भारत की न्यायपालिका और कानून प्रवर्तन में AI का एकीकरण

पाठ्यक्रम: GS2/सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप; GS3/विज्ञान और प्रौद्योगिकी

संदर्भ

  • न्यायिक प्रक्रियाओं, केस प्रबंधन, कानूनी अनुसंधान और कानून प्रवर्तन में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) को एकीकृत करके, भारत परिचालन को सुव्यवस्थित कर रहा है, देरी को कम कर रहा है और न्याय को सभी के लिए अधिक सुलभ बना रहा है।

भारत की कानूनी और कानून प्रवर्तन प्रणाली की वर्तमान स्थिति

  • भारत की न्यायपालिका एक पदानुक्रमित संरचना के अंतर्गत कार्य करती है, जिसमें उच्चतम न्यायालय सबसे ऊपर है, उसके बाद उच्च न्यायालय और अधीनस्थ न्यायालय हैं।
  • अपने सुस्थापित कानूनी ढाँचे के बावजूद, यह प्रणाली निम्नलिखित चुनौतियों का सामना करती है:
    • केस बैकलॉग: 5 करोड़ से अधिक लंबित मामले (राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड, एनजेडीजी के अनुसार) न्यायालयों पर भार हैं।
    • विलंबित निर्णय: जटिल दस्तावेज़ीकरण और प्रक्रियात्मक अक्षमताओं के कारण लंबी कानूनी कार्यवाही।
    • मैनुअल केस प्रबंधन: पारंपरिक कागज़-आधारित दस्तावेज़ीकरण न्यायिक कार्यों को धीमा कर देता है।
    • कानून प्रवर्तन चुनौतियाँ: पुलिस की अक्षमता, बढ़ता साइबर अपराध एवं सीमित संसाधन प्रभावी अपराध रोकथाम और जाँच में बाधा डालते हैं।

भारत की न्यायपालिका में AI के अनुप्रयोग

  • AI-संचालित कानूनी अनुसंधान और केस प्रबंधन: भारत के उच्चतम न्यायालय द्वारा विकसित SUPACE जैसे AI-संचालित कानूनी अनुसंधान उपकरण, न्यायाधीशों को विशाल कानूनी डेटा का कुशलतापूर्वक विश्लेषण करने में सहायता करते हैं।
  • पूर्वानुमानित न्याय और केस प्राथमिकता: मशीन लर्निंग एल्गोरिदम पिछले फैसलों और कानूनी मिसालों के आधार पर केस के नतीजों का अनुमान लगा सकते हैं। न्यायालय AI मॉडल का लाभ उठा सकते हैं:
    • अत्यावश्यक मामलों को प्राथमिकता देना, जिससे देरी कम हो।
    • संभावित केस अवधि का अनुमान लगाना।
    • केस खारिज या स्वीकृतियों में पैटर्न की पहचान करना।
  • आभासी न्यायालय और AI-संचालित विवाद समाधान: भारत ने आभासी सुनवाई और ऑनलाइन केस प्रबंधन को सक्षम करने के लिए ई-कोर्ट लॉन्च किए हैं।
    • AI-संचालित ऑनलाइन विवाद समाधान (ODR) प्लेटफ़ॉर्म न्यायिक हस्तक्षेप के बिना छोटे विवादों को हल करने में सहायता करते हैं, जिससे समय और संसाधनों की बचत होती है।
  • कानूनी दस्तावेजों के लिए AI-सहायता प्राप्त अनुवाद: भारत की भाषाई विविधता के साथ, AI-आधारित वास्तविक समय कानूनी अनुवाद उपकरण न्यायालयों में भाषा के अंतर को समाप्त कर सकते हैं, जिससे क्षेत्रीय भाषाओं में कानूनी संसाधन सुलभ हो सकते हैं।

कानून प्रवर्तन और अपराध रोकथाम में AI

  • AI-संचालित निगरानी और चेहरे की पहचान: अपराध एवं अपराधी ट्रैकिंग नेटवर्क और सिस्टम (CCTNS) AI-संचालित चेहरे की पहचान तथा भविष्य कहनेवाला पुलिसिंग को एकीकृत करता है:
    • CCTV फुटेज का उपयोग करके संदिग्धों की पहचान करना।
    • वास्तविक समय में लापता व्यक्तियों और अपराधियों को ट्रैक करना।
    • AI-सहायता प्राप्त भीड़ निगरानी के साथ सार्वजनिक सुरक्षा बढ़ाना।
  • भविष्य कहनेवाला पुलिसिंग और अपराध विश्लेषण: AI-आधारित भविष्य कहनेवाला विश्लेषण कानून प्रवर्तन एजेंसियों को अपराधों का अनुमान लगाने और उन्हें रोकने में सहायता करता है। AI उपकरण विश्लेषण करते हैं:
    • अपराध के हॉटस्पॉट का पता लगाने के लिए ऐतिहासिक अपराध डेटा।
    • बार-बार अपराध करने वालों के व्यवहार पैटर्न।
    • साइबर अपराधियों को ट्रैक करने के लिए सोशल मीडिया और ऑनलाइन गतिविधियाँ।
  • फोरेंसिक जाँच में AI: AI-संचालित फोरेंसिक उपकरण साक्ष्य विश्लेषण को बढ़ाते हैं, जिसमें शामिल हैं:
    • डिजिटल जाँच में आवाज पहचान और डीपफेक का पता लगाना।
    • मामले के तेज़ी से समाधान के लिए AI-सहायता प्राप्त DNA और फिंगरप्रिंट मिलान।
    • AI-संचालित डेटा फोरेंसिक का उपयोग करके साइबर अपराध ट्रैकिंग।
  • सार्वजनिक सहायता के लिए AI चैटबॉट: कई राज्यों ने नागरिकों की सहायता के लिए AI-संचालित पुलिस चैटबॉट तैनात किए हैं:
    • ऑनलाइन FIR दर्ज करना।
    • केस अपडेट को ट्रैक करना।
    • सरल भाषा में कानूनी परामर्श प्राप्त करना।
  • अन्य: AI-संचालित प्रौद्योगिकियाँ – जिनमें मशीन लर्निंग (ML), नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग (NLP), ऑप्टिकल कैरेक्टर रिकॉग्निशन (OCR) और प्रिडिक्टिव एनालिटिक्स शामिल हैं, का उपयोग अब प्रशासनिक कार्यों को स्वचालित करने, केस ट्रैकिंग में सुधार करने और अपराध की रोकथाम को बढ़ाने के लिए किया जा रहा है।

