IMEC परियोजना पर भारत-फ्रांस सहयोग

पाठ्यक्रम: GS2/अंतर्राष्ट्रीय संबंध

संदर्भ

  • भारत और फ्रांस ने घोषणा की कि वे भारत-मध्य पूर्व-यूरोप कॉरिडोर (IMEC) परियोजना के कार्यान्वयन के लिए मिलकर कार्य करना जारी रखेंगे।

भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (IMEC)

  • प्रतिभागी: दिल्ली G-20 शिखर सम्मेलन के दौरान भारत, अमेरिका, संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, फ्रांस, जर्मनी, इटली और यूरोपीय संघ ने भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा स्थापित करने के लिए एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए।
  • उद्देश्य: यह गलियारा एशिया, पश्चिम एशिया, मध्य पूर्व एवं यूरोप के बीच बेहतर संपर्क और आर्थिक एकीकरण के माध्यम से आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करेगा तथा गति प्रदान करेगा।

घटक

  • भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा दो अलग-अलग गलियारों से मिलकर बनेगा,
    • पूर्वी गलियारा भारत को पश्चिम एशिया/मध्य पूर्व से जोड़ता है और
    • उत्तरी गलियारा पश्चिम एशिया/मध्य पूर्व को यूरोप से जोड़ता है।
  • इस परियोजना में संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब के माध्यम से अरब प्रायद्वीप में एक रेलवे लाइन का निर्माण शामिल होगा तथा इस गलियारे के दोनों छोर पर भारत एवं यूरोप के लिए शिपिंग संपर्क विकसित किया जाएगा।
  • इस गलियारे को पाइपलाइनों के माध्यम से ऊर्जा और ऑप्टिकल फाइबर लिंक के माध्यम से डेटा परिवहन के लिए अधिक विकसित किया जा सकता है।

बंदरगाह जो IMEC का भाग हैं

  • भारत: मुंद्रा (गुजरात), कांडला (गुजरात) और जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट (नवी मुंबई) बंदरगाह।
  • यूरोप: ग्रीस में पिरेयस, दक्षिणी इटली में मेसिना, और फ्रांस में मार्सिले।
  • मध्य पूर्व: बंदरगाहों में संयुक्त अरब अमीरात में फुजैराह, जेबेल अली और अबू धाबी, तथा सऊदी अरब में दम्माम एवं रास अल खैर बंदरगाह शामिल हैं।
  • इजराइल: हाइफा बंदरगाह।
  • रेलवे लाइन: यह रेलवे लाइन सऊदी अरब (घुवाइफत एवं हराद) और जॉर्डन से गुजरते हुए संयुक्त अरब अमीरात के फुजैराह बंदरगाह को इजरायल के हाइफा बंदरगाह से जोड़ेगी।

IMEC में भारत-फ्रांस साझेदारी

  • यूरोपीय बाजारों तक पहुँच: फ्रांस का रणनीतिक स्थान भारत को यूरोपीय बाजारों तक पहुँचने का महत्त्वपूर्ण प्रवेश द्वार प्रदान करता है, जिससे व्यापार और निवेश प्रवाह में सुविधा होती है।
  • तकनीकी सहयोग: बुनियादी ढाँचे के विकास, लॉजिस्टिक्स और डिजिटल प्रौद्योगिकियों में फ्रांस की विशेषज्ञता IMEC के सफल कार्यान्वयन के लिए अमूल्य है।
  • चीन की बेल्ट एंड रोड पहल (BRI) का मुकाबला करना: भारत और फ्रांस, दोनों BRI के प्रभावों से चिंतित हैं, इसलिए वे क्षेत्रीय संपर्क का एक वैकल्पिक मॉडल पेश करने के लिए IMEC का लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

IMEC के समक्ष बाधा

  • होर्मुज जलडमरूमध्य की भेद्यता: IMEC संरचना का लगभग संपूर्ण व्यापार होर्मुज जलडमरूमध्य से होकर गुजरता है और जलडमरूमध्य पर ईरान की निकटता एवं नियंत्रण के कारण व्यवधान का जोखिम बहुत अधिक बना हुआ है।
  • वित्तीय व्यवहार्यता: इतने व्यापक स्तर की परियोजना के लिए पर्याप्त धनराशि सुनिश्चित करना आवश्यक है। निवेशकों को आकर्षित करने के लिए एक स्पष्ट और मजबूत वित्तीय मॉडल की आवश्यकता है।
  • भू-राजनीतिक संवेदनशीलताएँ: इस परियोजना में विविध हितों वाले कई हितधारक शामिल हैं। इन जटिलताओं से निपटना और सामान्य सहमति सुनिश्चित करना महत्त्वपूर्ण होगा।

आगे की राह

  • भारत और फ्रांस हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता एवं संपर्क को बढ़ावा देने में समान हितों को साझा करते हैं, जिससे वे इस प्रयास में स्वाभाविक साझेदार बन जाते हैं।
  • भू-राजनीतिक चिंताओं को भागीदार देशों के भू-राजनीतिक हितों को समायोजित करने तथा संभावित राजनीतिक संवेदनशीलताओं को संबोधित करने में एक नाजुक संतुलन बनाकर प्रबंधित करने की आवश्यकता है।

Source: TH