नए मसौदा ई-कॉमर्स दिशा-निर्देश

पाठ्यक्रम: GS3/ अर्थव्यवस्था

संदर्भ

  • सरकार ने भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) द्वारा तैयार ‘ई-कॉमर्स – स्व-शासन के लिए सिद्धांत और दिशा-निर्देश’ शीर्षक से मसौदा दिशा-निर्देश जारी किए हैं।

भारत में ई-कॉमर्स बाज़ार

  • भारत का ई-कॉमर्स बाजार 2030 तक 363.30 बिलियन डॉलर तक पहुँचने का अनुमान है।
    • ई-कॉमर्स भारत के कुल खुदरा बाजार का लगभग 7% हिस्सा है। 
  • 2030 तक, भारत में वैश्विक स्तर पर दूसरा सबसे बड़ा ऑनलाइन शॉपर बेस होने का अनुमान है, जिसमें अनुमानित 500 मिलियन शॉपर्स होंगे। 
  • इस क्षेत्र को इंटरनेट की बढ़ती पहुँच, बढ़ती समृद्धि और सस्ती डेटा कीमतों से लाभ हुआ है।

मसौदा दिशा-निर्देशों के प्रमुख प्रावधान

  • लेन-देन से पहले सत्यापन: ई-कॉमर्स प्लेटफ़ॉर्म को विक्रेताओं, विशेष रूप से तृतीय-पक्ष विक्रेताओं के लिए अपने ग्राहक को जानें (KYC) जाँच करने की आवश्यकता होती है।
    • इसमें विक्रेताओं के पहचान विवरण, कानूनी इकाई का नाम, संपर्क जानकारी और व्यावसायिक पते की प्रामाणिकता की पुष्टि करना शामिल है। 
  • विस्तृत उत्पाद लिस्टिंग: विक्रेताओं को शीर्षक, छवियाँ, विनिर्देश और शिपिंग मोड सहित व्यापक उत्पाद जानकारी प्रदान करनी चाहिए।
    • यह सुनिश्चित करता है कि उपभोक्ता सटीक उत्पाद विवरणों के आधार पर सूचित निर्णय ले सकें। 
  • पारदर्शी अनुबंध शर्तें: दिशा-निर्देश पारदर्शी अनुबंध शर्तों के महत्त्व पर बल देते हैं, जिसमें उत्पाद विवरण, मूल्य विखंडन, वापसी नीतियाँ और सुरक्षा चेतावनियों का स्पष्ट प्रकटीकरण शामिल है। 
  • सुरक्षित भुगतान: ई-कॉमर्स प्लेटफ़ॉर्म को उपभोक्ता डेटा की सुरक्षा के लिए एन्क्रिप्शन और दो-कारक प्रमाणीकरण के साथ सुरक्षित भुगतान प्रणाली लागू करनी चाहिए।
    • क्रेडिट/डेबिट कार्ड, मोबाइल भुगतान, ई-वॉलेट और बैंक हस्तांतरण सहित विविध भुगतान विकल्प प्रदान किए जाने चाहिए। 
  • समय पर धनवापसी और वापसी: नकली उत्पादों से निपटने के प्रावधानों के साथ धनवापसी, प्रतिस्थापन और विनिमय के लिए स्पष्ट समयसीमा स्थापित की जानी चाहिए। 
  • उपभोक्ता समीक्षाएँ और रेटिंग: सभी उपभोक्ता समीक्षाएँ और रेटिंग IS 19000:2022 मानकों का अनुपालन करना चाहिए, जिसमें संग्रह, मॉडरेशन और प्रकाशन प्रक्रियाएँ शामिल हैं।
  • डेटा सुरक्षा: ई-कॉमर्स संस्थाओं को डेटा सुरक्षा विनियमों का पालन करना चाहिए, यह सुनिश्चित करते हुए कि उपभोक्ताओं से एकत्र किए गए व्यक्तिगत डेटा का उपयोग केवल लेनदेन की सुविधा और अन्य प्रकट उद्देश्यों के लिए किया जाता है।
  • कोई तरजीही उपचार नहीं: दिशा-निर्देश सभी हितधारकों के लिए समान अवसर बनाए रखने के लिए किसी भी विक्रेता या सेवा प्रदाता के साथ तरजीही व्यवहार को प्रतिबंधित करते हैं।
    • इसमें नकली उत्पादों की बिक्री को रोकने और निष्पक्ष संचालन सुनिश्चित करने के लिए नीतियों को लागू करना सम्मिलित है।
भारत में ई-कॉमर्स मॉडल
बिजनेस टू कंज्यूमर (B2C): Amazon, Flipkart और Myntra जैसे प्लेटफॉर्म इस मॉडल पर काम करते हैं। 
बिजनेस टू बिजनेस (B2B): यह विशेष तौर पर विनिर्माण जैसे उद्योगों के लिए प्रासंगिक है, जहां कंपनियां आपूर्तिकर्ताओं से कच्चा माल, मशीनरी और अन्य आपूर्ति खरीदती हैं। 
1. उड़ान और अलीबाबा जैसे प्लेटफॉर्म इस सेगमेंट को पूरा करते हैं, थोक लेनदेन और आपूर्ति शृंखला समाधान की सुविधा प्रदान करते हैं।
 2. B2B ई-कॉमर्स में 100% FDI की अनुमति है। 
कंज्यूमर टू कंज्यूमर (C2C): OLX और Quikr जैसे प्लेटफॉर्म व्यक्तियों को अपने आइटम सूचीबद्ध करने और बेचने में सक्षम बनाते हैं, जिससे पीयर-टू-पीयर लेनदेन के लिए बाज़ार उपलब्ध होता है। 
बिजनेस टू एडमिनिस्ट्रेशन (B2A) और कंज्यूमर टू एडमिनिस्ट्रेशन (C2A): सरकारी ई-मार्केटप्लेस (GeM) B2A प्लेटफॉर्म का एक उदाहरण है, जो वस्तुओं और सेवाओं की सरकारी खरीद की सुविधा प्रदान करता है।

