पाठ्यक्रम: GS2/ राजव्यवस्था और शासन
संदर्भ
- भारत के निर्वाचन आयोग (ECI) ने 345 पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों (RUPPs) को डीलिस्ट (सूची से हटाने) की प्रक्रिया शुरू की है, जिन्होंने विगत छह वर्षों में कोई चुनाव नहीं लड़ा है और जिनके कार्यालय भौतिक रूप से स्थित नहीं पाए गए।
भारत में राजनीतिक दलों का पंजीकरण
- संवैधानिक और कानूनी आधार: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19(1)(क) के अंतर्गत संघ बनाने का अधिकार प्राप्त है, जिसमें राजनीतिक दलों का गठन भी शामिल है।
- जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29A के अंतर्गत भारत का निर्वाचन आयोग (ECI) राजनीतिक दलों को पंजीकृत करने का अधिकार रखता है।
- पंजीकरण की प्रक्रिया: कोई भी राजनीतिक दल, पंजीकरण हेतु, निम्नलिखित कार्य करता है:
- गठन के 30 दिनों के अंदर अपना संविधान/स्मरणपत्र प्रस्तुत करना।
- भारतीय संविधान और समाजवाद, धर्मनिरपेक्षता, लोकतंत्र, सम्प्रभुता, एकता और अखंडता के सिद्धांतों के प्रति निष्ठा की शपथ लेना।
- आंतरिक लोकतंत्र सुनिश्चित करना, जिसमें पदाधिकारियों के लिए नियमित चुनाव सम्मिलित हैं।
- पंजीकरण के बाद, ऐसे दलों को पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों (RUPPs) के रूप में वर्गीकृत किया जाता है, जब तक कि वे राष्ट्रीय या राज्य स्तरीय दलों के रूप में मान्यता के लिए आवश्यक मानदंडों को पूरा नहीं करते।
RUPPs को प्राप्त लाभ
- आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 13A के अंतर्गत प्राप्त दान पर कर छूट
- लोकसभा/राज्य विधानसभाओं के आम चुनाव में एक साझा चुनाव चिह्न का उपयोग
- अधिकतम 20 स्टार प्रचारकों को नामित करने का अधिकार
वर्तमान ढांचे से संबंधित समस्याएं
- RUPPs की विस्फोटक वृद्धि: मई 2025 तक भारत में 2,800 से अधिक RUPPs थे, परंतु केवल 750 ने 2024 के आम चुनावों में भाग लिया।
- इनमें से कई दल केवल “लेटर पैड पार्टी” बन गए हैं — केवल कागज़ पर उपस्थित, बिना किसी वास्तविक राजनीतिक गतिविधि के।
- ECI के पास डीरजिस्ट्रेशन की शक्ति नहीं:भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस बनाम सामाजिक कल्याण संस्थान & अन्य (2002) में सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय दिया कि:
- ECI पार्टी को सूची से निष्कासित कर सकता है,
- लेकिन वह केवल असाधारण परिस्थितियों जैसे कि:
- धोखाधड़ी द्वारा पंजीकरण,
- संविधान के प्रति निष्ठा की हानि,
- केंद्र सरकार द्वारा पार्टी को अवैध घोषित किए जाने पर ही निष्काषित कर सकता है।
- कर छूट का दुरुपयोग:
- निष्क्रिय RUPPs आयकर अधिनियम के प्रावधानों का दुरुपयोग कर धन शोधन या कर चोरी में लिप्त रहते हैं।
- कई दल दानदाताओं या खर्च का विवरण नहीं देते, फिर भी कर लाभ लेते हैं।
- आंतरिक लोकतंत्र की कमी:
- अधिकांश दल नियमित आंतरिक चुनाव नहीं कराते और लोकतांत्रिक मानकों का पालन नहीं करते—जिससे सहभागी शासन की भावना कमजोर होती है।
सुधार हेतु सिफारिशें
- कानून आयोग की 170वीं (1999) और 255वीं (2015) रिपोर्ट:
- निष्कासन के लिए वैधानिक मानदंड लागू करने की सिफारिश
- लगातार 10 वर्षों तक चुनाव न लड़ने पर निष्कासन की अनुमति
- दलों के अंदर आंतरिक लोकतंत्र अनिवार्य करना
- ECI की 2016 की चुनाव सुधार संबंधी रिपोर्ट:
- जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 में संशोधन कर
- ECI को स्पष्ट रूप से डीरजिस्टर करने की शक्ति देना
- पारदर्शिता नियमों के उल्लंघन पर दंड
- डिफॉल्टिंग RUPPs को कर लाभ व चुनाव चिह्न से वंचित करना
- जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 में संशोधन कर
निष्कर्ष
- भारत का जीवंत लोकतंत्र राजनीतिक दलों के गठन की स्वतंत्रता प्रदान करता है, परंतु निष्क्रिय RUPPs की अनियंत्रित वृद्धि चुनावी अखंडता को कमजोर करती है।
- ECI की निष्कासन पहल समयोचित है, लेकिन डीरजिस्ट्रेशन के लिए वैधानिक शक्तियों और पारदर्शिता नियमों को सख्त किए बिना इसका प्रभाव सीमित रहेगा।
- विश्वसनीय और जवाबदेह बहुदलीय प्रणाली सुनिश्चित करने के लिए व्यापक कानूनी सुधार, और उसके साथ राजनीतिक इच्छाशक्ति, अत्यंत आवश्यक हैं।
Source: TH
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