बिहार को मिलेगा प्रथम परमाणु ऊर्जा संयंत्र

पाठ्यक्रम: GS3/ ऊर्जा

संदर्भ

  •  बिहार अपना प्रथम परमाणु ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने जा रहा है, जिससे वह भारत सरकार के राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा मिशन से लाभान्वित होने वाले पहले छह राज्यों में शामिल हो जाएगा।

परिचय

  • यह घोषणा भारत की ऊर्जा संरचना में विविधता लाने, क्षेत्रीय ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करने और स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर्स (SMRs) जैसी उन्नत तकनीकों को अपनाने के व्यापक प्रयास का हिस्सा है।
  •  सरकार ने बिहार में 1,000 मेगावाट बैटरी भंडारण क्षमता परियोजना को भी मंजूरी दी है, जिसका उद्देश्य ग्रिड की स्थिरता बढ़ाना और नवीकरणीय ऊर्जा को प्रणाली में एकीकृत करना है।
  •  इस पहल के लिए सरकार प्रति मेगावाट ₹18 लाख की व्यवहार्यता अंतर निधि (Viability Gap Funding) प्रदान करेगी।
परमाणु ऊर्जा क्या है?
– परमाणु ऊर्जा वह ऊर्जा है जो परमाणु प्रतिक्रियाओं के दौरान निकलती है, या तो विखंडन (परमाणु नाभिक का विखंडन) या संलयन (परमाणु नाभिक का विलय) के माध्यम से।
– परमाणु विखंडन में, भारी परमाणु नाभिक, जैसे कि यूरेनियम या प्लूटोनियम, हल्के नाभिक में विभाजित हो जाते हैं, जिससे बड़ी मात्रा में ऊर्जा निकलती है।
– इस प्रक्रिया का उपयोग परमाणु ऊर्जा संयंत्रों में बिजली उत्पन्न करने के लिए किया जाता है।

स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर्स (SMRs) क्या हैं? 

  • स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर्स (SMRs) उन्नत परमाणु रिएक्टर होते हैं जिनकी प्रति इकाई विद्युत उत्पादन क्षमता 300 मेगावाट (MW(e)) तक होती है, जो पारंपरिक परमाणु संयंत्रों की उत्पादन क्षमता का लगभग एक-तिहाई होता है।
    • स्मॉल – पारंपरिक परमाणु रिएक्टर की तुलना में आकार में बहुत छोटा।
    •  मॉड्यूलर – जिससे इसके सिस्टम और घटकों को फैक्ट्री में तैयार करके किसी स्थान पर एक इकाई के रूप में स्थापित किया जा सकता है। 
    • रिएक्टर्स – जो परमाणु विखंडन के माध्यम से ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए ताप उत्पन्न करते हैं।
  • SMR के चार प्रमुख प्रकार हैं: लाइट वॉटर, हाई टेम्परेचर गैस, लिक्विड मेटल और मोल्टन सॉल्ट।
  • SMR के लाभ बेहतर सुरक्षा विशेषताएँ: SMR में प्राकृतिक संवहन और गुरुत्वाकर्षण-आधारित कूलिंग जैसे निष्क्रिय सुरक्षा तंत्र होते हैं, जो बाहरी विद्युत या मानवीय हस्तक्षेप के बिना रिएक्टर को अधिक गर्म होने से रोकते हैं।
  •  लचीलापन: SMR की मॉड्यूलर प्रकृति उन्हें चरणबद्ध रूप से स्थापित करने की सुविधा देती है, जो बढ़ती ऊर्जा मांगों के लिए उपयुक्त है।
  •  दूरदराज और ऑफ-ग्रिड क्षेत्रों के लिए अनुकूलता: SMR के कॉम्पैक्ट डिज़ाइन उन्हें छोटे ग्रिड सिस्टम, जिला ताप आपूर्ति और समुद्री जल विलवणीकरण जैसे अनुप्रयोगों के लिए उपयुक्त बनाते हैं। 
  • लागत-कुशल निर्माण: नियंत्रित वातावरण में पूर्व-निर्माण से साइट पर निर्माण का समय और लागत दोनों घटते हैं।

