पाठ्यक्रम: GS2/अंतर्राष्ट्रीय संबंध
संदर्भ
- ईरान ने संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ अपने परमाणु कार्यक्रम पर वार्ता पुनः प्रारंभ करने से मना कर दिया।
परिचय
- ट्रम्प प्रशासन ने अपनी “अधिकतम दबाव” रणनीति के अंतर्गत ईरान के विरुद्ध प्रतिबंध लगाए हैं – जिसमें देश के तेल नेटवर्क पर भी प्रतिबंध शामिल हैं।
- ट्रम्प ने ईरान को पत्र लिखकर परमाणु समझौते पर बातचीत करने या सैन्य कार्रवाई का जोखिम उठाने का आग्रह किया।
- ईरान के विदेश मंत्री ने कहा कि वे केवल अन्य JCPOA सदस्यों (यूरोप, रूस, चीन) के साथ बातचीत करेंगे, अमेरिका के साथ नहीं।
संयुक्त व्यापक कार्य योजना (JCPOA) 2015
- प्रतिभागी:
- ईरान
- P5+1: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्य (चीन, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन, अमेरिका) और जर्मनी।
- यूरोपीय संघ: वार्ता में भाग लिया।
ईरान की प्रतिबद्धताएँ:
- परमाणु प्रतिबंध: ईरान ने परमाणु हथियारों के लिए अत्यधिक समृद्ध यूरेनियम या प्लूटोनियम का उत्पादन न करने और अपनी परमाणु सुविधाओं (फोर्डो, नतांज, अराक) को नागरिक उद्देश्यों पर केंद्रित करने के लिए सहमति व्यक्त की।
- सेंट्रीफ्यूज सीमाएँ: ईरान ने अपने सेंट्रीफ्यूज की संख्या, प्रकार एवं स्तर को सीमित कर दिया, और समृद्ध यूरेनियम के अपने भंडार को कम कर दिया।
- 5% तक समृद्ध यूरेनियम परमाणु ऊर्जा के लिए है; 20% अनुसंधान या चिकित्सा उपयोग के लिए; 90% हथियारों के लिए।
- निगरानी और सत्यापन: ईरान ने अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) को अघोषित साइटों सहित परमाणु सुविधाओं तक निर्बाध पहुँच की अनुमति देने पर सहमति व्यक्त की।
- एक संयुक्त आयोग सौदे के कार्यान्वयन की निगरानी करता है और IAEA को संदिग्ध साइटों तक पहुँच प्रदान करने सहित विवादों को हल करता है।
अन्य हस्ताक्षरकर्त्ता किन बातों पर सहमत हुए:
- प्रतिबंधों में राहत: यूरोपीय संघ, संयुक्त राष्ट्र और अमेरिका ने ईरान पर परमाणु संबंधी प्रतिबंधों को हटाने पर सहमति व्यक्त की, लेकिन बैलिस्टिक मिसाइलों, आतंकवाद समर्थन और मानवाधिकारों पर अमेरिकी प्रतिबंध बने रहे।
- अमेरिका ने तेल निर्यात पर प्रतिबंध हटा दिए, लेकिन वित्तीय लेनदेन पर प्रतिबंध बरकरार रखे।
- ईरान पर संयुक्त राष्ट्र के हथियार और मिसाइल प्रतिबंध पांच वर्ष बाद हटा दिए गए, बशर्ते IAEA पुष्टि करे कि ईरान की परमाणु गतिविधियाँ नागरिक बनी हुई हैं।
- समझौते का उल्लंघन: यदि किसी हस्ताक्षरकर्त्ता को संदेह है कि ईरान समझौते का उल्लंघन कर रहा है, तो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद इस पर मतदान कर सकती है कि प्रतिबंधों में राहत जारी रखी जाए या नहीं।
- यह “स्नैपबैक” तंत्र दस वर्ष तक प्रभावी रहता है, जिसके बाद संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंध स्थायी रूप से हटा दिए जाते हैं।
- ट्रंप का समझौते से पीछे हटना: 2018 में, राष्ट्रपति ट्रम्प ने अमेरिका को समझौते से हटा लिया, जिसके कारण ईरान ने परमाणु गतिविधियाँ फिर से प्रारंभ कर दीं।
- ईरान की परमाणु गतिविधि: 2023 में, ईरान ने हथियार-ग्रेड के स्तर तक यूरेनियम को समृद्ध किया, जिससे अंतर्राष्ट्रीय चिंताएँ बढ़ गईं।
- JCPOA के प्रमुख प्रावधान 2023 के अंत तक समाप्त होने लगेंगे।
JCPOA के लक्ष्य:
- ईरान के परमाणु हथियार विकास में विलंब: इसका लक्ष्य ईरान की परमाणु हथियार बनाने की क्षमता को कम से कम एक वर्ष तक विलंबित करना था, जबकि समझौते के बिना ऐसा करने में कुछ महीने लगते।
- क्षेत्रीय संकट को रोकना: यह भय है कि ईरान के परमाणु कार्यक्रम के कारण इजरायल द्वारा पूर्व-आक्रमणकारी सैन्य कार्रवाई हो सकती है या क्षेत्र के अन्दर परमाणु हथियारों की प्रतिस्पर्धा प्रारंभ हो सकती है।
वार्तालाप में चुनौतियाँ
- अमेरिका और ईरान के बीच अविश्वास: अतीत में किए गए विश्वासघात कूटनीतिक प्रगति में बाधा डालते हैं।
- अलग-अलग हित: अमेरिका एक व्यापक समझौता चाहता है; ईरान JCPOA की पुनर्स्थापना चाहता है।
- घरेलू राजनीतिक बाधाएँ: दोनों देशों के कट्टरपंथी समझौते का विरोध करते हैं।
आगे की राह
परिदृश्य | संभावित परिणाम |
सफल वार्ता | तनाव में कमी, ईरान को आर्थिक राहत, परमाणु प्रतिबंध लागू। |
कोई सौदा नहीं / यथास्थिति | निरंतर परमाणु वृद्धि, आगे प्रतिबंध, क्षेत्रीय अस्थिरता। |
सैन्य कार्रवाई | मध्य पूर्व में संघर्ष का खतरा, तेल बाजार में व्यवधान, वैश्विक आर्थिक प्रभाव। |
Source: TOI
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