ट्रम्प ने फाइव आईज इंटेलिजेंस एलायंस में व्यवधान डाला

पाठ्यक्रम: GS2/अंतर्राष्ट्रीय संबंध

संदर्भ

  • डोनाल्ड ट्रम्प के राष्ट्रपतित्व काल के दौरान अमेरिकी विदेश नीति में बदलाव के कारण फाइव आईज़ खुफिया गठबंधन को चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

फाइव आईज इंटेलिजेंस एलायंस (FVEY) के बारे में

  • यह विश्व के सबसे शक्तिशाली और गुप्त खुफिया-साझाकरण गठबंधनों में से एक है, जिसमें संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड शामिल हैं।
  • उत्पत्ति और विकास:
    • फाइव आईज की नींव द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान रखी गई थी जब अमेरिका और ब्रिटेन ने 1946 में UKUSA समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, जिससे उनकी खुफिया-साझाकरण प्रणाली औपचारिक हो गई थी।
    • कनाडा (1948), ऑस्ट्रेलिया (1956), और न्यूजीलैंड (1956) बाद में इसमें शामिल हो गए, जिससे निर्बाध खुफिया सहयोग के लिए समर्पित एंग्लो-सैक्सन देशों का एक विश्वसनीय समूह बना।
  • प्रारंभ में शीत युद्ध के दौरान सोवियत संचार की निगरानी पर ध्यान केंद्रित करने वाले इस गठबंधन ने समय के साथ आतंकवाद, साइबर युद्ध और उभरती वैश्विक शक्तियों से खतरों को आच्छादित करने के लिए स्वयं को अनुकूलित किया।
  • यह मुख्य रूप से निम्नलिखित एजेंसियों के माध्यम से संचालित होता है:
    • संयुक्त राज्य अमेरिका: राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (NSA)
    • यूनाइटेड किंगडम: सरकारी संचार मुख्यालय (GCHQ)
    • कनाडा: संचार सुरक्षा प्रतिष्ठान (CSE)
    • ऑस्ट्रेलिया: ऑस्ट्रेलियाई सिग्नल निदेशालय (ASD)
    • न्यूजीलैंड: सरकारी संचार सुरक्षा ब्यूरो (GCSB)
  • यह ECHELON प्रणाली जैसे उन्नत निगरानी उपकरणों का उपयोग करता है, जो एक विशाल वैश्विक अवरोधन नेटवर्क है जो ईमेल, फोन कॉल और ऑनलाइन गतिविधियों सहित विभिन्न प्लेटफार्मों पर संचार की निगरानी करने में सक्षम है।

कार्य और खुफिया-साझाकरण तंत्र

  • सिग्नल इंटेलिजेंस (SIGINT): इलेक्ट्रॉनिक संचार, उपग्रह डेटा और साइबर खतरों की निगरानी करना।
  • मानव इंटेलिजेंस (HUMINT): जासूसों और अंडरकवर एजेंटों से खुफिया जानकारी इकट्ठा करना।
  • भू-स्थानिक इंटेलिजेंस (GEOINT): सुरक्षा और सैन्य अभियानों के लिए उपग्रह इमेजरी और मैपिंग।
  • साइबर इंटेलिजेंस: साइबर खतरों, हैकिंग प्रयासों और राज्य प्रायोजित साइबर जासूसी पर नज़र रखना।
  • आतंकवाद विरोधी इंटेलिजेंस: वैश्विक आतंकी नेटवर्क की निगरानी करना, कट्टरपंथ को रोकना और हमलों को विफल करना।
  • भू-राजनीतिक निगरानी: इंडो-पैसिफिक और मध्य पूर्व जैसे रणनीतिक हित के क्षेत्रों में विकास पर नज़र रखना।

विवाद और चुनौतियाँ

  • गोपनीयता संबंधी चिंताएँ: एडवर्ड स्नोडेन जैसे मुखबिरों द्वारा किए गए खुलासों ने बड़े पैमाने पर निगरानी और एकत्रित डेटा के संभावित दुरुपयोग के बारे में चिंताएँ बढ़ा दी हैं।
  • भू-राजनीतिक तनाव: चीन और रूस जैसे देशों की निगरानी पर गठबंधन के ध्यान ने कूटनीतिक तनाव को उत्पन्न किया है।
  • आंतरिक घर्षण: सदस्य देशों के बीच नीतिगत प्राथमिकताओं और दृष्टिकोणों में अंतर कभी-कभी गठबंधन के अंदर घर्षण उत्पन्न करते हैं।

21वीं सदी में फाइव आईज 

  • चीन और रूस: गठबंधन का ध्यान प्रौद्योगिकी, व्यापार और सुरक्षा में चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने पर केंद्रित है।
    • इसी तरह, रूस की हाइब्रिड युद्ध रणनीतियों, जिसमें गलत सूचना अभियान और साइबर हमले शामिल हैं, पर कठोर निगरानी रखी जाती है। 
  • आतंकवाद और चरमपंथ: 9/11 के पश्चात्, आतंकवाद का मुकाबला करना एक प्राथमिक उद्देश्य बन गया, जिसके कारण अल-कायदा और ISIS जैसे आतंकवादी संगठनों को लक्षित करने वाले व्यापक निगरानी कार्यक्रम प्रारंभ हुए।
    • फाइव आईज देशों के बीच खुफिया जानकारी साझा करने से वैश्विक स्तर पर कई बड़ी आतंकी साजिशों को रोकने में सहायता मिली है। 
  • साइबर सुरक्षा और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) खतरे: रैनसमवेयर हमलों, डेटा उल्लंघनों और AI-संचालित गलत सूचना अभियानों का मुकाबला करने का लक्ष्य। 
  • निगरानी और गोपनीयता संबंधी चिंताएँ: एडवर्ड स्नोडेन जैसे व्हिसलब्लोअर ने PRISM जैसे विवादास्पद सामूहिक निगरानी कार्यक्रमों को उजागर किया, जिससे गठबंधन की गतिविधियों के बारे में नैतिक प्रश्न उठे।
    • सरकारें इन प्रथाओं को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए आवश्यक बताती हैं, लेकिन गोपनीयता के उल्लंघन को लेकर चिंताएँ बनी रहती हैं।

भू-राजनीतिक निहितार्थ: क्या यह भारत के लिए चुनौती है?

  • भारत, हालाँकि फाइव आईज का हिस्सा नहीं है, लेकिन उसने गठबंधन के साथ सीमित खुफिया जानकारी साझा की है, विशेष तौर पर आतंकवाद और साइबर खतरों के मामले में। 
  • हाल ही में, भारत के नई दिल्ली में आयोजित वैश्विक खुफिया और सुरक्षा प्रमुखों के सम्मेलन में 20 से अधिक देशों के खुफिया प्रमुखों ने हिस्सा लिया, जिसमें फाइव आईज गठबंधन देशों के प्रतिनिधि भी शामिल थे। 
  • भारत, जापान और जर्मनी जैसे भागीदारों को शामिल करने के लिए समूह का विस्तार करने की संभावना पर चर्चा की गई है, लेकिन विश्वास के मुद्दों एवं रणनीतिक चिंताओं के कारण यह परिचर्चा का विषय बना हुआ है।

Source: IE

 

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