पृथ्वी के आंतरिक कोर में संरचनात्मक परिवर्तन हो रहे हैं

पाठ्यक्रम :GS 1/भूगोल

समाचार में

  • नेचर जियोसाइंस में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन से पता चलता है कि पृथ्वी के आंतरिक कोर में संरचनात्मक परिवर्तन हो रहे हैं।

अध्ययन के बारे में

  • कार्यप्रणाली: शोधकर्त्ताओं ने पृथ्वी की आंतरिक परतों की जाँच करने के लिए भूकंपीय तरंगों (भूकंप से उत्पन्न आघात) का उपयोग किया।
    • ये तरंगें पृथ्वी की आंतरिक संरचना का  प्रेक्षण करने  में सहायता करती हैं, ठीक उसी तरह जैसे सीटी स्कैन मानव शरीर के लिए कार्य करता है।
  • किए गए अवलोकन:
    • वैज्ञानिकों का पहले यह मानना ​​था कि पृथ्वी का आंतरिक कोर ठोस एवं कठोर है। नए निष्कर्षों से पता चलता है कि यह सतह के निकट मुलायम है। 
    • ठोस आंतरिक कोर अशांत पिघले हुए बाहरी कोर से प्रभावित हो रहा है। यह अन्तर्क्रिया संभवतः इसके घूर्णन को परिवर्तित कर रही है तथा पृथ्वी के दिन की लंबाई को प्रभावित कर रही है।
    • इससे पहले यह माना जाता था कि आंतरिक कोर, मेंटल के साथ अंतःक्रिया के कारण स्वतंत्र रूप से घूर्णन करता है। अध्ययन से पता चलता है कि यह घूर्णन अब धीमा हो रहा है।

पृथ्वी की परतों के बारे में

  • पृथ्वी एक गतिशील ग्रह है जो आंतरिक और बाह्य निरंतर परिवर्तन से गुजरता रहता है।
पृथ्वी की परतों के बारे में
  • पृथ्वी कई संकेन्द्रित परतों से बनी है:
    • भूपर्पटी: सबसे बाहरी परत; सबसे पतला (महाद्वीपों पर 35 किमी., महासागर तल पर 5 किमी.)। इसमें महाद्वीपों पर सिलिका और एल्यूमिना (सियाल) तथा महासागरीय तल पर सिलिका और मैग्नीशियम (सिमा) शामिल हैं।
    • मेंटल: यह भूपर्पटी के नीचे अवस्थित है, तथा मोहो असंततता से 2,900 किमी. की गहराई तक विस्तृत है।
      • ऊपरी भाग को दुर्बलमंडल/एस्थेनोस्फीयर (400 किमी. तक विस्तृत) कहा जाता है और यह मैग्मा का मुख्य स्रोत है।
      • भूपर्पटी और ऊपरी मैंटल मिलकर स्थलमंडल बनाते हैं जिसकी मोटाई 10-200 किमी. तक होती है।
      • निचला मैंटल ठोस है और एस्थेनोस्फीयर से आगे तक फैला हुआ है।
        • कोर: यह मेंटल के नीचे 2,900 किमी. की गहराई पर स्थित है।
          • कोर का तापमान और दाब अत्यधिक होता है और यह दो भागों से मिलकर बना होता है:
        • बाह्य कोर: तरल अवस्था
        • आंतरिक कोर: ठोस अवस्था
    • यह मुख्यतः निकल और लोहे से बना होता है, जिसे कभी-कभी निफे परत भी कहा जाता है।
    • बाह्य कोर को अशांत माना जाता है, पहले यह माना जाता था कि यह अशांति मानव समय-सीमा के स्तर पर आंतरिक कोर को प्रभावित नहीं करती।

Source :DTE