भारत-सिंगापुर: राजनयिक संबंधों के 60 वर्ष

पाठ्यक्रम: GS2/अंतर्राष्ट्रीय संबंध

संदर्भ

  • हाल ही में भारत और सिंगापुर ने राजनयिक संबंधों की 60वीं वर्षगांठ मनाई, जिसके उपलक्ष्य में सिंगापुर के राष्ट्रपति थर्मन षणमुगरत्नम प्रथम बार भारत आए।

भारत-सिंगापुर: ऐतिहासिक संबंध

  • औपनिवेशिक विरासत: भारत और सिंगापुर के मध्य राजनयिक संबंध 24 अगस्त, 1965 को सिंगापुर की स्वतंत्रता के तुरंत बाद स्थापित हुए थे।
    • भारत और सिंगापुर के मध्य आधुनिक संबंध 1819 से प्रारंभ हुए, जब सर स्टैमफोर्ड रैफल्स ने सिंगापुर में एक ब्रिटिश व्यापारिक चौकी स्थापित की। 
  • स्वतंत्रता में भूमिका: भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान 1943 में सुभाष चंद्र बोस द्वारा सिंगापुर से आज़ाद हिंद की अनंतिम सरकार का गठन।
  • स्वतंत्रता की मान्यता: भारत 1965 में सिंगापुर की स्वतंत्रता को मान्यता देने वाले पहले देशों में से एक था, जिसने एक घनिष्ठ और विकसित संबंधों के लिए मंच तैयार किया। 
  • व्यापक साझेदारी: दशकों से, यह संबंध एक व्यापक रणनीतिक साझेदारी में विकसित हुआ है, जो प्रगाण होते आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक संबंधों को दर्शाता है।

सहयोग के प्रमुख क्षेत्र: भारत-सिंगापुर संबंधों का महत्त्व

  • अर्थव्यवस्था और व्यापार: दोनों देशों के मध्य द्विपक्षीय व्यापार वित्त वर्ष 2004-05 में 6.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर वित्त वर्ष 2023-24 में 35.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया।
    • सिंगापुर भारत का छठा सबसे बड़ा व्यापार साझेदार है, जो भारत के कुल व्यापार का 3.2% हिस्सा है।
    • वित्त वर्ष 2023-24 में, सिंगापुर से भारत का आयात 21.2 बिलियन अमरीकी डॉलर (पिछले वर्ष से 10.2% की कमी) था, जबकि सिंगापुर को निर्यात 14.4 बिलियन अमरीकी डॉलर (पिछले वर्ष से 20.2% की वृद्धि) तक पहुंच गया।
भारत-सिंगापुर संबंधों
  • FDI प्रवाह: 2023-24 के दौरान सिंगापुर से भारत में FDI इक्विटी प्रवाह 11.774 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा।
    • सिंगापुर से FDI इक्विटी प्रवाह को आकर्षित करने वाले शीर्ष क्षेत्र हैं: सेवा क्षेत्र, कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर, ट्रेडिंग, दूरसंचार और ड्रग्स एवं फार्मास्यूटिकल्स।
  • फिनटेक और डिजिटल अर्थव्यवस्था: सिंगापुर में RuPay कार्ड और UPI-Paynow लिंकेज की स्वीकृति।
    • सिंगापुर पहला देश है जिसके साथ भारत ने सीमा पार व्यक्ति-से-व्यक्ति (P2P) भुगतान सुविधा प्रारंभ की है।
  • रक्षा और सामरिक सहयोग: रक्षा सहयोग समझौते के अंतर्गत यह अधिक प्रगाण हुआ है।
    • द्विपक्षीय अभ्यास: तीनों सेवाओं के लिए:
      • अग्नि वारियर और बोल्ड कुरुक्षेत्र (सेना);
      • सिमबेक्स (नौसेना) अभ्यास।
    • समुद्री सुरक्षा: दोनों देश हिंद-प्रशांत क्षेत्र में नौवहन की स्वतंत्रता और समुद्री डकैती से निपटने के लिए मिलकर कार्य करते हैं।
    • रणनीतिक साझेदारी: सिंगापुर भारत की एक्ट ईस्ट नीति का समर्थन करता है, जिससे क्षेत्रीय सहयोग और उससे परे भारत की भागीदारी को बढ़ावा मिलता है।
  • विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सहयोग: इसरो ने सिंगापुर के कई उपग्रहों को प्रक्षेपित किया है, सिंगापुर का प्रथम स्वदेशी निर्मित माइक्रो-सैटेलाइट 2011 में, 2014 में 2 और, 2015 में 6 और 2023 में 9 उपग्रह प्रक्षेपित किए गए।
    • सिंगापुर ने उद्घाटन आसियान-भारत महिला वैज्ञानिक सम्मेलन (2024) की सह-मेजबानी की।
    • साइबर नीति संवाद (2024)
    • डिजिटल स्वास्थ्य और चिकित्सा प्रौद्योगिकियों पर ई-कार्यशाला (2024)
  • शिक्षा और कौशल विकास: कौशल भारत कार्यक्रम जैसी पहलों को व्यावसायिक प्रशिक्षण में सिंगापुर की विशेषज्ञता से लाभ मिलता है।
    • भारतीय और सिंगापुरी संस्थान संयुक्त अनुसंधान कार्यक्रमों में संलग्न हैं।
  • बहुपक्षीय और क्षेत्रीय सहयोग: सिंगापुर 2023 में अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन और वैश्विक जैव-ईंधन गठबंधन में शामिल हो गया है।
    • सिंगापुर ने डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना, AI और शासन के लिए डेटा पर घोषणा की भारतीय पहल का समर्थन किया (2024 में ब्राजील में G20 शिखर सम्मेलन में)।
    • व्यापक आर्थिक सहयोग समझौता (CECA): यह भारत द्वारा किसी भी देश के साथ हस्ताक्षरित पहला ऐसा समझौता था।
    • इंडो-पैसिफिक रणनीति: भारत एवं सिंगापुर इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में शांति, स्थिरता और कनेक्टिविटी बनाए रखने के लिए सक्रिय रूप से जुड़े हुए हैं।
  • सांस्कृतिक संबंध: सिंगापुर पर भारतीय प्रभाव इसके बहुसांस्कृतिक समाज में स्पष्ट है, जिसमें जीवंत भारतीय प्रवासी शहर-राज्य की जनसंख्या का लगभग 9% भाग हैं।
    • कला उत्सव जैसे कार्यक्रम और सिंगापुर में लिटिल इंडिया की उपस्थिति मजबूत सांस्कृतिक बंधनों को दर्शाती है।

भविष्य की सम्भावनाएँ

  • भारत और सिंगापुर भविष्य की ओर देख रहे हैं, इसलिए व्यापक रणनीतिक साझेदारी अधिक प्रगाण  होने वाली है। 
  • दोनों देश डिजिटलीकरण, व्यापार विकास और सांस्कृतिक आदान-प्रदान जैसे क्षेत्रों में सहयोग के नए रास्ते खोजने के लिए प्रतिबद्ध हैं। 
  • 60वीं वर्षगांठ के समारोह ने सहयोग और आपसी विकास के एक नए युग की शुरुआत की है।

Source: DD News