भारत में परमाणु क्षमता बढ़ाने के लिए सरकारी पहलें 

  • भारत का लक्ष्य अपनी वर्तमान 8,180 मेगावाट परमाणु स्थापित क्षमता को 2031–32 तक 22,480 मेगावाट तक बढ़ाना है। 
  • गुजरात, राजस्थान, तमिलनाडु, हरियाणा, कर्नाटक और मध्य प्रदेश में 8,000 मेगावाट क्षमता के 10 रिएक्टरों का निर्माण और कमीशनिंग प्रगति पर है। 
  • अंतरराष्ट्रीय सहयोग: आंध्र प्रदेश के कोव्वाडा में अमेरिका के सहयोग से 6 × 1,208 मेगावाट परमाणु रिएक्टरों की स्थापना के लिए सैद्धांतिक मंज़ूरी दी गई है।

भारत में परमाणु ऊर्जा के हालिया विकास 

  • झारखंड के जादूगुड़ा (भारत की सबसे पुरानी यूरेनियम खान) के पास एक महत्वपूर्ण नया यूरेनियम भंडार खोजा गया है।
  • राजस्थान परमाणु ऊर्जा परियोजना (RAPP-7) की क्रिटिकलिटी प्राप्ति: 19 सितंबर, 2024 को RAPP की इकाई-7 ने क्रिटिकलिटी प्राप्त की — जो परमाणु रिएक्टर परिचालन में एक महत्वपूर्ण चरण है, जो आत्म-निर्भर विखंडन श्रृंखला प्रतिक्रिया की शुरुआत को दर्शाता है।
    •  यह तीसरा स्वदेशी परमाणु रिएक्टर है जिसने यह स्थिति प्राप्त की है। 
  • काकरापार परमाणु ऊर्जा स्टेशन की इकाई 3 और 4, प्रत्येक 700 मेगावाट विद्युत उत्पादन क्षमता वाली, ने वित्त वर्ष 2023–24 में वाणिज्यिक परिचालन शुरू किया।
    • ये इतने बड़े स्तर के पहले स्वदेशी रूप से डिज़ाइन किए गए प्रेसराइज्ड हेवी वॉटर रिएक्टर (PHWRs) में से हैं। 
  • भारत का प्रथम 500 मेगावाट फास्ट ब्रीडर रिएक्टर (PFBR) कलपक्कम में 2024 में प्रमुख उपलब्धियाँ प्राप्त कर चुका है, जिनमें प्राइमरी सोडियम फिलिंग, सोडियम पंपों का कमीशनिंग और कोर लोडिंग शामिल हैं।
परमाणु ऊर्जा मिशन
क्षमता लक्ष्य: 2047 तक 100 गीगावाट (वर्तमान क्षमता: 8 गीगावाट)।
छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर (एसएमआर): अनुसंधान एवं विकास तथा स्वदेशी एसएमआर विकास के लिए ₹20,000 करोड़ का आवंटन।
लक्ष्य: 2033 तक पांच परिचालन एसएमआर।
निजी क्षेत्र की भागीदारी: प्रमुख विधानों में प्रस्तावित संशोधन:
परमाणु ऊर्जा अधिनियम, 1962: परमाणु ऊर्जा विकास और विनियमन के लिए रूपरेख।
परमाणु क्षति के लिए नागरिक दायित्व अधिनियम, 2010: परमाणु घटनाओं के लिए क्षतिपूर्ति तंत्र सुनिश्चित करना।
क्षमता विस्तार: गुजरात, राजस्थान, तमिलनाडु, हरियाणा, कर्नाटक और मध्य प्रदेश में 10 नए रिएक्टर (कुल 8 गीगावाट) निर्माणाधीन हैं।
अमेरिका के सहयोग से आंध्र प्रदेश में 6×1208 मेगावाट के परमाणु संयंत्र के लिए स्वीकृति।
परमाणु साझेदारी: भारत लघु रिएक्टर और भारत लघु मॉड्यूलर रिएक्टर विकसित करने के लिए निजी क्षेत्र के साथ सहयोग।

Source: IE

 

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