भारत प्लेट का विवर्तनिक परिवर्तन: दो भागों में विभाजन

पाठ्यक्रम: GS1/भूगोल

संदर्भ

  • हाल के भूवैज्ञानिक अध्ययनों से ज्ञात हुआ है कि भारतीय प्लेट विघटन की प्रक्रिया से गुजर रही है, जहाँ इसका एक भाग विखंडित होकर पृथ्वी के मेंटल में धंस/प्रवेश कर रहा है।

परिचय

  • भारत प्रति वर्ष औसतन 5 सेमी. उत्तर की ओर खिसक रहा है – जो पृथ्वी पर सबसे तेज़ महाद्वीपीय गतियों में से एक है।
  • प्लेट टेक्टोनिक्स द्वारा अनुमानित यह उत्तर की ओर गति, हिमालय के उत्थान के साथ-साथ भारतीय प्लेट के अन्दर जटिल भूवैज्ञानिक तनाव के लिए जिम्मेदार है।

विभाजन के पीछे का विज्ञान

विभाजन के पीछे का विज्ञान
  • भारतीय प्लेट का विघटन: भारतीय प्लेट लगभग 60 मिलियन वर्षों से यूरेशियन प्लेट से टकरा रही है, जिसके परिणामस्वरूप हिमालय पर्वत शृंखला का निर्माण हुआ है।
  • भूकंपीय तरंगों और गैस उत्सर्जन से साक्ष्य: तिब्बत के नीचे भूकंपीय तरंगों का अध्ययन करने वाले वैज्ञानिकों ने असामान्य पैटर्न देखा, जो प्लेट में एक ऊर्ध्वाधर दरार का संकेत देता है।
    • तिब्बती झरनों में पाए गए हीलियम समस्थानिक पृथ्वी की भूपर्पटी में गहरी दरारें बनने के सिद्धांत का समर्थन करते हैं।

संभावित परिणाम

  • भूकंप का खतरा बढ़ना: विसंयोजन प्रक्रिया के कारण, विशेष रूप से हिमालयी क्षेत्र और तिब्बती पठार में, अधिक शक्तिशाली एवं अधिक बार भूकंप आ सकते हैं।
    • तिब्बत में एक बड़ी दरार, कोना-सांगरी दरार, प्रत्यक्षतः इस भूमिगत गतिविधि से जुड़ी हो सकती है।
  • प्लेट टेक्टोनिक्स पर प्रभाव: उपरोक्त खोज महाद्वीपीय स्थिरता पर पारंपरिक दृष्टिकोण को चुनौती देती है, तथा यह सुझाव देती है कि पृथ्वी की प्लेटें पहले की अपेक्षा अधिक गतिशील और अप्रत्याशित हैं।
    • भूवैज्ञानिकों का मानना ​​है कि पूरे विश्व के अन्य टेक्टोनिक क्षेत्रों में भी ऐसी ही प्रक्रियाएँ हो रही होंगी।
प्लेट टेक्टोनिक सिद्धांत
– यह पुस्तक स्थलमंडलीय प्लेटों की गति एवं अंतःक्रिया की व्याख्या करती है, तथा इस टकराव को संचालित करने वाली प्रक्रियाओं और इसके निहितार्थों के बारे में जानकारी प्रदान करती है।
– इसमें प्रस्तावित किया गया है कि पृथ्वी का स्थलमंडल सात प्रमुख और कुछ छोटी प्लेटों में विभाजित है, जो नीचे अर्ध-तरल एस्थेनोस्फीयर पर तैरती हैं।
– ये प्लेटें सीमाओं पर परस्पर क्रिया करती हैं, जिसके परिणामस्वरूप भूकंप, ज्वालामुखी गतिविधि और पर्वत निर्माण जैसी भूवैज्ञानिक घटनाएँ होती हैं।
प्लेट सीमाओं के प्रकार
अभिसारी सीमाएँ: प्लेटें आपस में टकराती हैं, जिसके परिणामस्वरूप धंसाव या पर्वत निर्माण होता है।
1. अभिसरण के तीन तरीके: (i) महासागरीय और महाद्वीपीय प्लेट के बीच; (ii) दो महासागरीय प्लेटों के बीच; और (iii) दो महाद्वीपीय प्लेटों के बीच।
अपसारी सीमाएँ: प्लेटें अलग हो जाती हैं, जिससे नई क्रस्ट का निर्माण होता है।
1. उदाहरण: मध्य अटलांटिक कटक: अमेरिकी प्लेटें यूरेशियन और अफ्रीकी प्लेटों से अलग हैं।
ट्रांसफॉर्म सीमा: प्लेटें एक दूसरे के ऊपर खिसकती हैं, जिससे भूकंप आते हैं।
1. ट्रांसफॉर्म भ्रंश पृथक्करण के वे तल हैं जो सामान्यतः मध्य महासागरीय कटकों के लंबवत होते हैं।

Source: Indian Defense Review

 

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