पाठ्यक्रम: GS2/अंतर्राष्ट्रीय संबंध
संदर्भ
- हाल ही में भारत-जापान अर्थव्यवस्था एवं निवेश फोरम का आयोजन किया गया।
परिचय
- व्यापार अधिशेष पर चिंता: केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने भारत के साथ जापान के बढ़ते व्यापार अधिशेष पर चिंता व्यक्त की।
- निर्यात में स्थिरता: जापान को भारत का निर्यात पिछले 15 वर्षों से स्थिर बना हुआ है।
- भारत में कई जापानी निवेश कोरिया, जापान, ताइवान और चीन जैसे देशों से उत्पाद प्राप्त करते हैं, जो भारत को मुख्य रूप से अपने माल के लिए बाज़ार के रूप में उपयोग करते हैं।
- जापान का बढ़ता निर्यात: भारत में जापानी निर्यात लगातार बढ़ रहा है, जिससे व्यापार असंतुलन खराब हो रहा है।
- असंतुलन को संबोधित करने पर ध्यान: केंद्रीय मंत्री ने दोनों देशों के बीच व्यापार में इस बढ़ती असमानता को संबोधित करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।
- उन्होंने जापानी कंपनियों से भारत में ऐसी वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन करने का आग्रह किया, जिन्हें जापान को निर्यात किया जा सके, जिसका उद्देश्य व्यापार संबंधों को संतुलित करना है।
भारत और जापान संबंधों पर संक्षिप्त जानकारी
- ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध: दोनों देश आध्यात्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं को साझा करते हैं, जैसे कि जापान के सात भाग्यशाली देवताओं पर हिंदू धर्म का प्रभाव एवं 752 ई. में जापान के तोडाजी मंदिर में भारतीय भिक्षु बोधिसेना द्वारा भगवान बुद्ध की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा जैसे ऐतिहासिक संबंध।
- संबंधों की स्थापना: द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात, भारत ने जापान के साथ एक अलग शांति संधि का विकल्प चुना, जिस पर 1952 में हस्ताक्षर किए गए, जिसने औपचारिक राजनयिक संबंधों की शुरुआत को चिह्नित किया।
- रणनीतिक सामंजस्य: दोनों देश भारत की एक्ट-ईस्ट पॉलिसी, इंडो-पैसिफिक विजन (SAGAR) और जापान के फ्री एंड ओपन इंडो-पैसिफिक विजन जैसी प्रमुख क्षेत्रीय पहलों पर एकमत हैं।
- व्यापार और निवेश: जापान भारत की आर्थिक वृद्धि में एक महत्त्वपूर्ण सहयोगी है, 2000 से 2024 तक जापान से FDI $43 बिलियन से अधिक हो गया है, जिससे यह भारत का विदेशी निवेश का पाँचवाँ सबसे बड़ा स्रोत बन गया है।
- 2023-24 में, जापान को देश का निर्यात $5.15 बिलियन और आयात $17.7 बिलियन था। व्यापार घाटा $12.55 बिलियन था।
- वैश्विक पहलों पर सहयोग: जापान और भारत अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA), आपदा रोधी अवसंरचना के लिए गठबंधन (CDRI), और उद्योग परिवर्तन के लिए नेतृत्व समूह (LeadIT) जैसी पहलों में सहयोग करते हैं।
- दोनों देश जापान-ऑस्ट्रेलिया-भारत-अमेरिका क्वाड और भारत-जापान-ऑस्ट्रेलिया आपूर्ति शृंखला लचीलापन पहल (SCRI) जैसे बहुपक्षीय ढाँचों में एक साथ कार्य करते हैं।
- एकीकृत रक्षा साझेदारी: भारत-जापान रक्षा सहयोग द्विपक्षीय संबंधों का एक प्रमुख स्तंभ है, जो इंडो-पैसिफिक शांति, सुरक्षा और स्थिरता पर केंद्रित है।
- मुख्य समझौते:
- सुरक्षा सहयोग पर संयुक्त घोषणा (2008)।
- रक्षा सहयोग ज्ञापन (2014)।
