पाठ्यक्रम: GS3/पर्यावरण
संदर्भ
- Nature Geoscience में प्रकाशित एक नए अध्ययन से पता चलता है कि भारत के ग्रीष्मकालीन मानसून से प्रेरित चरम मौसम घटनाएँ बंगाल की खाड़ी की समुद्री उत्पादकता को स्थायी रूप से बाधित कर सकती हैं।
अध्ययन के बारे में
- यह अध्ययन पिछले 22,000 वर्षों के दौरान मानसून परिवर्तनशीलता और बंगाल की खाड़ी के समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य के बीच महत्त्वपूर्ण संबंध को प्रकट करता है।
- फोरामिनिफेरा माइक्रोफॉसिल का उपयोग करके पिछले समुद्री परिस्थितियों का पुनर्निर्माण किया गया, जिससे यह समझने में सहायता मिली कि मानसून और महासागरीय रसायन वैश्विक जलवायु परिवर्तन के प्रति कैसे विकसित हुए।
- फोरामिनिफेरा के कैल्शियम कार्बोनेट शेल पर्यावरणीय डेटा को संरक्षित करते हैं।
- यह अध्ययन महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि कई जलवायु मॉडल मानवीय कारणों से हो रही गर्मी के प्रभाव को देखते हुए मानसून में बड़ी गड़बड़ी की चेतावनी देते हैं।
प्रमुख निष्कर्ष
- इतिहास में असामान्य रूप से कमजोर और मजबूत मानसून महासागरीय मिश्रण में भारी व्यवधान का कारण बने, जिससे समुद्री जीवन के भोजन में 50% तक की कमी देखी गई।
- मिश्रण में गड़बड़ी के कारण प्लवक (plankton) का अकाल होता है।
- समुद्री उत्पादकता: Heinrich Stadial 1 (17,500 से 15,500 वर्ष पहले का एक ठंडा चरण) और प्रारंभिक होलोसीन (लगभग 10,500 से 9,500 वर्ष पहले) के दौरान समुद्री उत्पादकता में तेज़ गिरावट आई, जब मानसून असामान्य रूप से कमजोर या मजबूत था।
- जलवायु संकट
- Heinrich Stadial 1 और प्रारंभिक होलोसीन के दौरान हुए पतन दर्शाते हैं कि चरम मानसून और उत्पादकता में गिरावट के बीच स्पष्ट संबंध है।
- भविष्य के जलवायु मॉडल गर्म सतही जल और अस्थिर मानसून व्यवहार का पूर्वानुमान देते हैं—ये स्थितियाँ इतिहास में दर्ज संकटों के समान हैं।
- महासागर प्लवक का समर्थन नहीं कर पाएगा, जिससे समुद्री खाद्य शृंखला गंभीर रूप से प्रभावित होगी।
- चिंताएँ और प्रभाव
- बंगाल की खाड़ी महासागर की कुल सतह का 1% से कम है, लेकिन यह वैश्विक मत्स्य उत्पादन का ~8% योगदान देती है।
- हिलसा मछली, जो दक्षिण एशिया में प्रोटीन और आय का एक प्रमुख स्रोत है, विशेष रूप से संकट में है।
- 150+ मिलियन लोग बंगाल की खाड़ी की मछली पकड़ने की गतिविधियों पर निर्भर हैं; बांग्लादेश का पारंपरिक मत्स्य क्षेत्र, जो 80% राष्ट्रीय समुद्री उत्पादन प्रदान करता है, पहले से ही अत्यधिक मत्स्य पालन के कारण दबाव में है।
सिफारिशें
- जलवायु मॉडल को मजबूत करना ताकि मानसून के प्रभावों का सटीक पूर्वानुमान लगाया जा सके।
- संवेदनशील पारंपरिक मत्स्य क्षेत्रों में स्थायी मत्स्य प्रबंधन को लागू करना।
- कार्बन उत्सर्जन पर कार्रवाई तेज करना, क्योंकि मानवजनित ग्लोबल वार्मिंग मानसून के उतार-चढ़ाव को बढ़ा रही है।
- सतत् संसाधन योजना और संरक्षण नीतियों के माध्यम से तटीय समुदायों की सुरक्षा करना।
Source: TH
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संक्षिप्त समाचार 30-04-2025