सरकार के अन्य कदम

  • भारत सरकार ने ई-कॉमर्स के विकास को समर्थन देने के लिए कई पहल की हैं, जिनमें डिजिटल इंडिया कार्यक्रम और वस्तु एवं सेवा कर (GST) ढाँचा शामिल है।
  • राष्ट्रीय ई-कॉमर्स नीति, 2019 का मसौदा डेटा स्थानीयकरण, उपभोक्ता संरक्षण, बौद्धिक संपदा अधिकार और प्रतिस्पर्धा के मुद्दों पर केंद्रित है।
  • डिजिटल कॉमर्स के लिए खुला नेटवर्क: यह विकेंद्रीकृत ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म है जो खुदरा विक्रेताओं के लिए व्यापार करने की लागत को कम करने में सहायता करेगा।
  • सरकारी ई-मार्केटप्लेस (GeM): यह सरकारी विभागों द्वारा सार्वजनिक खरीद के लिए एक ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म है। यह छोटे और मध्यम उद्यमों (SME) के लिए ई-कॉमर्स में पारदर्शिता, दक्षता और समावेशिता को बढ़ावा देता है।

निष्कर्ष

  • मसौदा दिशा-निर्देश ई-कॉमर्स क्षेत्र में बढ़ती चुनौतियों का समाधान करते हुए स्व-नियमन, उपभोक्ता संरक्षण और पारदर्शिता पर बल देते हैं। 
  • भारत के तीव्रता से बढ़ते ई-कॉमर्स विकास के साथ, ये उपाय एक निष्पक्ष, प्रतिस्पर्धी और उपभोक्ता-अनुकूल बाज़ार सुनिश्चित करेंगे, जिससे डिजिटल अर्थव्यवस्था में सतत् विकास को बढ़ावा मिलेगा।

Source: TH