- रक्षा उपकरण और प्रौद्योगिकी (2015) और वर्गीकृत सैन्य सूचना के संरक्षण (2015) पर समझौते।
- आपूर्ति और सेवा समझौते का पारस्परिक प्रावधान (2020)।
- अभ्यास और संयुक्त गतिविधियाँ: समुद्री अभ्यास मालाबार।
- जापान में प्रथम द्विपक्षीय लड़ाकू अभ्यास, वीर गार्जियन (2023)।
- जापान में पहली बार सेना-से-सेना अभ्यास धर्म गार्जियन आयोजित किया गया (2023)।
- भारतीय वायुसेना और JASDF के बीच अभ्यास शिन्नु मैत्री।
- दो देशों के बीच JIMEX संयुक्त नौसेना अभ्यास।
- भारत में कनेक्टिविटी परियोजनाएँ: जापान की तकनीकी और वित्तीय सहायता से मुंबई से अहमदाबाद तक प्रथम हाई स्पीड रेल (HSR) कॉरिडोर लागू किया जा रहा है।
- वर्तमान में, छह मेट्रो रेल परियोजनाएँ (अहमदाबाद, बैंगलोर, चेन्नई, दिल्ली, कोलकाता, मुंबई) जापान की तकनीकी और वित्तीय सहायता से कार्यान्वित की जा रही हैं।
- अंतरिक्ष सहयोग: इसरो और JAXA एक्स-रे खगोल विज्ञान, उपग्रह नेविगेशन, चंद्र अन्वेषण और एशिया प्रशांत क्षेत्रीय अंतरिक्ष एजेंसी फोरम (APRSAF) में सहयोग करते हैं। 2016 में, उन्होंने शांतिपूर्ण अंतरिक्ष अन्वेषण और उपयोग के लिए एक सहयोग ज्ञापन (MoC) पर हस्ताक्षर किए।
चुनौतियाँ
- व्यापार असंतुलन: एक महत्त्वपूर्ण व्यापार असंतुलन है, जापान भारत को जितना निर्यात करता है, उससे कहीं अधिक भारत जापान को निर्यात करता है, जिससे बेहतर पारस्परिक व्यापार की ज़रूरत उत्पन्न होती है।
- भू-राजनीतिक तनाव: क्षेत्रीय सुरक्षा मुद्दे, जैसे कि इंडो-पैसिफिक में चीन का प्रभाव, भारत-जापान संबंधों के लिए चुनौतियाँ प्रस्तुत करते हैं, जिसके लिए सावधानीपूर्वक कूटनीतिक संतुलन की ज़रूरत होती है।
- सांस्कृतिक और भाषाई बाधाएँ: मज़बूत संबंधों के बावजूद, भाषा, संस्कृति और व्यावसायिक प्रथाओं में अंतर गहन एकीकरण के लिए चुनौतियाँ प्रस्तुत करते हैं।
- लोगों के बीच सीमित आदान-प्रदान: लोगों के बीच बातचीत का पैमाना अभी भी सीमित है, जिससे गहरी आपसी समझ प्रभावित होती है।
- बुनियादी ढाँचे की बाधाएँ: सुधारों के बावजूद, भारत के कुछ क्षेत्रों में अभी भी बड़े पैमाने पर जापानी निवेश को प्रभावी ढंग से समर्थन देने के लिए आवश्यक बुनियादी ढाँचे का अभाव है।
- अलग-अलग आर्थिक प्राथमिकताएँ: भारत का तेज़ आर्थिक विकास पर ध्यान कभी-कभी जापान के सतत् विकास और प्रौद्योगिकी पर बल के विपरीत हो सकता है।
आगे की राह
- व्यापार और निवेश को बढ़ावा देना: जापान को भारतीय निर्यात बढ़ाकर और भारत के विनिर्माण एवं प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में जापानी निवेश को प्रोत्साहित करके व्यापार असंतुलन को कम करने पर ध्यान केंद्रित करना।
- लोगों के बीच संपर्क को बढ़ावा देना: आपसी समझ को गहरा करने के लिए सांस्कृतिक आदान-प्रदान, पर्यटन और शैक्षिक सहयोग बढ़ाना।
- प्रौद्योगिकी और नवाचार साझेदारी: प्रौद्योगिकी में जापान की विशेषज्ञता और भारत के बढ़ते डिजिटल क्षेत्र का लाभ उठाकर AI, रोबोटिक्स, नवीकरणीय ऊर्जा एवं अंतरिक्ष अन्वेषण में सहयोग करना।
- पर्यावरण संबंधी चिंताओं को संबोधित करना: दोनों देशों के हरित ऊर्जा लक्ष्यों का समर्थन करने के लिए पर्यावरणीय स्थिरता, जलवायु परिवर्तन और आपदा प्रतिरोधकता पर सहयोग बढ़ाना।
Source: PIB
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