भारत की न्यायपालिका और कानून प्रवर्तन में AI अपनाने की चुनौतियाँ

  • नैतिक और पक्षपातपूर्ण चिंताएँ: AI मॉडल ऐतिहासिक न्यायिक डेटा से पक्षपात प्राप्त कर सकते हैं, जिससे कानूनी निर्णय लेने में निष्पक्षता और निष्पक्षता संबंधी चिंताएँ बढ़ सकती हैं।
  • डेटा गोपनीयता और सुरक्षा: AI-संचालित प्रणालियों को विशाल कानूनी और अपराध डेटाबेस तक पहुँच की आवश्यकता होती है। डेटा गोपनीयता एवं सुरक्षा सुनिश्चित करना महत्त्वपूर्ण है।
  • बुनियादी ढाँचा और डिजिटल विभाजन: सभी न्यायालयों और पुलिस स्टेशनों के पास AI बुनियादी ढाँचे तक पहुँच नहीं है, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में।
  • कानूनी और नियामक ढाँचा: भारत में AI-संचालित न्यायिक और कानून प्रवर्तन तंत्रों को विनियमित करने के लिए AI-विशिष्ट कानूनी ढाँचों का अभाव है।

AI एकीकरण के लिए सरकार की पहल

  • SUVAS & SUPACE (उच्चतम न्यायालय AI):
    • न्यायिक डोमेन के अंग्रेजी दस्तावेजों को स्थानीय भाषाओं में अनुवाद करने तथा इसके विपरीत अनुवाद करने के लिए SUVAS (सुप्रीम कोर्ट विधिकअनुवाद सॉफ्टवेयर) विकसित किया गया है।
    • SUPACE (न्यायालय दक्षता में सहायता के लिए उच्चतम न्यायालय पोर्टल) केस अनुसंधान और कानूनी विश्लेषण में उच्चतम न्यायालय  के न्यायाधीशों की सहायता करता है।
  • कानूनी अनुवाद और भाषा सुलभता के लिए AI :
AI एकीकरण के लिए सरकार की पहल
  • ई-कोर्ट (चरण III) मिशन मोड परियोजना: यह भारत में न्यायालयों में केस प्रबंधन और प्रशासनिक दक्षता बढ़ाने के लिए उन्नत AI समाधानों को एकीकृत करता है।
    • केंद्र सरकार ने ई-कोर्ट चरण III परियोजना के लिए ₹7210 करोड़ आवंटित किए, इसमें से ₹53.57 करोड़ विशेष रूप से भारत में उच्च न्यायालयों में AI और ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकियों के एकीकरण के लिए निर्धारित किए गए हैं।
  • CCTNS (क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क एंड सिस्टम): अपराधियों पर नज़र रखने और राज्यों में जाँच का समन्वय करने के लिए एक राष्ट्रव्यापी AI-सक्षम पुलिस डेटाबेस।
  • AI टास्क फ़ोर्स और नीति आयोग की AI रणनीति: नीति आयोग AI टास्क फ़ोर्स न्यायिक और पुलिस सुधारों सहित शासन में AI अपनाने के लिए नीतियाँ तैयार कर रहा है।

आगे की राह: बेहतर न्याय प्रणाली के लिए AI 

  • AI नैतिकता संबंधी दिशा-निर्देश स्थापित करना: AI-संचालित कानूनी निर्णयों में निष्पक्षता और पारदर्शिता सुनिश्चित करना।
  • AI अवसंरचना को मजबूत करना: न्यायाधीशों और कानून प्रवर्तन कर्मियों के लिए AI प्रशिक्षण में निवेश करना।
  • सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाना: नागरिकों को AI-आधारित कानूनी संसाधनों और अधिकारों के बारे में शिक्षित करना।
  • कानून में AI अनुसंधान को प्रोत्साहित करना: शैक्षणिक और उद्योग भागीदारी के माध्यम से कानूनी AI अनुप्रयोगों में नवाचार का समर्थन करना।

Source: PIB