यूरोपीय संघ के साथ आर्थिक संबंधों को सुदृढ़ करने के लिए भारत की 6 सूत्री योजना

पाठ्यक्रम: GS2/ अंतर्राष्ट्रीय संबंध

संदर्भ

  • भारत ने यूरोपीय संघ (EU) के साथ सुदृढ़ आर्थिक साझेदारी को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 6 सूत्री योजना प्रस्तुत की है।

6-सूत्री योजना के संबंध में

  • विश्वसनीय साझेदारी: 2 अरब की संयुक्त जनसंख्या के लिए अभूतपूर्व अवसर सृजित करने हेतु आर्थिक संबंधों को मजबूत करना।
    • सतत सहयोग के लिए विश्वास की नींव बनाएँ।
  • निष्पक्ष व्यापार एजेंडा: टैरिफ और गैर-टैरिफ बाधाओं को कम करने के लिए पारस्परिक रूप से लाभकारी मुक्त व्यापार समझौता (FTA) विकसित करना।
    • छोटे व्यवसायों, किसानों और मछुआरों के लिए लाभ सुनिश्चित करना तथा न्यायसंगत व्यापार प्रथाओं को बढ़ावा देना।
  • उच्च गुणवत्ता वाला उत्पादन: मानकों में सामंजस्य स्थापित करने और गुणवत्ता और स्थिरता पर ध्यान केंद्रित करते हुए “शून्य दोष, शून्य प्रभाव” विनिर्माण को प्राप्त करने के लिए यूरोपीय संघ की सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाना।
  • तकनीकी सहयोग: संयुक्त रूप से अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों का विकास करना तथा महत्त्वपूर्ण कच्चे माल की आपूर्ति शृंखला को सुदृढ़ करना।
    • गैर-बाज़ार अर्थव्यवस्थाओं के विरुद्ध लचीलापन बढ़ाना तथा प्रौद्योगिकी साझाकरण में निष्पक्ष व्यवहार को बढ़ावा देना।
  • सतत विकास: साझा लेकिन विभेदित उत्तरदायित्व के सिद्धांत के अंतर्गत व्यापार को सतत विकास लक्ष्यों के साथ संरेखित करना।
    • नवीकरणीय ऊर्जा, हरित प्रौद्योगिकियों और पर्यावरण संरक्षण में सहयोग करना।
  • पारस्परिक विकास: पारस्परिक विकास के लिए “जीवित सेतु” के रूप में कार्य करने हेतु भारत के प्रतिभा पूल का लाभ उठाना।
    • नवाचार एवं साझा समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए सांस्कृतिक और आर्थिक आदान-प्रदान को बढ़ाना।

भारत-यूरोपीय संघ संबंध: एक अवलोकन

  • राजनीतिक सहयोग: दोनों देशों के मध्य संबंध 1960 के दशक से चले आ रहे हैं, तथा 1994 के सहयोग समझौते से इसमें उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
    • प्रमुख माइलस्टोन: 2000: प्रथम भारत-यूरोपीय संघ शिखर सम्मेलन।
    • 2004: हेग में पाँचवें भारत-यूरोपीय संघ शिखर सम्मेलन में इसे रणनीतिक साझेदारी में उन्नत किया गया।
  • आर्थिक सहयोग: द्विपक्षीय व्यापार 137.41 बिलियन अमेरिकी डॉलर (2023-24) तक पहुँच गया, जिससे यूरोपीय संघ भारत का वस्तुओं के मामले में सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बन गया। सेवाओं में द्विपक्षीय व्यापार 51.45 बिलियन अमेरिकी डॉलर (2023) था।
  • जल प्रबंधन: 2016 में स्थापित भारत-यूरोपीय संघ जल साझेदारी (IEWP) जल प्रबंधन में रूपरेखा को बढ़ाती है।
  • परमाणु ऊर्जा: परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग पर अनुसंधान एवं विकास सहयोग के लिए 2020 में समझौता।
  • व्यापार और प्रौद्योगिकी परिषद (TTC): व्यापार, प्रौद्योगिकी और सुरक्षा पर सहयोग को बढ़ावा देने के लिए 2023 में स्थापित किया जाएगा।

भारत-यूरोपीय संघ सहयोग में चुनौतियाँ

  • विरासत व्यापार मुद्दे: टैरिफ, गैर-टैरिफ बाधाओं और मानकों के सामंजस्य पर लगातार विवाद।
  • प्रौद्योगिकी हस्तांतरण: बौद्धिक संपदा अधिकारों (IPR) को संरेखित करने और प्रौद्योगिकी का उचित साझाकरण सुनिश्चित करने में चुनौतियाँ।
  • महत्त्वपूर्ण कच्चा माल: भू-राजनीतिक तनाव और प्रतिस्पर्धा दोनों पक्षों के लिए महत्त्वपूर्ण संसाधनों को सुरक्षित करने में बाधा उत्पन्न करती है।

आगे की राह

  • FTA वार्ता में तीव्रता लाना: बाजार पहुँच, व्यापार सुविधा और विवाद समाधान से संबंधित मुद्दों को सुलझाने पर ध्यान केंद्रित करना।
  • उन्नत अनुसंधान एवं विकास साझेदारी: तकनीकी सहयोग को बढ़ाने के लिए संयुक्त अनुसंधान केंद्र और नवाचार केंद्र स्थापित करना।
  • स्थिरता पर ध्यान: दीर्घकालिक पर्यावरणीय और आर्थिक लाभ प्राप्त करने के लिए हरित प्रौद्योगिकियों और नवीकरणीय ऊर्जा में निवेश करें।

निष्कर्ष

  • भारत की 6-सूत्री योजना, भारत-यूरोपीय संघ संबंधों को प्रगाण करने के लिए एक मजबूत रोडमैप प्रस्तुत करती है, जिसमें व्यापार, प्रौद्योगिकी एवं स्थिरता जैसे महत्त्वपूर्ण मुद्दों पर ध्यान दिया गया है। पूरक शक्तियों का लाभ उठाकर और वर्तमान चुनौतियों का समाधान करके, यह साझेदारी वैश्विक आर्थिक स्थिरता तथा लचीलेपन को प्रोत्साहन देने में एक परिवर्तनकारी भूमिका निभा सकती है।

Source: TH