पाठ्यक्रम: GS2/ शासन
सन्दर्भ
- भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने सड़क क्षेत्र के लिए अपनी प्रथम ‘परिसंपत्ति मुद्रीकरण रणनीति’ जारी की।
परिचय
- NHAI तीन तरीकों से परिसंपत्तियों का मुद्रीकरण करता है: टोल-ऑपरेट-ट्रांसफर (ToT), इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट्स (InvITs), और प्रतिभूतिकरण मॉडल।
- इन उपकरणों ने NHAI को राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन के तहत 6,100 किमी से अधिक के राष्ट्रीय राजमार्गों पर ₹1.4 लाख करोड़ से अधिक एकत्रित करने में सहायता की।
परिसंपत्ति मुद्रीकरण क्या है?
- परिसंपत्ति मुद्रीकरण, जिसे सामान्यतः परिसंपत्ति या पूँजी पुनर्चक्रण भी कहा जाता है, एक व्यापक रूप से उपयोग की जाने वाली वैश्विक व्यापार प्रथा है।
- यह एक सार्वजनिक क्षेत्र की परिसंपत्ति को एक निजी क्षेत्र की इकाई को एक निर्धारित अवधि के लिए लाइसेंस/पट्टे के रूप में प्रदान करने की प्रक्रिया है, जिसमें एक सुव्यवस्थित रियायत/अनुबंध ढाँचा होता है।
- यह एक सतत् चक्र है, जहां मौजूदा परिसंपत्तियों को धन के स्रोतों में बदला जाता है, जिसे नई परिसंपत्तियों के निर्माण में लगाया जाता है।
परिसंपत्ति मुद्रीकरण रणनीति के स्तंभ
- मूल्य अधिकतमकरण: इस स्तंभ का उद्देश्य प्रक्रियाओं को व्यवस्थित रूप से पहचानना और आकर्षक परिसंपत्तियों को मुद्रीकरण के लिए पेश करना है, ताकि सरकार के लिए अधिकतम मूल्य बढ़ाने वाले बोली प्रस्ताव स्वीकार किए जा सकें।
- पारदर्शिता: इस स्तंभ का उद्देश्य उन प्रक्रियाओं को व्यवस्थित करना है, जो संगठन के भीतर और निवेशकों के साथ संचार में पारदर्शिता को बढ़ावा देती हैं।
- बाजार विकास: इस स्तंभ का उद्देश्य दोहरा है—
- निवेशक आधार का विस्तार करके अधिक निजी भागीदारी को आकर्षित करना।
- हितधारकों के जुड़ाव को बढ़ाकर NHAI के परिसंपत्ति मुद्रीकरण कार्यक्रम की स्वीकार्यता बढ़ाना।
NHAI द्वारा उपयोग किए जाने वाले प्रमुख मुद्रीकरण मॉडल – इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट्स (InvITs) – यह एक समेकित निवेश तंत्र है, जिसे 2014 में प्रस्तुत किया गया और भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) द्वारा विनियमित किया गया। कार्यप्रणाली: – NHAI टोल-संचालित सड़क परिसंपत्तियों को एक ट्रस्ट संरचना में स्थानांतरित करता है। – निवेशक InvIT के यूनिट खरीदते हैं और टोल राजस्व से रिटर्न प्राप्त करते हैं। – इसमें एक निवेश प्रबंधक (वित्तीय लाभ) और एक परियोजना प्रबंधक (संचालन और प्रबंधन की निगरानी) शामिल होता है। टोल-ऑपरेट-ट्रांसफर (ToT) मॉडल – यह एक सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल है, जिसे 2016 में पेश किया गया। कार्यप्रणाली: – निजी कंपनियां पूर्ण किए गए राजमार्गों के टोल संग्रह अधिकारों के लिए एकमुश्त अग्रिम भुगतान करती हैं। – वे संचालन और रखरखाव की लागत भी वहन करते हैं। टोल राजस्व का प्रतिभूतिकरण – यह भविष्य की राजस्व धाराओं को संपार्श्विक के रूप में उपयोग करके परियोजना-आधारित वित्तपोषण है। कार्यप्रणाली: – NHAI एक विशेष प्रयोजन वाहन (SPV) बनाता है, जो भविष्य की टोल प्राप्तियों को प्रतिभूतिकृत करके धन जुटाता है। – उदाहरण: दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे SPV ने इस तंत्र का उपयोग करके ₹40,000 करोड़ जुटाए। |
आगे की राह
- विस्तार: अधिक राजमार्ग परियोजनाओं को मुद्रीकरण रणनीति में शामिल किया जा सकता है, जिससे अतिरिक्त पूंजी को अनलॉक किया जा सके।
- निजी क्षेत्र का विश्वास: पारदर्शी नीतियों और नियामक स्थिरता को सुनिश्चित करना निजी भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए महत्त्वपूर्ण है।
- संस्थान निर्माण: मुद्रीकरण सौदों को प्रभावी ढंग से संरचित और प्रबंधित करने के लिए संस्थागत क्षमता को मजबूत करना आवश्यक है।
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) – भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) भारत सरकार की एक स्वायत्त एजेंसी है, जिसे 1995 में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) के तहत स्थापित किया गया था। – NHAI की स्थापना राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण अधिनियम, 1988 के माध्यम से की गई। – उद्देश्य: यह देशभर में राष्ट्रीय राजमार्गों के विकास, रखरखाव और प्रबंधन के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार है। – मुख्यालय: नई दिल्ली। |
Source: PIB
Previous article
भगवान बिरसा मुंडा