पाठ्यक्रम: GS3/ कृषि
समाचार में
- भारत केन्या से चाय का सबसे बड़ा आयातक देश बन गया है, जिसका आयात 288% बढ़कर 3.53 मिलियन किलोग्राम (जनवरी-अक्टूबर 2023) से बढ़कर 2024 में इसी अवधि के दौरान 13.71 मिलियन किलोग्राम हो गया है।
भारत का चाय उद्योग: वर्तमान स्थिति
- वैश्विक रैंकिंग: चीन के बाद भारत दूसरा सबसे बड़ा चाय उत्पादक देश है, जो वैश्विक चाय उत्पादन में 21% का योगदान देता है।
- निर्यात:
- भारत चौथा सबसे बड़ा निर्यातक है, जिसका वैश्विक निर्यात में 12% भाग है।
- भारत का चाय निर्यात भी जनवरी से अक्टूबर 2023 तक 184.46 मिलियन किलोग्राम से बढ़कर 2024 में इसी चरण के दौरान 209.14 मिलियन किलोग्राम हो गया।
- शीर्ष निर्यात गंतव्यों में UAE, रूस, ईरान, U.S. और U.k. सम्मिलित हैं।
- घरेलू बाजार:
- घरेलू खपत कुल उत्पादन का 80% है, जो भारत की चाय पीने की संस्कृति से प्रेरित है।
- क्षेत्रीय उत्पादन:
- असम भारत की 55% चाय का उत्पादन करता है, जो इसे सबसे बड़ा चाय उत्पादक राज्य बनाता है।
- हालांकि, 2024 में भारत के कुल चाय उत्पादन में 50 मिलियन किलोग्राम की गिरावट आई, जिसमें असम को 20 मिलियन किलोग्राम की हानि हुई।
भारतीय चाय का महत्त्व और क्षमता
- आर्थिक योगदान: भारतीय चाय उद्योग कई प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर प्रदान करता है, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में।
- यह महत्त्वपूर्ण विदेशी मुद्रा और सरकारी राजस्व उत्पन्न करता है।
- वैश्विक प्रतिष्ठा: मजबूत भौगोलिक संकेत, उन्नत चाय प्रसंस्करण सुविधाएं और अभिनव उत्पादों ने भारतीय चाय को वैश्विक स्तर पर सर्वश्रेष्ठ में से एक के रूप में स्थान दिया है।
- रणनीतिक विकास क्षेत्र: विस्तारित उत्पाद मिश्रण, मूल्य संवर्धन और रणनीतिक बाजार विकास ने भारतीय चाय की प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाया है।
भारत के चाय उद्योग के सामने चुनौतियाँ
- स्थिर कीमतें और अधिक आपूर्ति: मांग-आपूर्ति के बीच बढ़ते अंतर के कारण कीमतें स्थिर हो गई हैं, जिससे लाभप्रदता प्रभावित हुई है।
- सस्ता आयात: अन्य देशों से कम लागत वाली चाय के आने से गुणवत्ता संबंधी चिंताएँ उत्पन्न हुई हैं और निर्यात में गिरावट आई है।
- बढ़ती इनपुट लागत: कई चाय बागान बढ़ती लागत के कारण संघर्ष कर रहे हैं, जिसके कारण उन्हें बंद करना पड़ रहा है या मूल कंपनियों से मिलने वाली सब्सिडी पर निर्भर होना पड़ रहा है।
चाय के संबंध में
- वानस्पतिक पृष्ठभूमि: चाय एक सदाबहार फूल वाला पौधा है, जो अपनी पत्तियों और पत्तियों की कलियों के लिए बेशकीमती है, जिनका उपयोग विश्व के सबसे लोकप्रिय पेय पदार्थों में से एक बनाने के लिए किया जाता है।
- खेती की आवश्यकताएँ:
- मृदा: अच्छी जल निकासी वाली मृदा जिसमें उच्च कार्बनिक तत्व और 4.5 से 5.5 का pH हो।
- जलवायु: उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय जलवायु में सबसे अच्छी तरह से उगता है।
- भारत में उत्पत्ति: चाय के पौधे लगभग तीन शताब्दियों पहले चीन और दक्षिण पूर्व एशिया से ब्रिटिश उपनिवेशवादियों द्वारा लाए गए थे।
- भौगोलिक प्रसार:
- मुख्य रूप से पूर्वोत्तर भारत और पश्चिम बंगाल में उगाया जाता है, लेकिन कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश में भी उगाया जाता है।
- दार्जिलिंग चाय भारत के सबसे प्रतिष्ठित उत्पादों में से एक है और पहला GI (भौगोलिक संकेत) पंजीकृत उत्पाद है।
भारतीय चाय बोर्ड – अवलोकन: वाणिज्य मंत्रालय के अंतर्गत एक वैधानिक निकाय, जिसकी स्थापना 1953 के चाय अधिनियम के तहत की गई थी। केंद्रीय चाय बोर्ड और भारतीय चाय लाइसेंसिंग समिति का स्थान लिया। – संरचना: इसमें अध्यक्ष सहित 31 सदस्य शामिल हैं। सदस्यों में सांसद, चाय उत्पादक, व्यापारी, दलाल, उपभोक्ता, राज्य प्रतिनिधि और ट्रेड यूनियन शामिल हैं। – कार्य: घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय चाय को बढ़ावा देना। चाय की खेती और निर्यात को विनियमित करना, अंतर्राष्ट्रीय चाय समझौते जैसे वैश्विक मानकों का अनुपालन सुनिश्चित करना। |
अनुशंसाएँ
- निर्यात को बढ़ावा देना: मूल्य निर्धारण में सुधार करने और प्रीमियम अंतरराष्ट्रीय बाजारों को आकर्षित करने के लिए मूल्य संवर्धन पर ध्यान केंद्रित करना।
- प्रौद्योगिकी एकीकरण: आपूर्ति शृंखला पारदर्शिता के लिए ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी को मजबूत करना और खेती की तकनीकों में अनुसंधान और विकास को बढ़ाना।
- वैश्विक बाज़ार: चाय उत्पादकों को खरीदारों से प्रत्यक्षतः जोड़ने के लिए एक वैश्विक ई-बाज़ार की स्थापना करना।
- सतत अभ्यास: दीर्घकालिक व्यवहार्यता सुनिश्चित करने के लिए पर्यावरण के अनुकूल खेती के तरीकों को प्रोत्साहित करना।
- नीति समर्थन: चाय बागानों को बनाए रखने के लिए लक्षित सब्सिडी, कौशल विकास और वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान करना।
Source: TH
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