य वॉरफेयर के बारे में
- आधुनिक वॉरफेयर अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी, साइबर क्षमताओं और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) को सैन्य अभियानों को बढ़ाने के लिए एकीकृत करता है।
- राष्ट्र अब तेजी से ड्रोन, हाइपरसोनिक मिसाइलों और इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर पर निर्भर हो रहे हैं ताकि शत्रु की रक्षा को बाधित किया जा सके।
- हाइब्रिड वॉरफेयर गैर-रेखीय और अप्रत्याशित होता है और इसका उद्देश्य सीधे सैन्य टकराव के बिना विरोधियों को अस्थिर करना होता है।
- इसमें पारंपरिक सैन्य संचालन (Kinetic Tactics) और गैर-सैन्य रणनीतियाँ (Non-Kinetic Tactics) शामिल होती हैं, जैसे साइबर युद्ध, गलत सूचना अभियान, आर्थिक दबाव, और प्रॉक्सी संघर्ष।
- असमान्य युद्ध तब होता है जब एक कमज़ोर सेना पारंपरिक रणनीति की बजाय असामान्य तरीकों का उपयोग करके मजबूत प्रतिद्वंद्वी का मुकाबला करती है।
- इसमें गुरिल्ला वॉरफेयर , साइबर हमले और ड्रोन स्ट्राइक शामिल हैं।
- रूस-यूक्रेन युद्ध एक प्रमुख उदाहरण है, जहाँ साइबर हमले, ड्रोन युद्ध और आर्थिक प्रतिबंध प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं।
इन युद्ध रणनीतियों के उदय और बढ़ती प्रमुखता के कारण
- रणनीतिक लाभ और पहचान से बचाव: हाइब्रिड और असमान्य दृष्टिकोण बिना युद्ध की औपचारिक घोषणा के राजनीतिक, सैन्य और आर्थिक उद्देश्यों को पूरा करने में मदद करते हैं।
- लागत प्रभावशीलता: ये तरीके पारंपरिक सैन्य बलों को तैनात करने की तुलना में कम खर्चीले और कम जटिल होते हैं।
- तकनीकी प्रगति: कम लागत वाले, उच्च-तकनीक हथियार (जैसे ड्रोन, सटीक निर्देशित मिसाइलें) अब गैर-राज्य संस्थाओं के लिए भी उपलब्ध हो रहे हैं, जिससे संभावनाएँ बढ़ रही हैं।
- गैर-राज्य अभिकर्त्ताओं और प्रॉक्सी युद्ध का उदय: शीत युद्ध के पश्चात् , शक्तिशाली गैर-राज्य संगठनों (आतंकी समूह, विद्रोही संगठन, निजी सैन्य कंपनियाँ) का विस्तार हुआ, जो सीमाओं के पार गठजोड़ कर सकते हैं।
- जानकारी एक नया हथियार: भ्रामक अभियानों, मीम युद्ध और झूठी कहानियों के माध्यम से लोकतंत्र को अस्थिर किया जा सकता है।
हाइब्रिड और असमान्य युद्ध: भारत के लिए खतरे
- सीमा पार आतंकवाद और प्रॉक्सी युद्ध: भारत को पाकिस्तान द्वारा लगातार असमान्य युद्ध के खतरे का सामना करना पड़ता है, जो लश्कर-ए-तैयबा (LeT) और जैश-ए-मोहम्मद (JeM) जैसे समूहों को सक्रिय रूप से समर्थन देता है।
- सूचना युद्ध और मनोवैज्ञानिक अभियान: भारत के सामाजिक संरचना को कमजोर करने के लिए गलत सूचना अभियानों का उपयोग किया जाता है, जो सोशल मीडिया के माध्यम से तेजी से फैलते हैं।
- महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे पर साइबर हमले:भारत की डिजिटल अवसंरचना तेजी से साइबर हमलों के खतरे में है। उदाहरण:
- 2019 में कुडनकुलम परमाणु संयंत्र में मैलवेयर अटैक।
- 2020 में मुंबई पावर ग्रिड पर साइबर हमला, जिसे संभावित चीनी साइबर ऑपरेशन से जोड़ा गया।
- आर्थिक युद्ध और आपूर्ति शृंखला की संवेदनशीलता:भारत की आर्थिक निर्भरता, विशेष रूप से चीन पर, रणनीतिक दबाव के लिए खतरा उत्पन्न करती है।
- भारतीय दवाओं के 80% सक्रिय फार्मास्युटिकल सामग्री (APIs) चीन से आती हैं, जिससे भू-राजनीतिक तनाव के दौरान एक चोकपॉइंट बनता है।
- चीन की ग्रे-ज़ोन रणनीति और क्षेत्रीय अतिक्रमण: चीन ने “ग्रे-ज़ोन युद्ध” को विशेषज्ञता से अपनाया है, जहाँ उसकी गतिविधियाँ सीधे युद्ध को भड़काए बिना भू-राजनीतिक स्थिति को बदलने का प्रयास करती हैं।
- डिजिटल जासूसी और निगरानी खतरे: भारत के नेतृत्व, संस्थानों और रणनीतिक संपत्तियों को डिजिटल निगरानी का लक्ष्य बनाया गया है।
आधुनिक, असमान्य और हाइब्रिड युद्ध के लिए भारत की तैयारी
- तकनीक का एकीकरण:
- भारत बहु-डोमेन ऑपरेशंस (Multi-Domain Operations) को पहचानता है, जिसमें AI-संचालित निगरानी, साइबर रक्षा और अनमैन्ड एरियल सिस्टम्स को एकीकृत किया गया है।
- आकाशतीर वायु रक्षा प्रणाली एक महत्त्वपूर्ण संपत्ति के रूप में उभरी है, जो वास्तविक समय में खतरे का पता लगाने और स्वचालित प्रतिक्रिया प्रदान करती है।
- असामान्य रणनीतियों का उपयोग:
- DRDO यंग साइंटिस्ट लैब – असिमेट्रिक टेक्नोलॉजीज (DYSL-AT) AI-संचालित स्वार्म एल्गोरिदम और अनमैन्ड एरियल व्हीकल्स पर शोध कर रही है।
- बहु-आयामी खतरों का समाधान:
- भारत ने गैर-सैन्य युद्ध की बढ़ती जटिलता को स्वीकार किया है, और रक्षा तैयारियों का अध्ययन करने के लिए संसदीय समितियाँ सक्रिय हैं।
- हाइब्रिड खतरों का मुकाबला करने के लिए समन्वित सुरक्षा ढाँचे पर बल दिया गया है।
निष्कर्ष
- आधुनिक, असमान्य और हाइब्रिड युद्ध पारंपरिक लड़ाई को पुनर्परिभाषित कर रहे हैं, जिससे संघर्ष अधिक जटिल और अप्रत्याशित हो रहे हैं।
- भारत को नवाचार, अनुकूलन और रणनीतिक सहयोग को प्राथमिकता देनी होगी ताकि उभरते खतरों से आगे बना रह सके।
- भारत की तकनीकी प्रगति और रणनीतिक तैयारी इसे इन चुनौतियों के प्रति मजबूत बनाए रखती है।
दैनिक मुख्य परीक्षा अभ्यास प्रश्न [प्रश्न] भारत अपनी तकनीकी प्रगति, सैन्य रणनीतियों और भू-राजनीतिक चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए आधुनिक, विषम और हाइब्रिड वॉरफेयर के उभरते परिदृश्य को कितनी प्रभावी तरीके से अपना रहा है? |
Previous article
क्या भारत विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है?
Next article
नीति आयोग और भारत में सशक्त होता संघवाद