पाठ्यक्रम: GS2/ ई-शासन
संदर्भ
- भारत के संचार मंत्री ने इंडिया मोबाइल कांग्रेस (IMC) 2025 में घोषणा की कि वित्तीय वर्ष 2026 के अंत तक भारत का इंटरनेट उपयोगकर्त्ता आधार 1 अरब तक पहुँच जाएगा। IMC 2025 की थीम “परिवर्तन के लिए नवाचार” रखी गई है।
भारत के दूरसंचार और इंटरनेट क्षेत्र की वृद्धि
- इंटरनेट प्रसार में वृद्धि: भारत में इंटरनेट उपयोगकर्त्ताओं की संख्या 2014 में 250 मिलियन से बढ़कर 974 मिलियन हो गई है, जो एक दशक में लगभग चार गुना बढ़ी है।
- ब्रॉडबैंड ग्राहक: >2 Mbps की गति वाले ग्राहक 2014 में 66 मिलियन से बढ़कर 940 मिलियन हो गए।
- मोबाइल बाज़ार: दूरसंचार ग्राहकों की संख्या 1 अरब से बढ़कर 1.2 अरब हो गई।
- सुलभता: कॉल दरें ₹0.50/मिनट से घटकर ₹0.003/मिनट हो गई हैं।
- डेटा मूल्य में भारी गिरावट: भारत में डेटा दरें ₹287/GB से घटकर ₹9/GB हो गई हैं, जिससे यह विश्व में सबसे सस्ती बन गई है (11 सेंट/GB, वैश्विक औसत $2.49)।
भारत सरकार की प्रमुख नीतिगत पहलें
- प्रधानमंत्री WiFi एक्सेस नेटवर्क इंटरफेस (PM-WANI):
- दूरसंचार विभाग द्वारा 2020 में प्रारंभ की गई योजना।
- सार्वजनिक WiFi हॉटस्पॉट बढ़ाने हेतु डिजिटल संचार अवसंरचना का विस्तार, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में।
- भारतनेट परियोजना:
- चरण I: 2.14 लाख ग्राम पंचायतों को 7 लाख किलोमीटर ऑप्टिकल फाइबर से जोड़ा।
- चरण II: शेष 2.64 लाख ग्राम पंचायतों को जोड़ने का लक्ष्य, जिससे कुल 3.8 लाख गाँवों को कनेक्टिविटी मिलेगी।
- निवेश: ₹1.39 लाख करोड़ ($16.9 बिलियन) – विश्व का सबसे बड़ा सार्वजनिक क्षेत्र कनेक्टिविटी कार्यक्रम।
- तकनीकी उन्नयन:
- GPON की जगह MPLS राउटर (बेहतर रिडंडेंसी)।
- लीनियर से रिंग टोपोलॉजी में बदलाव (अवरुद्ध सेवा से बचाव)।
- 10-वर्षीय रखरखाव को अनिवार्य किया गया।
- केंद्रीय नेटवर्क ऑपरेटिंग सेंटर की स्थापना।
- दूरसंचार निर्माण और निर्यात:
- मोबाइल आयात 80% से घटकर ₹1.75 लाख करोड़ के फोन निर्यात तक पहुँच गया।
- उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजना ने ₹4,000 करोड़ के निवेश आकर्षित किए, ₹16,000 करोड़ के निर्यात को सुविधाजनक बनाया और लगभग 25,000 रोजगार सृजित हुए।
- भारत 6G गठबंधन:
- घरेलू उद्योग, शिक्षा क्षेत्र, अनुसंधान संस्थानों और मानक संगठनों का सहयोग।
- राष्ट्रीय 6G कार्य योजना बनाने का लक्ष्य, जिससे भारत आगामी दशकों में तकनीकी नवाचार में अग्रणी बना रहे।
महत्त्व
- डिजिटल शासन की आधारशिला: ई-गवर्नेंस, टेलीमेडिसिन और ऑनलाइन शिक्षा जैसी सेवाओं को ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुँचाना।
- समावेशी विकास: ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों के डिजिटल रूप से पिछड़े लोगों को सशक्त बनाना।
- वैश्विक नेतृत्व: भारत की टेलीकॉम सुलभता और पैमाना इसे विकासशील देशों के लिए एक मॉडल बनाते हैं।
- आर्थिक बहुगुणक प्रभाव: इंटरनेट और दूरसंचार विस्तार से उत्पादकता, नवाचार और निवेश में वृद्धि।
चुनौतियाँ
- अंतिम-मील कनेक्टिविटी: कठिन भूभाग, कम वहन क्षमता और डिजिटल कौशल की कमी दूरस्थ क्षेत्रों में पहुँच को बाधित करती है।
- डेटा गोपनीयता और साइबर सुरक्षा: सुदृढ़ कानून और सार्वजनिक जागरूकता की आवश्यकता।
- सेवा की गुणवत्ता: व्यापक नेटवर्क कवरेज के बावजूद इंटरनेट की गति और विश्वसनीयता असमान बनी हुई है।
- कौशल विकास: डिजिटल साक्षरता और प्रशिक्षण कार्यक्रमों द्वारा डिजिटल पहुँच को समर्थन देने की आवश्यकता।
निष्कर्ष
- भारत के लगभग 1 अरब इंटरनेट उपयोगकर्त्ता डिजिटल सशक्तिकरण में एक क्रांतिकारी बदलाव दर्शाते हैं। भारतनेट और PLI जैसी नीतियों के सहयोग से देश न केवल अपने नागरिकों को जोड़ रहा है, बल्कि वैश्विक डिजिटल भविष्य का नेतृत्व करने की आकांक्षा भी रखता है।
Source: TH