ग्रामीण भारतीय ‘प्रछन्न भूखमरी’ से पीड़ित हैं

पाठ्यक्रम: GS2/स्वास्थ्य

संदर्भ

  • अर्द्ध शुष्क उष्ण कटिबंधों के लिए अंतर्राष्ट्रीय फसल अनुसंधान संस्थान (ICRISAT) द्वारा किए गए एक नए अध्ययन से पता चलता है कि ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले कई भारतीय, पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ उत्पन्न करने या उन्हें खरीदने में सक्षम होने के बावजूद प्रोटीन की कमी से पीड़ित हैं।

प्रमुख निष्कर्ष

  • भारत के अर्ध-शुष्क उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में सर्वेक्षण किए गए दो-तिहाई से अधिक परिवार प्रोटीन स्रोतों की पर्याप्त उपलब्धता के बावजूद अनुशंसित मात्रा से कम प्रोटीन का उपभोग करते हैं।
  • मुख्य खाद्यान्नों का उपभोग: ये क्षेत्र चावल और गेहूँ जैसे मुख्य अनाजों पर बहुत अधिक निर्भर हैं, जो दैनिक प्रोटीन सेवन का 60-75% योगदान देते हैं।
  • प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों का कम उपयोग: दालें, डेयरी, अंडे और मांस जैसे खाद्य पदार्थों का कम उपयोग होता है, आवश्यक नहीं कि इसलिए कि वे दुर्लभ हैं, बल्कि सांस्कृतिक खाद्य प्राथमिकताओं, सीमित पोषण संबंधी जागरूकता एवं वित्तीय बाधाओं के कारण ऐसा होता है।
  • धनी परिवारों में कमी: यहाँ तक ​​कि धनी परिवार भी, जो विविध आहार का व्यय वहन कर सकते हैं, प्रायः अनुशंसित प्रोटीन सेवन स्तर को पूरा करने में असफल रहते हैं।
    • जिन घरों में महिलाओं की शिक्षा का स्तर उच्च था, वहाँ संतुलित आहार लेने की संभावना अधिक थी।
  • PDS प्रणाली: भारत की सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) कैलोरी सेवन में सुधार करने में सफल रही है।
    • हालाँकि, इसने अनजाने में अनाज की प्रधानता वाले आहार को मजबूत किया है, जबकि पर्याप्त प्रोटीन युक्त विकल्प प्रदान करने में विफल रहा है।
  • आहार संबंधी आदतों के कारण:
    • गहराई से जमी हुई आहार संबंधी आदतें,
    • प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों के महत्त्व के बारे में समझ की कमी,
    • वित्तीय बाधाएँ

अनुशंसाएँ

  • पोषण संबंधी परिणामों में उल्लेखनीय सुधार लाने के लिए सरकारी खाद्य कार्यक्रमों में दालों, बाजरा और अन्य प्रोटीन से भरपूर खाद्य पदार्थों को सम्मिलित करना।
  • संतुलित पोषण सेवन को बढ़ावा देने के लिए क्षेत्र-विशिष्ट रणनीतियों की आवश्यकता होगी।
  • सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों और स्कूल पाठ्यक्रम में पोषण शिक्षा को एकीकृत करना।
  • किसानों को पोषक तत्त्वों से भरपूर फसलों की अधिक विविधता उगाने के लिए प्रोत्साहित करना।
अर्ध-शुष्क उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों के लिए अंतर्राष्ट्रीय फसल अनुसंधान संस्थान (ICRISAT)
– ICRISAT एक प्रमुख शुष्क भूमि कृषि अनुसंधान संस्थान है, जो छोटे किसानों के उत्थान और अर्ध-शुष्क उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए समर्पित है।
– इसकी स्थापना 1972 में भारत सरकार और CGIAR के बीच एक समझौता ज्ञापन के अंतर्गत की गई थी।
– ICRISAT का मुख्यालय एशिया (भारत) में स्थित है, तथा संगठन के कार्यालय पूर्वी और दक्षिणी अफ्रीका, पश्चिमी एवं मध्य अफ्रीका में स्थित हैं।

Source: DTE

 

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