ट्रम्प के राष्ट्रपति बनने पर भारत की रणनीतिक प्रतिक्रिया

पाठ्यक्रम: GS2/ अंतर्राष्ट्रीय संबंध

संदर्भ

  • विदेश मंत्री एस जयशंकर ने वाशिंगटन में जापानी एवं ऑस्ट्रेलियाई समकक्षों से मुलाकात की और द्विपक्षीय संबंधों के साथ-साथ क्वाड घटनाक्रम की समीक्षा की।

जयशंकर की वाशिंगटन यात्रा की प्रमुख प्राथमिकताएँ

  • मोदी-ट्रम्प की प्रारंभिक बैठक: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रपति ट्रम्प के मध्य सुदृढ़ सामंजस्य को आगे बढ़ाया जा रहा है, जो ट्रम्प के प्रथम कार्यकाल के दौरान स्थापित हुआ था।
    • इसका ध्यान रक्षा, ऊर्जा सुरक्षा और आतंकवाद-निरोध पर सहयोग को सुदृढ़ करने पर है।
    • आगामी वर्षों में उच्च स्तरीय द्विपक्षीय संबंधों के लिए वातावरण तैयार करना।
  • क्वाड शिखर सम्मेलन और क्षेत्रीय सुरक्षा: स्वतंत्र एवं खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र को सुनिश्चित करने के लिए भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के मध्य सहयोग को सुदृढ़ करके क्वाड को मजबूत करना।
    • यह भारत की एक्ट ईस्ट नीति के अनुरूप होगा तथा हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति और संपर्क को बढ़ावा देगा।
  • व्यापार और आर्थिक सहयोग: भारतीय इस्पात और एल्युमीनियम पर अमेरिकी शुल्क सहित दीर्घकालिक टैरिफ मुद्दों का समाधान करना। द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देने के लिए निष्पक्ष व्यापार प्रथाओं का समर्थन करना।
  • आव्रजन एवं प्रतिभा गतिशीलता: सुगम वीज़ा प्रक्रिया का समर्थन करना तथा भारतीय पेशेवरों को प्रभावित करने वाले प्रतिबंधों का समाधान करना।
    • भारतीय-अमेरिकी समुदाय के साथ संबंधों को सुदृढ़ करके भारतीय प्रवासियों को शामिल करना, जो भारत-अमेरिका संबंधों में एक महत्त्वपूर्ण कड़ी है।

एजेंडा का रणनीतिक महत्त्व

  • वैश्विक भू-राजनीतिक परिवर्तनों को संबोधित करना: एशिया में, विशेष रूप से हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती आक्रामकता का प्रतिसंतुलन करना।
    • क्षेत्रीय शांति और स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए क्वाड को मजबूत करना।
  • आर्थिक सामंजस्य: वैश्विक तकनीकी केंद्र के रूप में भारत की स्थिति का लाभ उठाने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता, अर्धचालक और साइबर सुरक्षा जैसे उभरते क्षेत्रों में सहयोग का विस्तार करना।
  • साझा लोकतांत्रिक मूल्य: लोकतंत्र और नियम-आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था के प्रति पारस्परिक प्रतिबद्धता को सुदृढ़ करना।

आगे की चुनौतियाँ

  • व्यापार एवं टैरिफ विवाद: वस्तु टैरिफ और गैर-टैरिफ बाधाओं पर लगातार असहमति।
  • आव्रजन प्रतिबंध: भारतीय पेशेवरों के लिए अमेरिकी वीज़ा सीमा और देरी से निपटना।
  • भू-राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता: रूस जैसे वैश्विक संघर्षों पर अलग-अलग प्रवृति के कारण सहयोग पर दबाव पड़ सकता है।
  • प्रौद्योगिकी बाधाएँ: भारत को संवेदनशील प्रौद्योगिकी हस्तांतरण पर प्रतिबंध रक्षा सहयोग को प्रभावित करते हैं।
  • घरेलू दबाव: दोनों देशों में राजनीतिक और आर्थिक चुनौतियाँ नीतिगत प्राथमिकताओं को प्रभावित कर सकती हैं।

आगे की राह

  • व्यापार समझौतों को सुव्यवस्थित करना: पारस्परिक आर्थिक लाभ सुनिश्चित करने के लिए बाधाओं को कम करना।
  • आव्रजन सुधारों को आगे बढ़ाना: प्रतिभा गतिशीलता और वीज़ा दक्षता को सुविधाजनक बनाने के लिए रूपरेखा पर सहयोग करना।
  • क्वाड भागीदारी को बढ़ाना: क्षेत्रीय संपर्क और समुद्री सुरक्षा पहल को मजबूत करना।
  • नवीकरणीय ऊर्जा सहयोग को बढ़ावा देना: स्वच्छ और सतत ऊर्जा प्रौद्योगिकियों में संयुक्त उद्यमों की खोज करना।
  • लगातार उच्च स्तरीय वार्ता: उभरते अवसरों और चुनौतियों से निपटने के लिए नियमित वार्ता की स्थापना।

निष्कर्ष

  • विदेश मंत्री एस. जयशंकर का वाशिंगटन एजेंडा भारत-अमेरिका संबंधों को सुदृढ़ करने के लिए एक रणनीतिक दृष्टिकोण को रेखांकित करता है। 
  • व्यापार, आव्रजन और क्षेत्रीय सुरक्षा जैसे महत्त्वपूर्ण मुद्दों पर ध्यान देकर, एजेंडा चुनौतियों को पारस्परिक विकास के अवसरों में बदलने का प्रयास करता है। यह व्यापक दृष्टिकोण अमेरिका के साथ मजबूत साझेदारी के प्रति भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है, तथा साझा समृद्धि और वैश्विक नेतृत्व का भविष्य सुनिश्चित करता है।

Source: ET