नई वैश्विक गरीबी रेखा के अंतर्गत भारत का गरीबी अनुमान

पाठ्यक्रम: GS3/ अर्थव्यवस्था

संदर्भ

  • हाल ही में विश्व बैंक द्वारा अंतरराष्ट्रीय गरीबी रेखा में संशोधन ने यह वैश्विक परिचर्चा पुनः शुरू कर दी है कि गरीबी को कैसे परिभाषित और मापा जाना चाहिए।

पृष्ठभूमि 

  • विश्व बैंक ने वैश्विक गरीबी के अनुमानों में बड़ा संशोधन करते हुए अंतरराष्ट्रीय गरीबी रेखा (IPL) को $2.15/दिन (2017 PPP) से बढ़ाकर $3.00/दिन (2021 PPP) कर दिया है। 
  • जहाँ इस बदलाव से वैश्विक स्तर पर अत्यधिक गरीबों की संख्या में 12.5 करोड़ की वृद्धि हुई, वहीं भारत में गरीबी में भारी गिरावट दर्ज की गई।

गरीबी रेखा क्या है? 

  • गरीबी रेखा आय या उपभोग का वह सीमा स्तर है जिसके नीचे रहने वाले व्यक्ति या परिवार को गरीब माना जाता है। 
  • इस सीमा से नीचे रहने वाला व्यक्ति बुनियादी आवश्यकताओं — जैसे भोजन, आवास, वस्त्र, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा — को वहन करने में असमर्थ माना जाता है। 
  • यह सरकार को सहायता करता है:
    • गरीबी की सीमा को समझने और गरीबों के लिए कल्याणकारी नीतियाँ बनाने में।
    • यह जानने में कि क्या कोई नीति समय के साथ गरीबी को कम करने और जीवन स्तर सुधारने में सफल रही है।

भारत की संशोधित गरीबी प्रोफ़ाइल 

  • भारत के नवीनतम घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण (HCES) ने पुराने यूनिफॉर्म रेफरेंस पीरियड (URP) की जगह मॉडिफाइड मिक्स्ड रिकॉल पीरियड (MMRP) पद्धति को अपनाया। इस बदलाव से:
    • बार-बार खरीदे जाने वाले सामानों के लिए छोटे समय की याद अवधि का उपयोग किया गया।
    • वास्तविक उपभोग का अधिक यथार्थवादी अनुमान प्राप्त हुआ। 
  • 2011–12 में, MMRP लागू करने से भारत की गरीबी दर $2.15 गरीबी रेखा के अंतर्गत 22.9% से घटकर 16.22% हो गई। 
  • 2022–23 में, नई $3.00 रेखा के अंतर्गत गरीबी 5.25% थी, जबकि पुरानी $2.15 रेखा के अंतर्गत यह और घटकर 2.35% रह गई।

भारत विश्व बैंक की गरीबी रेखा का उपयोग क्यों करता है? 

  • भारत ने आखिरी बार 2011–12 में (टेंडुलकर पद्धति) गरीबी रेखा को आधिकारिक रूप से अपडेट किया था। 2014 में सी. रंगराजन की अध्यक्षता वाली समिति ने ₹47 (शहरी) और ₹33 (ग्रामीण)/दिन की उच्च सीमा का सुझाव दिया, लेकिन इसे अपनाया नहीं गया। तब से:
    • भारत के पास कोई राष्ट्रीय रूप से स्वीकृत गरीबी रेखा नहीं है।
    • इसके स्थान पर नीति आयोग का बहुआयामी गरीबी सूचकांक (MPI) और विश्व बैंक के अनुमान इस शून्य को भरते हैं।
गरीबी मापने के लिए गठित समितियाँ
लकडवाला समिति (1993)
1. उपभोग व्यय की गणना पहले की तरह कैलोरी खपत के आधार पर की जाए।
2. राज्य-विशिष्ट गरीबी रेखाएँ बनाई जाएँ और CPI-IW (शहरी) व CPI-AL (ग्रामीण) के आधार पर अपडेट की जाएँ।
3. राष्ट्रीय लेखा सांख्यिकी पर आधारित ‘स्केलिंग’ को समाप्त किया जाए।
टेंडुलकर समिति (2009)
1. 2005 में गठित, 2009 में रिपोर्ट प्रस्तुत की।
2. कैलोरी आधारित निर्धारण से हटकर स्वास्थ्य और शिक्षा पर निजी व्यय को शामिल करने की सिफारिश की।
3. प्रति व्यक्ति प्रतिदिन उपभोग व्यय के आधार पर गरीबी रेखा तय की गई — ₹32 (शहरी) और ₹26 (ग्रामीण)।
4. 2011–12 के लिए राष्ट्रीय गरीबी रेखा: ₹816/माह (ग्रामीण) और ₹1,000/माह (शहरी)।
रंगराजन समिति (2014)
1. 2012 में गठित, 2014 में रिपोर्ट प्रस्तुत की।
2. शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए अलग उपभोग टोकरी की सिफारिश।
3. गरीबी रेखा को ₹47 (शहरी) और ₹32 (ग्रामीण)/दिन तक बढ़ाया।
4. सरकार ने इस रिपोर्ट को स्वीकार नहीं किया, इसलिए आज भी टेंडुलकर पद्धति का उपयोग होता है।

गरीबी उन्मूलन के लिए सरकारी प्रयास

  • मनरेगा: ग्रामीण क्षेत्रों में 100 दिन का अकुशल कार्य सुनिश्चित करता है; टिकाऊ परिसंपत्तियाँ बनाता है।
  • राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA), 2013: 67% आबादी को अत्यधिक रियायती दर पर खाद्यान्न का कानूनी अधिकार।
  • प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (PMUY), 2016: BPL परिवारों की महिलाओं को LPG कनेक्शन प्रदान करता है।
  • दीनदयाल अंत्योदय योजना – राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (DAY-NRLM): गरीब परिवारों को स्वरोजगार और कुशल रोजगार के अवसर प्रदान कर सतत आजीविका सुनिश्चित करता है।
  • आयुष्मान भारत योजना: प्रति परिवार प्रति वर्ष ₹5 लाख तक का स्वास्थ्य बीमा, जिससे महंगे उपचार के कारण गरीबी में गिरने से रोका जा सके।

निष्कर्ष 

  • भारत में गरीबी में आई गिरावट तकनीकी परिष्कार और नीतिगत परिणामों का संगम है। 
  • बढ़ी हुई गरीबी रेखा के बावजूद, भारत ने दिखाया कि ईमानदार डेटा, न कि कमजोर मानक, वास्तविक प्रगति को उजागर कर सकते हैं। 
  • जैसे-जैसे वैश्विक समुदाय गरीबी लक्ष्यों को फिर से परिभाषित कर रहा है, भारत का उदाहरण यह दर्शाता है कि प्रमाण-आधारित शासन, सतत सुधार, और पद्धतिगत ईमानदारी मिलकर परिवर्तनकारी परिणाम दे सकते हैं।

Source: IE

 

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