पाठ्यक्रम: GS3/अर्थव्यवस्था
संदर्भ
- केंद्रीय मंत्रिमंडल ने उत्तर प्रदेश में एक सेमीकंडक्टर इकाई की स्थापना को मंजूरी दी।
- यह भारत सेमीकंडक्टर मिशन के तहत अनुमोदित छठा प्रोजेक्ट है।
परिचय
- स्वीकृत इकाई HCL और Foxconn के बीच संयुक्त उद्यम है और इसमें ₹3,700 करोड़ का निवेश आकर्षित होगा।
- ये दोनों मिलकर यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (YEIDA) में जेवर एयरपोर्ट के पास एक संयंत्र स्थापित करेंगे।
- यह संयंत्र मोबाइल फोन, लैपटॉप, ऑटोमोबाइल, PCs और अन्य डिस्प्ले युक्त उपकरणों के लिए डिस्प्ले ड्राइवर चिप्स का निर्माण करेगा।
- संयंत्र की क्षमता:
- 20,000 वेफर प्रति माह।
- 36 मिलियन यूनिट प्रति माह उत्पादन क्षमता।
भारत सेमीकंडक्टर मिशन के तहत संयंत्र – चार संयंत्र—एक फैब और तीन असेंबली यूनिट—गुजरात में स्थित हैं। एक असेंबली और पैकेजिंग संयंत्र असम में निर्माणाधीन है। भारत के अन्य पाँच सेमीकंडक्टर विकास परियोजनाएँ: – माइक्रोन टेक्नोलॉजी – साणंद, गुजरात। – टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स प्राइवेट लिमिटेड (PSMC, ताइवान) – धोलेरा, गुजरात। – टाटा सेमीकंडक्टर असेंबली एंड टेस्ट प्राइवेट लिमिटेड(TSAT) – मोरीगांव, असम। – CG पावर (रेनेसास इलेक्ट्रॉनिक्स, जापान और स्टार माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स, थाईलैंड) – साणंद, गुजरात। – केनेस सेमीकॉन – साणंद, गुजरात। |
सेमीकंडक्टर क्या है?
- सेमीकंडक्टर, जिसे ‘चिप’ भी कहा जाता है, अत्यंत जटिल डिजाइन और निर्माण वाली तकनीकी उत्पाद है।
- यह इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को डेटा प्रसंस्करण, भंडारण और संचार की आवश्यक कार्यक्षमता प्रदान करता है।
- चिप संरचना:
- ट्रांजिस्टर, डायोड, कैपेसिटर और रेसिस्टर्स के इंटरकनेक्शन से बनी होती है।
- सिलिकॉन वेफर शीट पर परतों के रूप में डिज़ाइन की जाती है।
परियोजना का महत्त्व
- रोजगार सृजन: भारत में सेमीकंडक्टर निर्माण प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से अनेकों रोजगारों का सृजन करेगा।
- आयात पर निर्भरता में कमी: अधिक घरेलू सेमीकंडक्टर उद्योगों की स्थापना से आत्मनिर्भरता और वैश्विक आपूर्ति शृंखला बाधाओं के दौरान सहिष्णुता बढ़ेगी।
- आयात निर्भरता:
- भारत ने 2024 में ₹1.71 लाख करोड़ के सेमीकंडक्टर आयात किए।
- इनमें से लगभग 38% चीन से आयात किए गए।
- निर्यात के अवसर:
- भारत का सेमीकंडक्टर बाजार 2019 में $22 बिलियन से 2030 तक $110 बिलियन तक बढ़ने की संभावना है।
- स्मार्टफोन, 5G, EVs, AI, IoT की बढ़ती माँग से वैश्विक चिप खपत में 10% हिस्सेदारी का अनुमान।
- रणनीतिक महत्त्व:
- रक्षा, एयरोस्पेस, दूरसंचार जैसे विभिन्न रणनीतिक क्षेत्रों में सेमीकंडक्टर महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- घरेलू उद्योग होने से आपूर्ति शृंखला पर नियंत्रण बढ़ता है और बाहरी दबाव या बाधाओं को कम करता है।
- भारत की अनुसंधान एवं विकास (R&D) बढ़त:
- भारत में विश्व के 20% सेमीकंडक्टर डिज़ाइन इंजीनियर कार्यरत हैं।
- AI, रोबोटिक्स, EVs, प्रिसीजन टूल्स और एडवांस इलेक्ट्रॉनिक्स में तकनीकी क्षमता बढ़ती है।
भारत के सेमीकंडक्टर उद्योग की चुनौतियाँ
- अमेरिका और EU ने भारत की तुलना में अधिक आकर्षक प्रोत्साहन योजनाएँ लागू की हैं।
- उच्च पूँजी लागत: एक फैब संयंत्र का खर्च $5–10 बिलियन से अधिक हो सकता है।
- प्रतिभा पूल:भारत डिज़ाइन इंजीनियरों के लिए प्रमुख बैक ऑफिस है।
- लेकिन फैब्रिकेशन संयंत्र में कार्य करने योग्य कुशल प्रतिभा का अभी भी अभाव है।
- अनुसंधान एवं विकास: भारत अभी सेमीकंडक्टर डिज़ाइन अनुसंधान में कमजोर है, जबकि चिप का भविष्य इसी पर निर्भर करता है।
- बिजली आपूर्ति: निरंतर बिजली आपूर्ति प्रक्रिया के लिए महत्त्वपूर्ण है।
- कुछ सेकंड की कमी या स्पाइक्स से करोड़ों रुपये का नुकसान हो सकता है।
- जल खपत: चिप निर्माण में प्रति दिन गैलन मात्रा में अति-शुद्ध जल की आवश्यकता होती है।
सेमीकंडक्टर उद्योग के लिए पहल – भारत सेमीकंडक्टर मिशन (ISM): मजबूत सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले पारिस्थितिकी तंत्र बनाने का लक्ष्य।भारत को वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण और डिज़ाइन हब के रूप में स्थापित करने की योजना। सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले योजनाओं को सुनियोजित तरीके से लागू करने के लिए प्रमुख एजेंसी। – उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (PLI): सेमीकंडक्टर डिज़ाइन और पैकेजिंग के लिए प्रोत्साहन दिए जा रहे हैं। – QUAD सेमीकंडक्टर आपूर्ति शृंखला पहल: क्षमता का मूल्यांकन, कमजोरियों की पहचान और आपूर्ति शृंखला सुरक्षा बढ़ाने पर केंद्रित। |
Source: PIB
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