नक्सलमुक्त भारत अभियान: रेड जोन से विकास गलियारों तक

पाठ्यक्रम: GS3/आंतरिक सुरक्षा

संदर्भ

  • भारत ने वामपंथी उग्रवाद पर अंकुश लगाने में महत्त्वपूर्ण प्रगति की है, प्रभावित जिलों, हिंसा और नक्सली उपस्थिति में भारी गिरावट आई है।

नक्सलवादी आंदोलन क्या है?

  • उत्पत्ति: नक्सलवादी आंदोलन की शुरुआत 1967 में पश्चिम बंगाल के नक्सलबाड़ी में एक कट्टरपंथी वामपंथी विद्रोह के रूप में हुई थी, जो आदिवासी और भूमिहीन समुदायों के अधिकारों का समर्थन करता था। 
  • भौगोलिक विस्तार: उग्रवाद तथाकथित लाल गलियारे में फैल गया, जिसमें छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, मध्य प्रदेश और केरल के कुछ हिस्से शामिल थे। 
  • अपनाई गई रणनीति: नक्सली गुरिल्ला युद्ध का उपयोग करते हैं, राज्य की संस्थाओं को निशाना बनाते हैं, स्थानीय जनसंख्या से जबरन वसूली करते हैं और प्रायः बच्चों की भर्ती करते हैं।
    • वे हाशिए पर पड़े समुदायों के लिए लड़ने का दावा करते हैं, लेकिन हिंसक तरीकों का सहारा लेते हैं।

नक्सलवाद के परिणाम

  • राजनीतिक परिणाम: यह राज्य के अधिकार को कमजोर करता है और प्रभावित क्षेत्रों में लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर करता है।
    • यह शासन में शून्यता भी उत्पन्न करता है, जिससे प्रशासन और कानून प्रवर्तन बेहद मुश्किल हो जाता है।
  • आर्थिक परिणाम: नक्सलवाद कृषि और बुनियादी ढाँचे के विकास जैसी आर्थिक गतिविधियों को बाधित करता है।
    • सुरक्षा पर सरकारी व्यय बढ़ाता है, विकास के लिए उपलब्ध धन को कम करता है और निजी निवेश को बाधित करता है।
  • सामाजिक परिणाम: यह हाशिए के समुदायों में भय, अविश्वास और अलगाव की भावना को बढ़ावा देता है।
    • विशेष रूप से दूरदराज के क्षेत्रों में शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं के विघटन से मानव विकास में महत्त्वपूर्ण हानि होता है।

नक्सलवाद के विरुद्ध भारत की लड़ाई में सुधार

  • 2010 में प्रभावित जिलों की संख्या 126 से घटकर 2024 में मात्र 38 रह गई है, जो वामपंथी उग्रवाद क्षेत्रों पर सफलतापूर्वक नियंत्रण दर्शाता है। 
  • हिंसा में कमी: वामपंथी उग्रवाद से संबंधित हिंसक घटनाओं में 81% की कमी आई है, जो 2010 में 1,936 से घटकर 2024 में 374 हो गई है। 
  • मुख्यधारा में पुनः एकीकरण: वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित क्षेत्रों में शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, संपर्क और शासन में सुधार हो रहा है।
    •  विगत 10 वर्षों में 8,000 से अधिक नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है।

सरकारी पहल

  • सुरक्षा संबंधी व्यय योजना: इस योजना को छत्र योजना ‘पुलिस बलों के आधुनिकीकरण’ की उप-योजना के रूप में कार्यान्वित किया जा रहा है।
    • केंद्र सरकार वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित जिलों और निगरानी के लिए निर्धारित जिलों के लिए सुरक्षा संबंधी व्यय की प्रतिपूर्ति करती है।
  • समाधान रणनीति: स्मार्ट नेतृत्व, आक्रामक रणनीति, प्रेरणा और प्रशिक्षण, कार्रवाई योग्य खुफिया जानकारी, डैशबोर्ड-आधारित केपीआई एवं केआरए, प्रौद्योगिकी का उपयोग, प्रत्येक थिएटर के लिए कार्य योजना और वित्तपोषण तक पहुँच न होने से जुड़ा एक व्यापक दृष्टिकोण।
  • किलेबंद पुलिस स्टेशनों की योजना: विगत 10 वर्षों में वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में 612 किलेबंद पुलिस स्टेशनों का निर्माण किया गया है।
  • आकांक्षी जिला: गृह मंत्रालय को वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित 35 जिलों में आकांक्षी जिला कार्यक्रम की निगरानी का कार्य सौंपा गया है।
  • केंद्रित विकास सहायता: सबसे अधिक प्रभावित जिलों के लिए ₹30 करोड़ और चिंता वाले जिलों के लिए ₹10 करोड़ की विशेष केंद्रीय सहायता बुनियादी ढाँचे की कमी को पूरा कर रही है।

आगे की राह

  • सामुदायिक सहभागिता: विश्वास-निर्माण उपायों को बढ़ावा देना और जनजातीय संस्थाओं को सशक्त बनाना।
  • रोजगार और शिक्षा: भर्ती शृंखला को तोड़ने के लिए युवाओं को कौशल, शिक्षा और नौकरी के अवसर प्रदान करना।
  • तकनीकी एकीकरण: आधुनिक प्रौद्योगिकी का उपयोग करके खुफिया जानकारी, निगरानी और संचार को बढ़ाना।

निष्कर्ष

  • भारत सरकार ने 31 मार्च 2026 तक नक्सलवाद को समाप्त करने का लक्ष्य रखा है, तथा इसे आदिवासी और दूरदराज के क्षेत्रों के विकास में एक बड़ी बाधा माना है। 
  • नक्सलमुक्त भारत अभियान की सफलता मजबूत सुरक्षा और समावेशी विकास के बीच संतुलन बनाने में निहित है। 
  • निरंतर राजनीतिक इच्छाशक्ति, प्रशासनिक दक्षता और स्थानीय भागीदारी के साथ वामपंथी उग्रवाद से मुक्त भविष्य की प्राप्ति संभव है।

Source: PIB

 

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