पाठ्यक्रम: GS2/अंतर्राष्ट्रीय संबंध
संदर्भ
- इंडोनेशियाई राष्ट्रपति 76वें भारत के गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में भारत पहुंचे – इस अवसर पर शामिल होने वाले दक्षिण पूर्व एशियाई देश के चौथे नेता।
परिचय
- भारत द्वारा गणतंत्र दिवस के लिए मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया जाना दोनों देशों के बीच संबंधों में निकटता को दर्शाता है।
- इंडोनेशिया के प्रथम राष्ट्रपति 1950 में भारत के पहले गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि थे।
- भारत और इंडोनेशिया ने समुद्री सुरक्षा, स्वास्थ्य, पारंपरिक चिकित्सा, संस्कृति एवं डिजिटल सहयोग पर समझौतों पर हस्ताक्षर किए।
प्रधानमंत्री के संबोधन के मुख्य अंश
- इंडोनेशिया 10 देशों वाले आसियान ब्लॉक के साथ-साथ हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत का एक “महत्त्वपूर्ण साझेदार” है।
- उन्होंने ब्रिक्स समूह में इंडोनेशिया का स्वागत किया।
- इंडोनेशिया औपचारिक रूप से ब्रिक्स में शामिल होने वाला प्रथम दक्षिण-पूर्व एशियाई देश बन गया।
- समुद्री सुरक्षा, साइबर सुरक्षा, आतंकवाद-रोधी और कट्टरपंथ-विरोधी क्षेत्र में सहयोग।
- दोनों पक्ष अपनी-अपनी आपदा प्रबंधन टीमों द्वारा संयुक्त अभ्यास करेंगे।
भारत-इंडोनेशिया संबंध और महत्त्व
- इतिहास और पृष्ठभूमि:
- संबंधों की नींव: उपनिवेशवाद के साझा अनुभव और राजनीतिक संप्रभुता एवं आर्थिक आत्मनिर्भरता के सामान्य उत्तर-औपनिवेशिक लक्ष्यों ने 1940 तथा 1950 के दशक के अंत में इंडोनेशिया के साथ भारत के मैत्रीपूर्ण द्विपक्षीय संबंधों को प्रेरित किया।
- 1951 में, भारत और इंडोनेशिया ने मैत्री संधि पर हस्ताक्षर किए, जिसका उद्देश्य स्थायी शांति एवं अपरिवर्तनीय मित्रता थी।
- गुटनिरपेक्ष आंदोलन की स्थापना: भारत और इंडोनेशिया संयुक्त राष्ट्र में एशियाई एवं अफ्रीकी देशों की स्वतंत्रता की आवाज़ बन गए, जिसके कारण 1955 में बांडुंग सम्मेलन और उसके बाद 1961 में गुटनिरपेक्ष आंदोलन का गठन हुआ।
- भारत और इंडोनेशिया युगोस्लाविया, मिस्र एवं घाना के साथ गुटनिरपेक्ष आंदोलन के पाँच संस्थापक नेताओं में से थे।
- पूर्व की ओर देखो: 1991 में भारत की ‘पूर्व की ओर देखो नीति’ को अपनाने एवं 2014 में इसे ‘पूर्व की ओर काम करो’ में अपग्रेड करने के पश्चात से, द्विपक्षीय संबंधों का तेजी से विकास हुआ है।
- संबंधों की नींव: उपनिवेशवाद के साझा अनुभव और राजनीतिक संप्रभुता एवं आर्थिक आत्मनिर्भरता के सामान्य उत्तर-औपनिवेशिक लक्ष्यों ने 1940 तथा 1950 के दशक के अंत में इंडोनेशिया के साथ भारत के मैत्रीपूर्ण द्विपक्षीय संबंधों को प्रेरित किया।
- भू-आर्थिक संबंध:
- व्यापार संबंध: इंडोनेशिया आसियान क्षेत्र में भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है (सिंगापुर के बाद)।
- द्विपक्षीय व्यापार 2005-06 में 4.3 बिलियन डॉलर से बढ़कर 2022-23 में 38.84 बिलियन डॉलर और 2023-24 में 29.40 बिलियन डॉलर हो गया।
- भारत-इंडोनेशिया द्विपक्षीय संबंधों को 2018 में व्यापक रणनीतिक साझेदारी तक बढ़ाया गया।
