पाठ्यक्रम: GS2/अंतर्राष्ट्रीय संबंध
संदर्भ
- प्रधानमंत्री ने मॉरीशस की राजकीय यात्रा की, जो 2015 के पश्चात् उनकी दूसरी यात्रा थी।
- वह 12 मार्च को मॉरीशस के राष्ट्रीय दिवस समारोह में मुख्य अतिथि थे।
यात्रा की मुख्य विशेषताएँ
- हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन: इसमें सिविल सेवकों का प्रशिक्षण, लघु एवं मध्यम उद्यम, नीली अर्थव्यवस्था का विकास, वित्तीय अपराधों से निपटना और व्यापार के लिए स्थानीय मुद्रा निपटान सम्मिलित हैं।
- भारतीय रुपया क्रेडिट लाइन: मॉरीशस में जल की पाइपलाइनों को बदलने के लिए 487.6 करोड़ रुपये की ऋण सुविधा, प्रथम बार INR-आधारित ऋण सुविधा।
- व्हाइट-शिपिंग समझौता: समुद्री सुरक्षा और सूचना विनिमय के लिए तकनीकी समझौता।
- पुरस्कार प्रदान किया गया: प्रधानमंत्री मोदी को ग्रैंड कमांडर ऑफ़ द ऑर्डर ऑफ़ द स्टार और की ऑफ़ द इंडियन ओशन से सम्मानित किया गया, जिससे वे प्रथम भारतीय प्राप्तकर्त्ता बन गए।
- ग्लोबल साउथ के लिए विजन: प्रधानमंत्री ने विगत विजन सागर पर आधारित विजन महाराष्ट्र (क्षेत्रों में सुरक्षा और विकास के लिए पारस्परिक और समग्र उन्नति) की शुरुआत की।
मॉरीशस के बारे में
- अवस्थिति: मॉरीशस भारत के निकट, पश्चिमी हिंद महासागर में स्थित एक रणनीतिक द्वीप राष्ट्र है।

- जनसंख्या: लगभग 70% जनसंख्या (1.2 मिलियन) भारतीय मूल की है, जो भारत के साथ संबंधों को मजबूत करती है।
- औपनिवेशिक इतिहास: मॉरीशस प्रारंभ में ब्रिटिश नियंत्रण में आने से पहले एक फ्रांसीसी उपनिवेश था।
- राष्ट्रीय दिवस: मॉरीशस महात्मा गांधी की दांडी यात्रा की तिथि के सम्मान में 12 मार्च को राष्ट्रीय दिवस मनाता है।
भारत-मॉरीशस द्विपक्षीय संबंध
- राजनयिक संबंध: भारत एवं मॉरीशस ने 1948 में राजनयिक संबंध स्थापित किए और एशियाई महाद्वीप में प्रमुख व्यापारिक साझेदार बन गए हैं।
- वाणिज्यिक संबंध: वित्त वर्ष 2022-2023 के लिए, मॉरीशस को भारतीय निर्यात 462.69 मिलियन अमरीकी डॉलर था, भारत को मॉरीशस का निर्यात 91.50 मिलियन अमरीकी डॉलर था और कुल व्यापार 554.19 मिलियन अमरीकी डॉलर था।
- दोहरा कराधान बचाव समझौता: गैर-निवासी निवेशकों को दोहरे करों से बचने में मदद करने के लिए 1982 में हस्ताक्षर किए गए।
- CECPA समझौता: भारत और मॉरीशस ने 2021 में व्यापक आर्थिक सहयोग और भागीदारी समझौते (CECPA) पर हस्ताक्षर किए, जो किसी अफ्रीकी देश के साथ भारत का प्रथम व्यापार समझौता है।
- FDI स्रोत: सिंगापुर के बाद मॉरीशस वित्त वर्ष 2023-24 के लिए भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) का दूसरा सबसे बड़ा स्रोत है।
- रक्षा संबंध: भारत मॉरीशस का पसंदीदा रक्षा साझेदार है, जहाँ प्लेटफ़ॉर्म, क्षमता निर्माण, संयुक्त गश्त, जल विज्ञान सेवाएँ आदि प्राप्त की जाती हैं।
- प्रथम समझौता: मॉरीशस को एक डोर्नियर विमान और एक उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर (ध्रुव) को पट्टे पर हस्तांतरित किया गया।
- दूसरा समझौता: रक्षा उपकरण खरीदने के लिए मॉरीशस को 100 मिलियन डॉलर की ऋण सहायता (LoC)।
- अंतरिक्ष सहयोग: भारत और मॉरीशस अंतरिक्ष अनुसंधान के अवसरों की खोज कर रहे हैं और नवंबर 2023 में एक संयुक्त उपग्रह विकसित करने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।
- भारतीय प्रवास: फ्रांसीसी शासन (1700 का दशक): पुडुचेरी से भारतीयों को कारीगरों और राजमिस्त्री के रूप में मॉरीशस लाया गया था।
- ब्रिटिश शासन (1834 – 1900 के दशक की शुरुआत): लगभग पाँच लाख भारतीय अनुबंधित कर्मचारी मॉरीशस पहुँचे।
- इनमें से अधिकांश कर्मचारी मॉरीशस में बस गए, जिससे इसकी संस्कृति और जनसांख्यिकी प्रभावित हुई।
- ब्रिटिश शासन (1834 – 1900 के दशक की शुरुआत): लगभग पाँच लाख भारतीय अनुबंधित कर्मचारी मॉरीशस पहुँचे।
- विकास साझेदारी: भारत मेट्रो एक्सप्रेस, नए अस्पताल और अगालेगा द्वीप में बुनियादी ढाँचे जैसी परियोजनाओं में योगदान दे रहा है।
