पाठ्यक्रम: GS1/ सामाजिक मुद्दे, GS2/ शासन, कल्याणकारी योजनाएं, ई-गवर्नेंस
संदर्भ
- यह संपादकीय भारत में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (MWCD) के विभिन्न कार्यक्रमों के एकीकरण और सशक्तिकरण में प्रौद्योगिकी की महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर करता है।
- यह डिजिटल परिवर्तन सरकार की “डिजिटली सशक्त भारत” की दृष्टि और “विकसित भारत@2047” के व्यापक लक्ष्य के अनुरूप है।
परिवर्तन के प्रमुख आयाम
- डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना और रीयल-टाइम शासन:
- पोषण ट्रैकर वास्तविक समय में डेटा प्रविष्टि, प्रदर्शन निगरानी और साक्ष्य-आधारित नीति हस्तक्षेप को सक्षम बनाता है, जिससे आंगनवाड़ी केंद्रों में रिकॉर्ड-रखने की प्रक्रिया सुव्यवस्थित होती है और मैनुअल त्रुटियाँ कम होती हैं।
- आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को स्मार्टफोन और डिजिटल उपकरणों का प्रशिक्षण प्रदान किया गया है, जिससे सेवाओं की अंतिम छोर तक डिलीवरी और निगरानी सुनिश्चित होती है।
- आंगनवाड़ी केंद्रों का आधुनिकीकरण:
- सक्षम आंगनवाड़ी पहल के अंतर्गत 2 लाख से अधिक केंद्रों को स्मार्ट अवसंरचना और डिजिटल उपकरणों से सुसज्जित किया जा रहा है, जिससे पोषण, स्वास्थ्य देखभाल और पूर्व-प्राथमिक शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार हो रहा है।
- लक्षित कल्याण और वित्तीय समावेशन:
- प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (PMMVY) पूरी तरह से डिजिटल, आधार-आधारित पंजीकरण और लाभ हस्तांतरण प्रणाली का उपयोग करती है, जिससे पारदर्शिता सुनिश्चित होती है और रिसाव में कमी आती है।
- पूरक पोषण कार्यक्रम में चेहरे की पहचान तकनीक का उपयोग अपात्र लाभार्थियों को सहायता मिलने की संभावना को और कम करता है।
- महिलाओं की सुरक्षा और कानूनी सशक्तिकरण:
- SHe-Box पोर्टल कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की शिकायत दर्ज करने और ट्रैक करने के लिए एक एकल-विंडो ऑनलाइन मंच प्रदान करता है, जिससे समय पर निवारण सुनिश्चित होता है।
- मिशन शक्ति डैशबोर्ड और ऐप संकट में महिलाओं को निकटतम सहायता केंद्र से जोड़ते हैं, जिससे सहायता एकीकृत होती है और प्रतिक्रिया समय में सुधार होता है।
- बाल संरक्षण और गोद लेने की प्रणाली:
- CARINGS पोर्टल गोद लेने की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित और डिजिटाइज़ करता है, जिससे यह अधिक पारदर्शी और सुलभ बनती है।
- मिशन वात्सल्य डैशबोर्ड और राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा विकसित प्लेटफ़ॉर्म बाल देखभाल संस्थानों और अधिकार उल्लंघनों की बेहतर निगरानी को सक्षम बनाते हैं।
- महत्वपूर्ण परिणाम:
- जन्म के समय लिंगानुपात 918 (2014-15) से बढ़कर 930 (2023-24) हो गया है।
- मातृ मृत्यु दर 130 (2014-16) से घटकर 97 प्रति 1,000 जन्म (2018-20) हो गई है।
- 10.14 करोड़ से अधिक लाभार्थी (गर्भवती महिलाएं, स्तनपान कराने वाली माताएं, छह वर्ष से कम आयु के बच्चे, किशोरियाँ) पोषण ट्रैकर पर पंजीकृत हैं।
सुदृढ़ पक्ष
- पारदर्शिता और जवाबदेही: डिजिटल प्रणालियाँ डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर और रीयल-टाइम निगरानी के माध्यम से भ्रष्टाचार एवं रिसाव को कम करती हैं।
- समावेशिता: प्रौद्योगिकी शहरी-ग्रामीण अंतर को समाप्त करती है, जिससे दूरस्थ जनसंख्या तक भी सरकारी सेवाएं पहुँचती हैं।
- सशक्तिकरण: महिलाएं और बच्चे केवल लाभार्थी नहीं, बल्कि संभावित नेता और परिवर्तनकर्ता के रूप में उभरते हैं।
चुनौतियाँ
- डिजिटल साक्षरता: वरिष्ठ आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को नई तकनीक अपनाने में कठिनाई हो सकती है, वे पारंपरिक रिकॉर्ड-रखने के तरीकों को प्राथमिकता देती हैं।
- भाषा अवरोध: सॉफ़्टवेयर इंटरफेस अक्सर डिफ़ॉल्ट रूप से अंग्रेज़ी में होते हैं, जो सभी फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं के लिए सुलभ नहीं होते।
- तकनीकी सीमाएँ: पोषण ट्रैकर में ऑटो-अपडेट या डिलीट विकल्पों की कमी डेटा की सटीकता और सुधार में बाधा बन सकती है।
- अवसंरचना की कमी: कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में विश्वसनीय इंटरनेट और बिजली की उपलब्धता अब भी असंगत है।
आगे की राह
- क्षमता निर्माण: स्थानीय भाषाओं में आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के लिए निरंतर प्रशिक्षण।
- उपयोगकर्ता-केंद्रित डिज़ाइन: डिजिटल उपकरणों को अधिक सहज और क्षेत्रीय रूप से अनुकूल बनाने के लिए अनुकूलन।
- अवसंरचना निवेश: ग्रामीण क्षेत्रों में मजबूत डिजिटल और भौतिक अवसंरचना सुनिश्चित करना।
- प्रतिक्रिया तंत्र: बुनियादी स्तर से प्राप्त उपयोगकर्ता प्रतिक्रिया के आधार पर डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म को नियमित रूप से अपडेट करना।
दैनिक मुख्य परीक्षा अभ्यास प्रश्न [प्रश्न] चर्चा करें कि महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के कार्यक्रमों में डिजिटल प्रौद्योगिकी के एकीकरण ने भारत में महिलाओं और बच्चों के लिए सेवा वितरण तथा सशक्तिकरण परिणामों को कैसे परिवर्तित कर दिया है। |
Source: TH
Previous article
भारत-यूरोप संबंध प्रगाढ़ होते जा रहे हैं
Next article
वैश्विक विकास वित्त का पुनर्निर्धारण