पाठ्यक्रम: GS3/ अर्थव्यवस्था
समाचार में
- कर्नाटक प्लेटफॉर्म आधारित गिग वर्कर्स (सामाजिक सुरक्षा और कल्याण) अध्यादेश, 2025 को राज्य भर में गिग वर्कर्स की सुरक्षा और समर्थन के लिए कानूनी ढाँचा स्थापित करने हेतु पारित किया गया।
गिग वर्कर्स कौन हैं?
- सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 की धारा 2(35) गिग वर्कर को परिभाषित करती है: “एक व्यक्ति जो कार्य व्यवस्था में भाग लेता है और पारंपरिक नियोक्ता-कर्मचारी संबंध के बाहर ऐसी गतिविधियों से आय अर्जित करता है।” हाल ही में जारी रिपोर्ट “भारत की उभरती गिग और प्लेटफॉर्म अर्थव्यवस्था” में अनुमान लगाया गया है कि भारत में गिग वर्कर्स की संख्या 2030 तक 23.5 मिलियन तक बढ़ सकती है।
पृष्ठभूमि
- 2020 में लागू श्रम संहिता, जिसमें सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 भी शामिल है, असंगठित और गिग वर्कर्स को कल्याणकारी लाभ प्रदान करने के लिए बनाई गई थी।
- यह संहिता प्लेटफॉर्म वर्कर्स को परिभाषित करती है और राष्ट्रीय सामाजिक सुरक्षा बोर्ड के गठन का प्रावधान करती है।
कानून के प्रमुख प्रावधान
- गिग वर्कर्स कल्याण बोर्ड: गिग वर्कर्स के कल्याण कानून को लागू करने के लिए एक बोर्ड स्थापित किया जाएगा, जो गिग वर्कर्स और प्लेटफॉर्म से जुड़े सभी मुद्दों को देखेगा।
- प्लेटफॉर्म और वर्कर पंजीकरण: ज़ोमैटो, ओला, स्विगी, अमेज़न जैसे एग्रीगेटर प्लेटफॉर्म को राज्य कल्याण बोर्ड के साथ पंजीकरण कराना होगा और सभी गिग वर्कर्स का नामांकन करना होगा, जिन्हें एक विशिष्ट आईडी मिलेगी।
- कल्याण योगदान: ज़ोमैटो, ओला, स्विगी, अमेज़न जैसे प्लेटफॉर्म को अपने कर्मचारियों को दिए गए भुगतान का 1% से 5% तक राज्य संचालित कल्याण निधि में योगदान देना होगा।
- एल्गोरिदम की जानकारी: प्लेटफॉर्म को अपने टास्क आवंटन, वेतन, रेटिंग और पहुँच को नियंत्रित करने वाले एल्गोरिदम की कार्यप्रणाली को स्पष्ट करना होगा ताकि कोई भेदभाव न हो।
- लिखित समझौते: प्लेटफॉर्म को श्रमिकों को स्पष्ट और लिखित अनुबंध प्रदान करना होगा, जिसमें उनकी आय, भुगतान विधियाँ और एक्सेस ब्लॉकिंग की शर्तें शामिल होंगी।
- शिकायत निवारण और कार्य स्थितियाँ: एक दो-स्तरीय शिकायत प्रणाली स्थापित की गई है, जिसमें पहले चरण में प्लेटफॉर्म के अन्दर आंतरिक विवाद निवारण समिति और दूसरे चरण में कल्याण बोर्ड शामिल है।
- ब्याज और जुर्माना: कल्याण शुल्क का विलंबित भुगतान 12% वार्षिक ब्याज के अधीन होगा। गैर-अनुपालन पर पहले उल्लंघन के लिए ₹5,000 तक का जुर्माना और बाद में ₹1 लाख तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
गिग वर्कर्स के समक्ष चुनौतियाँ
- रोजगार की असुरक्षा और सामाजिक सुरक्षा की कमी
- कम वेतन और आय असमानता
- एल्गोरिदम द्वारा कार्य आवंटन, वेतन दरें, प्रदर्शन रेटिंग और निष्क्रियता नियंत्रित होती है, लेकिन इनकी प्रक्रिया अक्सर श्रमिकों के लिए अस्पष्ट होती है।
- गिग वर्कर्स की अस्पष्ट रोजगार स्थिति के कारण मौजूदा श्रम कानूनों को लागू करना मुश्किल होता है, क्योंकि ये पारंपरिक रोजगार के लिए डिज़ाइन किए गए हैं।
भारत द्वारा गिग वर्कर्स के लिए उठाए गए कदम
- सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020: यह संहिता गिग वर्कर्स को एक अलग श्रेणी के रूप में मान्यता देती है और उन्हें सामाजिक सुरक्षा लाभ प्रदान करने का प्रयास करती है।
- ई-श्रम पोर्टल: यह असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों, जिसमें गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स भी शामिल हैं, के लिए एक राष्ट्रीय डेटाबेस है।
- केंद्रीय बजट 2025-26: इसमें पहचान पत्र जारी करने और आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (AB-PMJAY) के अंतर्गत स्वास्थ्य कवरेज प्रदान करने का प्रावधान शामिल है।
- राजस्थान प्लेटफॉर्म आधारित गिग वर्कर्स अधिनियम, 2023: यह भारत का पहला राज्य-स्तरीय कानून है, जो विशेष रूप से गिग वर्कर्स के अधिकारों को संबोधित करता है।
Source: TH
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