पाठ्यक्रम: GS3/ अर्थव्यवस्था
समाचार में
- केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने गिग और प्लेटफॉर्म श्रमिकों से आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (AB-PMJAY) के अंतर्गत औपचारिक मान्यता एवं लाभ तक पहुँच के लिए ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकरण कराने का आग्रह किया है।
परिचय
- भारत अपने विशाल कार्यबल, तीव्र शहरीकरण, स्मार्टफोन की पहुँच और डिजिटल प्रौद्योगिकी अपनाने के कारण गिग अर्थव्यवस्था क्रांति का साक्षी बन रहा है।
- देश की अर्थव्यवस्था में गिग और प्लेटफॉर्म श्रमिकों के योगदान को स्वीकार करते हुए, केंद्रीय बजट 2025-26 में निम्नलिखित प्रावधानों की घोषणा की गई है:
- ई-श्रम पोर्टल पर ऑनलाइन प्लेटफॉर्म श्रमिकों का पंजीकरण,
- पहचान पत्र जारी करना और
- आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (AB-PMJAY) के अंतर्गत स्वास्थ्य सेवा कवरेज।
- AB-PMJAY भारत में 31,000 से अधिक सार्वजनिक और निजी पैनलबद्ध अस्पतालों में द्वितीयक एवं तृतीयक देखभाल अस्पताल में भर्ती के लिए प्रति वर्ष प्रति परिवार 5 लाख रुपये का कवर प्रदान करता है।
गिग और प्लेटफॉर्म अर्थव्यवस्था क्या है?
- परिभाषा: गिग इकॉनमी से तात्पर्य ऐसे श्रम बाजार से है, जिसमें अल्पकालिक, लचीले रोजगार होते हैं, जहाँ श्रमिकों को पारंपरिक पूर्णकालिक रोजगार के बजाय अनुबंध या फ्रीलांस आधार पर कार्य पर रखा जाता है।
- गिग वर्कर कहे जाने वाले ये कर्मचारी बिना किसी दीर्घकालिक प्रतिबद्धता के माँग के अनुसार कार्य (गिग) करते हैं।
- प्लेटफ़ॉर्म इकॉनमी गिग इकॉनमी का एक उपसमूह है, जहाँ डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म (वेबसाइट, ज़ोमैटो, ओला आदि जैसे ऐप) श्रमिकों को ग्राहकों या नियोक्ताओं से जोड़ते हैं।
- अनुमानित वृद्धि: नीति आयोग ने अनुमान लगाया है कि भारत में गिग इकॉनमी 2024-25 में 1 करोड़ से अधिक श्रमिकों को रोजगार देगी, जो बाद में 2029-30 तक 2.35 करोड़ तक पहुँच जाएगी।
- प्रवृत्ति: मध्यम-कुशल रोजगार घट रहे हैं, जबकि निम्न और उच्च-कुशल रोजगार बढ़ रहे हैं।
गिग कर्मियों को किन प्रमुख चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है?
- नौकरी की सुरक्षा का अभाव: कोई निश्चित वेतन या दीर्घकालिक अनुबंध नहीं।
- सीमित सामाजिक सुरक्षा लाभ: EPFO, ESIC या अन्य कल्याणकारी योजनाओं के अंतर्गत कवर नहीं।
- कोई स्वास्थ्य बीमा, सवेतन अवकाश या सेवानिवृत्ति लाभ नहीं।
- अनियमित कार्य परिस्थितियाँ: लंबे घंटे, असंगत वेतन और संभावित शोषण।
- प्लेटफ़ॉर्म एल्गोरिदम पर निर्भरता: आय और दृश्यता प्लेटफ़ॉर्म नीतियों पर निर्भर करती है।
गिग और प्लेटफ़ॉर्म अर्थव्यवस्था को मज़बूत करने के लिए सिफ़ारिशें
- प्लेटफ़ॉर्म अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना: फंडिंग, कौशल और वित्तीय समावेशन के लिए “प्लेटफ़ॉर्म इंडिया” पहल प्रारंभ करना।
- स्ट्रीट वेंडर्स, छोटे व्यवसायों को डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म से जोड़ना।
- वित्तीय समावेशन: गिग वर्कर्स के लिए बिना किसी जमानत के ऋण प्रदान करना।
- प्रथम बार गिग उद्यमियों के लिए प्राथमिकता ऋण।
- कौशल विकास: प्रशिक्षण के लिए सरकार और प्लेटफ़ॉर्म सहयोग।
- गिग वर्कर्स के लिए कौशल प्रमाणन और कैरियर की प्रगति।
- सामाजिक सुरक्षा: स्वास्थ्य बीमा, दुर्घटना कवरेज, भुगतान की गई बीमारी की छुट्टी।
- सेवानिवृत्ति योजनाएँ, कम कार्य की अवधि के दौरान आय सहायता।
गिग और प्लेटफ़ॉर्म श्रमिकों के लिए पहल – गिग वर्कर्स के लिए कानूनी ढांचा: सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 को औपचारिक रूप से परिभाषित किया गया: 1. एग्रीगेटर 2. गिग वर्कर 3. प्लेटफ़ॉर्म वर्कर – प्रथम बार गिग वर्कर्स को सामाजिक सुरक्षा उपायों में शामिल करने के लिए कानूनी प्रावधान पेश किए गए। – केंद्रीय बजट 2025-26 की घोषणा: 1 करोड़ से ज़्यादा गिग वर्कर्स को पहचान पत्र, ई-श्रम पंजीकरण और PM जन आरोग्य योजना के अंतर्गत स्वास्थ्य सेवा कवरेज मिलेगा। |
Source: PIB
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