- भारत-प्रशांत क्षेत्र में भारत-इंडोनेशिया समुद्री सहयोग के साझा दृष्टिकोण को भी अपनाया गया।
- व्यापार संबंध: इंडोनेशिया आसियान क्षेत्र में भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है (सिंगापुर के बाद)।
- भू-राजनीतिक जुड़ाव:
- साझा मंच: दोनों देश ब्रिक्स, G20, IORA और पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन जैसे प्रमुख अंतरराष्ट्रीय मंचों में सक्रिय रूप से भाग लेते हैं, वैश्विक मुद्दों पर सहयोग को बढ़ावा देते हैं।
- नीति संरेखण: भारत की “एक्ट ईस्ट पॉलिसी” और “इंडो-पैसिफिक महासागर पहल” इंडोनेशिया के “ग्लोबल मैरीटाइम फुलक्रम” विजन के साथ अच्छी तरह से संरेखित हैं, जो समुद्री सुरक्षा, कनेक्टिविटी और आर्थिक विकास जैसे क्षेत्रों में क्षेत्रीय सहयोग के लिए तालमेल बनाते हैं।
- भू-रणनीतिक महत्त्व:
- समुद्री सुरक्षा: भारतीय और प्रशांत महासागरों के बीच इंडोनेशिया की रणनीतिक स्थिति इसे क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा और स्थिरता बनाए रखने के लिए एक महत्त्वपूर्ण भागीदार बनाती है।
- प्रतिसंतुलन प्रभाव: इंडोनेशिया की रणनीतिक स्थिति और बढ़ता प्रभाव भारत के रणनीतिक हितों के साथ सामंजस्य स्थापित करते हुए, इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभुत्व को संतुलित करने में सहायता कर सकता है।
- आतंकवाद-रोधी: चरमपंथ और अंतरराष्ट्रीय अपराध द्वारा उत्पन्न साझा चुनौतियों को देखते हुए, आतंकवाद-रोधी प्रयासों में सहयोग आवश्यक है।
- सांस्कृतिक संबंध:
- मजबूत आधार वाले सांस्कृतिक संबंध: ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध, विशेष रूप से हिंदू परंपराओं तथा रामायण एवं महाभारत जैसे महाकाव्यों का प्रभाव, दोनों देशों के बीच लोगों के बीच मजबूत संबंधों को बढ़ावा देता है।
- पर्यटन क्षमता: इन साझा सांस्कृतिक जड़ों का लाभ दोनों देशों के बीच पर्यटन और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के लिए उठाया जा सकता है।
चुनौतियां
- व्यापार असंतुलन: व्यापार संतुलन प्रायः इंडोनेशिया के पक्ष में झुका रहता है, जिसका मुख्य कारण पाम ऑयल और कोयले का अधिक आयात है।
- दोनों देश इस असंतुलन को कम करने के लिए व्यापार में विविधता लाने के तरीके तलाश रहे हैं।
- क्षेत्रीय तनाव: क्षेत्रीय तनाव और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में बदलती गतिशीलता, विशेषकर चीन के उदय के कारण चुनौतियां उत्पन्न हो रही हैं।
- दोनों देश अपनी रणनीतिक साझेदारी को बनाए रखते हुए इन दबावों से निपट रहे हैं।
निष्कर्ष
- भारत एवं इंडोनेशिया के बीच बहुआयामी और बढ़ते सम्बन्ध हैं, जो ऐतिहासिक संबंधों, आर्थिक सहयोग और साझा सुरक्षा चिंताओं पर आधारित हैं।
- दोनों देशों में आने वाले वर्षों में क्षेत्रीय स्थिरता, आर्थिक विकास और सांस्कृतिक आदान-प्रदान पर ध्यान केंद्रित करते हुए अपनी साझेदारी को और गहरा करने की काफी संभावना है।
Source: TH
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