पाठ्यक्रम: GS3/साइबर सुरक्षा
संदर्भ
- भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) द्वारा किए गए अनुमान के अनुसार, साइबर धोखाधड़ी के कारण भारतीयों को अगले वर्ष 1.2 लाख करोड़ रुपये (देश के सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 0.7%) से अधिक की हानि होने की संभावना है।
बैंकिंग लेन-देन में साइबर धोखाधड़ी में वृद्धि
- वित्त वर्ष 2024 में, भारत में बैंकिंग लेनदेन से संबंधित साइबर धोखाधड़ी में नाटकीय वृद्धि देखी गई, जिसमें पिछले वर्ष की तुलना में घटनाएँ तीन गुना बढ़ गईं।
- भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, कार्ड और इंटरनेट श्रेणी में धोखाधड़ी की संख्या 29,082 तक बढ़ गई, जो सभी बैंकिंग धोखाधड़ी का 80% है।
- यह वित्त वर्ष 2023 में दर्ज की गई 6,699 घटनाओं की तुलना में 334% की अप्रत्याशित वृद्धि को इंगित करता है।
साइबर धोखाधड़ी के प्रकार – फ़िशिंग हमले: धोखेबाज़ पासवर्ड और क्रेडिट कार्ड विवरण जैसी संवेदनशील जानकारी चुराने के लिए भ्रामक ईमेल और वेबसाइट का उपयोग करते हैं। – पहचान की चोरी: अपराधी व्यक्तियों का प्रतिरूपण करने के लिए व्यक्तिगत जानकारी प्राप्त करते हैं, जिससे वित्तीय और प्रतिष्ठा को हानि होती है। – ऑनलाइन घोटाले: इनमें लॉटरी घोटाले, रोजगार धोखाधड़ी और नकली ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट शामिल हैं जो पीड़ितों को उनके पैसे से अलग करने के लिए धोखा देती हैं। |
उछाल के प्रमुख कारक
- डिजिटलीकरण में वृद्धि: क्रेडिट कार्ड और ऑनलाइन बैंकिंग सहित डिजिटल भुगतान विधियों को तेजी से अपनाने से साइबर अपराधियों के लिए अधिक अवसर उत्पन्न हुए हैं।
- जैसे-जैसे अधिक लोग इन डिजिटल चैनलों पर विश्वास करते हैं, इन प्रणालियों के अंदर की कमज़ोरियाँ अधिक स्पष्ट होती जाती हैं।
- परिष्कृत साइबर हमले: साइबर अपराधी डिजिटल भुगतान प्रणालियों की कमज़ोरियों का लाभ उठाने में अधिक कुशल हो गए हैं।
- फ़िशिंग, पहचान की चोरी और दुर्भावनापूर्ण सॉफ़्टवेयर के उपयोग जैसी तकनीकें अधिक प्रचलित हो गई हैं, जिससे धोखेबाज़ों को संवेदनशील व्यक्तिगत जानकारी तक पहुँच प्राप्त करने की अनुमति मिलती है।
- व्यवहार संबंधी कमज़ोरियाँ: कई धोखाधड़ी मानवीय भूल के कारण होती हैं, जैसे पासवर्ड साझा करना या फ़िशिंग घोटालों में फँस जाना।
- विशेष रूप से वरिष्ठ नागरिकों को प्रायः डिजिटल सुरक्षा प्रथाओं से परिचित न होने के कारण निशाना बनाया जाता है।
वित्तीय प्रभाव
- इन धोखाधड़ी का वित्तीय प्रभाव महत्वपूर्ण रहा है। वित्तीय वर्ष 2024 में, कार्ड और इंटरनेट धोखाधड़ी का कुल मूल्य ₹1,457 करोड़ तक पहुँच गया, जो पिछले छह वर्षों में दर्ज की गई सबसे अधिक राशि है।
- यह उपभोक्ताओं के बीच बेहतर सुरक्षा उपायों और अधिक जागरूकता की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है।
भारत में साइबर धोखाधड़ी का विनियमन
- सेवाओं के तेजी से डिजिटलीकरण और इंटरनेट पर बढ़ती निर्भरता के कारण, साइबर धोखाधड़ी भारत में एक महत्वपूर्ण खतरे के रूप में उभरी है।
- इसमें साइबर अपराधों को रोकने, उनका पता लगाने और उन्हें दंडित करने के लिए एक व्यापक कानूनी ढांचा तैयार किया गया है।
प्रमुख विधायी उपाय
- सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (IT अधिनियम): यह इलेक्ट्रॉनिक लेनदेन के लिए कानूनी मान्यता प्रदान करता है और इसका उद्देश्य ई-कॉमर्स को सुविधाजनक बनाना तथा हैकिंग, पहचान की चोरी एवं साइबर आतंकवाद सहित विभिन्न साइबर अपराधों को संबोधित करना है। साइबर धोखाधड़ी से संबंधित प्रमुख धाराओं में शामिल हैं:
- धारा 66सी: पहचान की चोरी के लिए सजा।
- धारा 66डी: कंप्यूटर संसाधनों का उपयोग करके व्यक्ति के रूप में धोखाधड़ी करने के लिए सजा।
- धारा 43: कंप्यूटर सिस्टम को नुकसान पहुंचाने के लिए जुर्माना।
- भारतीय दंड संहिता (IPC), 1860: इसमें साइबर धोखाधड़ी को संबोधित करने वाले प्रावधान शामिल हैं जैसे:
- धारा 420: धोखाधड़ी और बेईमानी से संपत्ति की डिलीवरी के लिए प्रेरित करना।