- मानवीय सहायता: भारत ने 2023 में चक्रवात चिडो के दौरान मॉरीशस की सहायता की, जिससे भारत की भूमिका “प्रथम प्रतिक्रियाकर्त्ता” के रूप में प्रदर्शित हुई।
- सागर: सागर – ‘क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास’ शब्द प्रधानमंत्री द्वारा 2015 में अपनी यात्रा के दौरान नीली अर्थव्यवस्था पर ध्यान केंद्रित करते हुए गढ़ा गया था।
भारत के लिए मॉरीशस का महत्त्व
- रणनीतिक अवस्थिति: मॉरीशस हिंद महासागर में रणनीतिक रूप से स्थित है, जो भारत की समुद्री सुरक्षा और व्यापार मार्गों के लिए महत्त्वपूर्ण है।
- अगालेगा द्वीप: यह मॉरीशस से 1,100 किमी उत्तर में स्थित है, भारतीय दक्षिणी तट से इसकी निकटता के कारण इसका रणनीतिक महत्त्व है।
- 2024 में, भारत और मॉरीशस ने संयुक्त रूप से द्वीप पर हवाई पट्टी एवं जेट्टी परियोजनाओं का उद्घाटन किया, जिससे उनके द्विपक्षीय सहयोग को मजबूती मिली।
- चीन के प्रभाव का मुकाबला करना: हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की बढ़ती उपस्थिति का मुकाबला करने के लिए मॉरीशस के साथ संबंधों को मजबूत करना भारत के लिए महत्त्वपूर्ण है।
- भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा: हिंद महासागर क्षेत्र भू-राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता का केंद्र है, जिसमें यूरोप, खाड़ी, रूस, ईरान और तुर्की जैसे देश अपना प्रभाव बढ़ा रहे हैं।
- सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंध: भारतीय मूल की लगभग 70% जनसंख्या के साथ, मॉरीशस भारत के साथ गहरे सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और पारिवारिक संबंध साझा करता है।
- नीली अर्थव्यवस्था: मॉरीशस हिंद महासागर की नीली अर्थव्यवस्था में भारत के हितों के लिए महत्त्वपूर्ण है, विशेष रूप से समुद्री संसाधनों, मत्स्य पालन और अपतटीय ऊर्जा अन्वेषण के लिए।
- हिंद महासागर सहयोग: मॉरीशस हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (IORA) जैसे क्षेत्रीय संगठनों में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जो क्षेत्रीय स्थिरता और आर्थिक सहयोग में योगदान देता है।
चिंता के क्षेत्र
- कर संधि का दुरुपयोग: भारत और मॉरीशस के बीच दोहरा कराधान बचाव समझौता (DTAA) धन शोधन और धन की राउंड-ट्रिपिंग जैसी अवैध गतिविधियों के लिए इसके संभावित दुरुपयोग के कारण चिंता का विषय रहा है।
- सुरक्षा संबंधी चिंताएँ: मॉरीशस इंडो-पैसिफिक में एक प्रमुख समुद्री इकाई है, जिससे सुरक्षा संबंधी मुद्दे गंभीर हो जाते हैं।
- भारत और मॉरीशस के बीच एक मजबूत रक्षा साझेदारी है, लेकिन क्षेत्रीय गतिशीलता के विकास से इस संबंध को बनाए रखने और बढ़ाने में चुनौतियाँ आती हैं।
- आर्थिक चुनौतियाँ: प्रमुख आर्थिक साझेदार होने के बावजूद, व्यापार असंतुलन और व्यापार बास्केट में विविधता लाने की आवश्यकता के बारे में चिंताएँ हैं।
- दोनों देशों को व्यापार सहयोग के लिए नई राह खोजने और वस्तुओं एवं सेवाओं के प्रवाह में बाधा डालने वाली किसी भी बाधा को दूर करने की आवश्यकता हो सकती है।
- चीन की उपस्थिति: हाल के वर्षों में, चीन सहित कई बाहरी शक्तियों ने अफ्रीका और हिंद महासागर में अपनी पैठ बढ़ाई है।
- 2021 में, मॉरीशस के साथ चीन का मुक्त व्यापार समझौता (FTA) प्रभावी हुआ।
- यह समझौता चीन को अफ्रीका में बेल्ट एंड रोड रणनीति का विस्तार करने में सहायता करेगा।
- इस क्षेत्र में चीन की बढ़ती उपस्थिति भारत के लिए चिंता का विषय होगी।
आगे की राह
- भारत एवं मॉरीशस के बीच संबंध बहुआयामी हैं और विगत कुछ वर्षों में ये सुदृढ़ हुए हैं।
- दोनों देश संयुक्त प्रशिक्षण, आतंकवाद निरोधक प्रयासों एवं समुद्री सुरक्षा सहित रक्षा और सुरक्षा सहयोग को बढ़ाने की दिशा में काम कर सकते हैं।
- यह बहुआयामी दृष्टिकोण भारत और मॉरीशस के बीच दीर्घकालिक संबंधों को मजबूत कर सकता है, जिससे आपसी विकास एवं क्षेत्रीय स्थिरता में योगदान मिलेगा।
Source: IE
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