भारत में स्टारलिंक के प्रवेश के लिए वार्ता

पाठ्यक्रम: GS3/ बुनियादी ढाँचा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी

संदर्भ

  • स्टारलिंक ने भारत में उपग्रह संचार, दूरसंचार, और ब्रॉडबैंड क्षेत्रों में प्रमुख अभिकर्त्ताओं के साथ चर्चा प्रारंभ की है, ताकि अपने सेवाओं के विस्तार में तेजी लाई जा सके

स्टारलिंक क्या है?

  • स्टारलिंक एक SpaceX द्वारा विकसित उपग्रह इंटरनेट सेवा है, जिसे विशेष रूप से उच्च गति, कम विलंबता ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए निर्मित किया गया है। 
  • यह सेवा उन क्षेत्रों में इंटरनेट उपलब्ध कराने के लिए डिजाइन की गई है, जहाँ पारंपरिक नेटवर्क बुनियादी ढाँचा सीमित या अनुपलब्ध है। 
  • स्टारलिंक लगभग 7,000 से अधिक छोटे उपग्रहों की निम्न पृथ्वी कक्षा (LEO) में स्थित संरचना का उपयोग करता है।

भारत में स्टारलिंक पर लागू नियामक ढाँचे

  • भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम, 1885: स्टारलिंक को भारतीय दूरसंचार विभाग (DoT) से VSAT लाइसेंस प्राप्त करना होगा, जो भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम की धारा 4 के तहत अनिवार्य है।
  • दूरसंचार नियामक प्राधिकरण अधिनियम, 1997: TRAI लाइसेंसिंग और स्पेक्ट्रम मूल्य निर्धारण पर परामर्श देता है, जो स्टारलिंक की सेवाओं को प्रभावित कर सकता है।
  • दूरसंचार अधिनियम, 2023: यह कानून स्पेक्ट्रम आवंटन को नियंत्रित करता है और Ku- एवं Ka-बैंड आवृत्तियों के उपयोग के साथ मूल्य निर्धारण, सुरक्षा और हस्तक्षेप नियमों का अनुपालन सुनिश्चित करता है।
  • उपग्रह संचार नीति, 2000 और IN-SPACe: स्टारलिंक को भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र (IN-SPACe) के साथ समन्वय करना होगा ताकि उसके उपग्रह भारतीय परिसंपत्तियों में हस्तक्षेप न करें।
  • आईटी अधिनियम, 2000 और डिजिटल व्यक्तिगत डेटा सुरक्षा अधिनियम, 2023: स्टारलिंक को साइबर सुरक्षा, कानूनी डेटा पहुँच, और उपयोगकर्त्ता गोपनीयता संरक्षण सुनिश्चित करना होगा।

भारत के लिए स्टारलिंक के लाभ

  • ग्रामीण कनेक्टिविटी: यह उन क्षेत्रों में उच्च गति इंटरनेट प्रदान करता है, जहाँ फाइबर-ऑप्टिक या मोबाइल टावर उपलब्ध नहीं हैं।
  • आर्थिक सशक्तीकरण: यह ग्रामीण शिक्षा, ई-स्वास्थ्य, कृषि-तकनीक, और ई-कॉमर्स को बढ़ावा देने की क्षमता रखता है।
  • सामरिक महत्त्व: आपदा संचार, सैन्य कनेक्टिविटी और सीमा क्षेत्र बुनियादी ढाँचे को मजबूत करेगा।
  • डिजिटल समावेशन: यह डिजिटल इंडिया और भारतनेट लक्ष्यों से सुसंगत है।

भारत में स्टारलिंक के प्रवेश में चुनौतियाँ

  • VSAT लाइसेंस प्राप्त करने की प्रक्रिया जटिल और समय लेने वाली है, जिसमें तकनीकी मूल्यांकन और वित्तीय जाँच शामिल है।
  • दूरसंचार अधिनियम, 2023 प्रशासनिक उपग्रह स्पेक्ट्रम आवंटन की अनुमति देता है, लेकिन DoT और TRAI के बीच मूल्य निर्धारण और उपयोग शर्तों को लेकर मतभेद हैं।
  • गृह मंत्रालय और खुफिया एजेंसियों से सुरक्षा मंजूरी अभी तक नहीं मिली है।

स्टारलिंक के प्रवेश को लेकर उठी चिंताएँ

  • स्टारलिंक के उच्च पूँजीगत व्यय और नियामक दायित्वों के कारण इसकी सेवा भारत में प्रीमियम मूल्य पर लॉन्च होने की संभावना है।
  • सैटेलाइट डिश, राउटर, और अन्य हार्डवेयर की लागत अधिकांश ग्रामीण परिवारों के लिए महँगी हो सकती है।
  • यह सेवा शुरुआत में संस्थानों, दूरस्थ व्यवसायों और उच्च-नेट-वर्थ व्यक्तियों को लक्षित कर सकती है, बजाय उन ग्रामीण क्षेत्रों के जिनकी यह सेवा करने की योजना रखता है।
  • अनियमित उपयोग: कुछ रिपोर्टों में गैरकानूनी गतिविधियों के लिए उपकरणों के दुरुपयोग की आशंका जताई गई है।

निष्कर्ष

  • जैसे-जैसे भारत डिजिटल अर्थव्यवस्था के नेतृत्व की ओर बढ़ रहा है, स्टारलिंक का अनुभव यह दर्शाता है कि नवाचार को बढ़ावा देने के लिए अनुकूलनीय, पारदर्शी और सुरक्षित नियामक ढाँचे की आवश्यकता है। 
  • उपग्रह इंटरनेट के एकीकरण से ग्रामीण-शहरी विभाजन को कम किया जा सकता है और लाखों लोगों को शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, बाजार और शासन तक पहुँच प्रदान की जा सकती है, जिससे एक अधिक समावेशी और जुड़े हुए समाज का निर्माण होगा।

Sources: TH

 

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