- धारा 468: धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी।
- धारा 471: जाली दस्तावेज़ को असली के रूप में उपयोग करना।
- सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थ दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021: ये नियम सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म जैसे मध्यस्थों को उचित परिश्रम करने और उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अनिवार्य करते हैं।
- वे मध्यस्थों से अपेक्षा करते हैं कि वे साइबर घटनाओं की सूचना भारतीय कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया दल (CERT-In) को दें।
नियामक निकाय और पहल
- भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C): गृह मंत्रालय के तहत स्थापित, I4C का उद्देश्य समन्वित तरीके से साइबर अपराध से निपटना है।
- यह कानून प्रवर्तन एजेंसियों को साइबर अपराध पर सहयोग करने और जानकारी साझा करने के लिए एक मंच प्रदान करता है।
- साइबर स्वच्छता केंद्र: CERT-In की यह पहल साइबर सुरक्षा के बारे में जागरूकता उत्पन्न करने और उपकरणों से दुर्भावनापूर्ण सॉफ़्टवेयर का पता लगाने तथा हटाने के लिए उपकरण प्रदान करने पर केंद्रित है।
- राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नीति, 2013: यह साइबर खतरों से सार्वजनिक और निजी बुनियादी ढांचे की सुरक्षा के लिए रणनीतियों की रूपरेखा तैयार करती है। यह एक सुरक्षित और लचीले साइबरस्पेस की आवश्यकता पर बल देती है।
- राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल: यह नागरिकों को वित्तीय धोखाधड़ी और महिलाओं तथा बच्चों के खिलाफ अपराधों सहित विभिन्न प्रकार के साइबर अपराधों की रिपोर्ट करने की अनुमति देता है।
भारत में साइबर धोखाधड़ी से निपटने की चुनौतियाँ
- तीव्रता से तकनीकी प्रगति: तकनीकी परिवर्तन की तेज गति के कारण कानूनों के लिए नए प्रकार के साइबर अपराधों से निपटना मुश्किल हो जाता है।
- संसाधन की कमी: कई संगठनों, विशेष रूप से छोटे और मध्यम आकार के उद्यमों (SMEs) के पास मजबूत साइबर सुरक्षा उपायों को लागू करने के लिए संसाधनों की कमी है। यह उन्हें साइबर अपराधियों के लिए आसान लक्ष्य बनाता है।
- एजेंसियों के बीच समन्वय: प्रभावी साइबर सुरक्षा के लिए विभिन्न सरकारी एजेंसियों और विभागों, निजी क्षेत्र की संस्थाओं तथा अंतर्राष्ट्रीय भागीदारों के बीच समन्वय की आवश्यकता होती है। हालाँकि, प्रायः इसका अभाव होता है, जिससे प्रयास विखंडित और अक्षम हो जाते हैं।
- न्यायालय संबंधी मुद्दे: साइबर अपराध प्रायः राष्ट्रीय सीमाओं को पार कर जाते हैं, जिससे कानूनों का प्रवर्तन जटिल हो जाता है।
- जागरूकता की कमी: कई व्यक्ति और व्यवसाय साइबर धोखाधड़ी से जुड़े जोखिमों तथा इसे रोकने के उपायों से परिचित नहीं हैं।
साइबर धोखाधड़ी से निपटने के उपाय
- उन्नत सुरक्षा प्रोटोकॉल: बैंकों और वित्तीय संस्थानों को साइबर हमलों से बचाव के लिए मजबूत सुरक्षा प्रोटोकॉल लागू करने की आवश्यकता है।
- इसमें बहु-कारक प्रमाणीकरण और उन्नत एन्क्रिप्शन तकनीक शामिल हैं।
- विनियामक निरीक्षण: RBI और अन्य विनियामक निकायों को साइबर सुरक्षा मानकों के अनुपालन की निगरानी और प्रवर्तन जारी रखना चाहिए। नियमित ऑडिट और मूल्यांकन संभावित जोखिमों की पहचान करने और उन्हें कम करने में सहायता कर सकते हैं।
- उपभोक्ता शिक्षा: साइबर धोखाधड़ी के जोखिमों और स्वयं को कैसे सुरक्षित रखें, इस बारे में उपभोक्ताओं को शिक्षित करना महत्वपूर्ण है। जागरूकता अभियान व्यक्तियों को सामान्य घोटालों को पहचानने और उनसे बचने में सहायता कर सकते हैं।
निष्कर्ष
- वित्तीय वर्ष 2024 में साइबर धोखाधड़ी में वृद्धि बैंकिंग क्षेत्र में मजबूत साइबर सुरक्षा उपायों की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित करती है।
- जैसे-जैसे डिजिटल लेन-देन बढ़ता जा रहा है, वित्तीय संस्थानों और उपभोक्ताओं दोनों को इन उभरते खतरों से बचने के लिए सतर्क रहना चाहिए।
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