पाठ्यक्रम: GS3/अर्थव्यवस्था;रोजगार; वृद्धि एवं विकास
संदर्भ
- प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के कार्यालय द्वारा कराए गए तथा भारतीय उद्योग परिसंघ और अन्य द्वारा किए गए एक हालिया अध्ययन से पता चला है कि भारत में सार्वजनिक वित्त पोषित अनुसंधान एवं विकास संगठनों द्वारा डीप टेक स्टार्ट-अप्स को दिए जाने वाले समर्थन में महत्त्वपूर्ण अंतराल है।
डीप टेक स्टार्ट-अप्स के बारे में
- डीप टेक्नोलॉजी का तात्पर्य उन्नत वैज्ञानिक और तकनीकी सफलताओं जैसे कि एआई, क्वांटम कंप्यूटिंग, बायोटेक्नोलॉजी और स्पेस टेक और इसकी विघटनकारी प्रकृति पर आधारित नवाचारों से है।
- डीप टेक स्टार्ट-अप मुख्य रूप से अपने प्रौद्योगिकी-संचालित दृष्टिकोण, लंबे विकास चक्र और उच्च जोखिम कारकों में पारंपरिक स्टार्ट-अप से भिन्न होते हैं।
- पारंपरिक स्टार्ट-अप अक्सर ई-कॉमर्स, SaaS या उपभोक्ता सेवाओं जैसे व्यवसाय मॉडल नवाचार पर निर्भर करते हैं।

अध्ययन के प्रमुख निष्कर्ष
- सीमित इनक्यूबेशन समर्थन: केवल चार में से एक सार्वजनिक-वित्त पोषित R&D संगठन स्टार्टअप्स को इनक्यूबेशन समर्थन प्रदान करता है। डीप टेक स्टार्टअप्स के लिए समर्थन और भी कम है, केवल छह में से एक संस्थान ही इस तरह की पहल में संलग्न होता है।
- कमजोर उद्योग सहयोग: मात्र 15% संगठन विदेशी उद्योगों के साथ सहयोग करते हैं, जिससे वैश्विक साझेदारियों की तत्काल आवश्यकता प्रकट होती है।
- सुविधाओं की सीमित पहुँच: आधे संगठन अपनी संरचना को बाहरी शोधकर्त्ताओं और छात्रों के लिए नहीं खोलते, जिससे ज्ञान साझा करने और नवाचार के अवसर कम हो जाते हैं।
बजट आवंटन और कार्यबल प्रवृत्तियाँ
- R&D व्यय: केंद्रीय सरकार का R&D व्यय 2020-21 में लगभग ₹55,685 करोड़ था, जिसमें ₹24,587 करोड़ प्रमुख वैज्ञानिक एजेंसियों को आवंटित किए गए थे।
- लगभग 25% भाग लेने वाले संस्थानों ने अपनी 75%-100% बजट राशि R&D में खर्च की, जबकि कुछ संस्थान औसत से नीचे रहे।
- स्थायी कर्मचारियों की संख्या में गिरावट: 2021-22 से 2022-23 के बीच स्थायी कर्मचारियों की संख्या घटी, जिससे अनुबंधित कर्मचारियों पर निर्भरता बढ़ी।
- युवा शोधकर्त्ताओं की भागीदारी: इसका प्रतिशत 58% तक बढ़ा, जो पिछले वर्ष 54% था, हालाँकि 2017-18 से 2019-20 के बीच यह संख्या 63% से 65% रही थी।
डीप टेक स्टार्टअप्स से संबंधित प्रयास
- राष्ट्रीय डीप टेक स्टार्टअप नीति (NDTSP): यह भारत में डीप टेक स्टार्टअप इकोसिस्टम को मजबूत करने और अनुसंधान-आधारित नवाचार को बढ़ावा देने का लक्ष्य रखती है। इसका केंद्र बिंदु आर्थिक सुरक्षा, ज्ञान-संचालित वृद्धि, और नैतिक नवाचार है।
- क्वांटम कंप्यूटिंग और डीप टेक नवाचार: भारत क्वांटम कंप्यूटिंग में तेजी से प्रगति कर रहा है, जहाँ QpiAI जैसे स्टार्टअप्स उन्नत क्वांटम प्रणालियाँ विकसित कर रहे हैं। राष्ट्रीय क्वांटम मिशन जीवन विज्ञान, दवा खोज और सस्टेनेबिलिटी में डीप टेक उपक्रमों का समर्थन करता है।
डीप टेक नवाचार को मजबूत करने के लिए सिफारिशें
- उद्योग सहयोग को बढ़ावा: घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय उद्योगों के साथ मजबूत संबंध बनाकर नवाचार को बढ़ावा देना और वैश्विक विशेषज्ञता का लाभ उठाना।
- डीप टेक और स्टार्टअप्स पर ध्यान: डीप टेक उपक्रमों और इनक्यूबेशन कार्यक्रमों के समर्थन को बढ़ाएँ ताकि उभरती तकनीकों में क्रांतिकारी प्रगति हो सके।
- सुविधाओं की खुली पहुँच: सार्वजनिक R&D संस्थान बाहरी शोधकर्त्ताओं और छात्रों को अधिक पहुँच प्रदान करना, जिससे ज्ञान साझेदारी और अंतर-अनुशासनिक अनुसंधान को प्रोत्साहन मिले।
- विकसित भारत लक्ष्यों से समन्वय:भारत के विकसित भारत@2047 लक्ष्य को तेज़ी से हासिल करने के लिए, सार्वजनिक-वित्त पोषित R&D संस्थानों को अपने नियंत्रण व नीतियों का पुनर्मूल्यांकन करना चाहिए और राष्ट्रीय रणनीतिक प्राथमिकताओं के साथ समन्वय स्थापित करना चाहिए।
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भारत में स्टारलिंक के प्रवेश के लिए वार्ता