संशोधित पशुधन स्वास्थ्य एवं रोग नियंत्रण कार्यक्रम (LHDCP)

पाठ्यक्रम: GS3/ कृषि

संदर्भ

  • केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पशुधन स्वास्थ्य एवं रोग नियंत्रण कार्यक्रम (LHDCP) के संशोधन को मंजूरी दे दी है।
    • पशु औषधि LHDCP योजना में जोड़ा गया एक नया घटक है।

LHDCP का अवलोकन

  • कुल परिव्यय: वर्ष 2024-25 और 2025-26 के लिए ₹3,880 करोड़
  • उद्देश्य:
    • रोगनिरोधी टीकाकरण कार्यक्रमों के माध्यम से पशुधन स्वास्थ्य में सुधार करना।
    • क्षमता निर्माण, रोग निगरानी और पशु चिकित्सा अवसंरचना को बढ़ाना।
    • पशुधन रोगों के कारण होने वाले आर्थिक क्षति को रोकना।
  • संशोधित योजना के प्रमुख घटक:
    • संशोधित LHDCP में तीन प्रमुख घटक शामिल हैं:
      • राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम (NADCP)
      • पशुधन स्वास्थ्य और रोग नियंत्रण (LH&DC)
      • पशु औषधि (नया प्रारंभ किया गया घटक)
    • LH&DC के उप-घटक:
      • गंभीर पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम (CADCP): पेस्ट डेस पेटिट्स रुमिनेंट्स (PPR) और क्लासिकल स्वाइन फीवर (CSF) को नियंत्रित करने पर ध्यान केंद्रित करता है।
      • पशु चिकित्सा अस्पतालों और औषधालयों की स्थापना और सुदृढ़ीकरण – मोबाइल पशु चिकित्सा इकाइयाँ (ESVHD-MVU): इसका उद्देश्य किसानों को घर-द्वार पर पशु चिकित्सा स्वास्थ्य सेवा प्रदान करना है।
      • पशु रोगों के नियंत्रण के लिए राज्यों को सहायता (ASCAD): इसमें राज्य-प्राथमिकता वाले विदेशी, आकस्मिक और जूनोटिक पशु रोगों को शामिल किया गया है, जिसमें लम्पी स्किन डिजीज (LSD) भी शामिल है।

पशु औषधि पहल

  • उद्देश्य: पशुपालकों के लिए सस्ती जेनेरिक पशु चिकित्सा दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करना।
    • गैर-ब्रांडेड, लागत प्रभावी पशु चिकित्सा दवाओं को बढ़ावा देकर किसानों के लिए उपचार लागत को कम करना।
  • कार्यान्वयन मंत्रालय: मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय।
  • मुख्य विशेषताएँ:

प्रमुख पशुधन रोगों को लक्षित किया गया

  • LHDCP विभिन्न गंभीर पशुधन रोगों को नियंत्रित करने पर ध्यान केंद्रित करता है जो उत्पादकता को प्रभावित करते हैं और आर्थिक हानि का कारण बनते हैं:
    • खुरपका और मुंहपका रोग (FMD): मवेशियों, भैंसों और सूअरों में दूध उत्पादन और वजन में कमी का कारण बनता है।
    •  ब्रुसेलोसिस: मवेशियों और भैंसों में बांझपन, गर्भपात और कम दूध उत्पादन का कारण बनता है। 
    • पेस्ट डेस पेटिट्स रूमिनेंट्स (PPR): भेड़ और बकरियों को प्रभावित करने वाला एक अत्यधिक घातक रोग। 
    • क्लासिकल स्वाइन फीवर (CSF): सूअरों में होने वाला एक वायरल रोग, जिससे मृत्यु दर बहुत अधिक होती है। 
    • लम्पी स्किन डिजीज (LSD): मवेशियों को प्रभावित करता है, जिससे त्वचा पर घाव हो जाते हैं और गंभीर आर्थिक हानि होती है।

भारत में पशुधन क्षेत्र की स्थिति

  • परिचय:
    • भारत में विश्व की सबसे बड़ी पशुधन जनसंख्या है और वैश्विक मांस और डेयरी उद्योग में इसकी महत्त्वपूर्ण भूमिका है। 
    • भारत भैंस के मांस का सबसे बड़ा उत्पादक और बकरी के मांस का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। 
    • भारत दूध उत्पादन में पहले स्थान पर है, जो वैश्विक दूध उत्पादन में 23% का योगदान देता है।

भारत में पशुधन क्षेत्र का महत्त्व:

  • मुख्य आर्थिक योगदान: 2021-22 में, स्थिर मूल्यों पर पशुधन सकल मूल्य वर्धन (GVA) कृषि और संबद्ध क्षेत्र GVA का 30.19% और कुल GVA का 5.73% था।
  • रोज़गार सृजन: भारत में 70% से अधिक ग्रामीण परिवारों के लिए पशुधन पालन आजीविका का एक प्रमुख स्रोत है।
  • खाद्य और पोषण सुरक्षा: दूध, मांस और अंडे जैसे पशुधन उत्पाद आवश्यक पोषक तत्त्वों से भरपूर होते हैं, जो कुपोषण से निपटने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

पशुधन क्षेत्र का समर्थन करने वाली अन्य सरकारी पहल

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Source: IE