पाठ्यक्रम: GS1/संस्कृति/GS2/अंतरराष्ट्रीय संबंध
सन्दर्भ
- संस्कृति मंत्रालय ने अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ (IBC) के सहयोग से प्रथम एशियाई बौद्ध शिखर सम्मेलन (ABS) का आयोजन किया।
परिचय
- शिखर सम्मेलन का विषय ‘एशिया को सुदृढ़ बनाने में बुद्ध धम्म की भूमिका’ है।
- शिखर सम्मेलन में एशिया भर से विभिन्न बौद्ध परंपराओं के संघ नेता, विद्वान, विशेषज्ञ और अभ्यासी शामिल हुए।
- एशियाई बौद्ध शिखर सम्मेलन में निम्नलिखित विषयों को शामिल किया गया:
- बौद्ध कला, वास्तुकला और विरासत;
- बुद्ध चरिका और बुद्ध धम्म का प्रचार-प्रसार;
- पवित्र बौद्ध अवशेषों की भूमिका और समाज में इसकी प्रासंगिकता;
- वैज्ञानिक अनुसंधान और कल्याण में बुद्ध धम्म का महत्व;
- 21वीं सदी में बौद्ध साहित्य और दर्शन की भूमिका।
- शिखर सम्मेलन भारत की एक्ट ईस्ट नीति का भी प्रकटीकरण है, जो धम्म को मार्गदर्शक प्रकाश के रूप में रखते हुए एशिया के सामूहिक, समावेशी और आध्यात्मिक विकास पर आधारित है।
बुद्ध धर्म

- बौद्ध धर्म एक आध्यात्मिक और दार्शनिक परंपरा है जो सिद्धार्थ गौतम की शिक्षाओं पर आधारित है, जिन्हें बुद्ध के नाम से जाना जाता है, जो 5वीं से 4वीं शताब्दी ईसा पूर्व के आसपास नेपाल और भारत में रहते थे।
- बौद्ध धर्म का मूल मानवीय दुख, उसके कारणों और उस पर विजय पाने के मार्ग को समझना है।
- बौद्ध धर्म ज्ञान प्राप्ति का मार्ग प्रदान करता है, जिसे दुख और जन्म, मृत्यु तथा पुनर्जन्म (संसार) के चक्र से मुक्ति के रूप में देखा जाता है।
- बौद्ध धर्म में अंतिम लक्ष्य निर्वाण प्राप्त करना है – जन्म, मृत्यु और पुनर्जन्म के चक्र से मुक्ति की स्थिति।
वर्तमान विश्व में बौद्ध शिक्षाओं की प्रासंगिकता
- सचेतनता(Mindfulness) और ध्यान (Meditation): हाल के दशकों में, सचेतनता ध्यान, एक केंद्रीय बौद्ध अभ्यास, अपने मानसिक स्वास्थ्य लाभों के लिए व्यापक रूप से अपनाया गया है।
- भावनात्मक लचीलापन: बौद्ध धर्म जीवन के एक भाग के रूप में दुख को स्वीकार करने के महत्व को सिखाता है (दुक्खा), इससे लोगों को प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करने में लचीलापन बनाने में सहायता मिल सकती है।
- शांति और अहिंसा: बौद्ध धर्म अहिंसा (अहिंसा) और संघर्षों के शांतिपूर्ण समाधान का समर्थन करता है, संवाद और सुलह के लिए एक मॉडल प्रस्तुत करता है।
- क्षमा: बौद्ध सिद्धांत क्षमा के महत्व पर भी बल देते हैं, उनकी शिक्षा विशेष रूप से संघर्ष के बाद के समाजों या ऐतिहासिक आघात से निपटने वाले समुदायों में प्रासंगिक है।
- भौतिकवाद से परे: प्रायः भौतिक संपदा पर केंद्रित विश्व में, बौद्ध धर्म खुशी पर एक वैकल्पिक दृष्टिकोण प्रदान करता है – जो आंतरिक शांति, ज्ञान और करुणा में निहित है।
सॉफ्ट पावर कूटनीति
- सॉफ्ट पावर: सॉफ्ट पावर की अवधारणा देशों के लिए एक शक्तिशाली उपकरण के रूप में उभरी है, जिसके माध्यम से वे दबावपूर्ण रणनीति का सहारा लिए बिना प्रभाव डाल सकते हैं तथा धारणाओं को आकार दे सकते हैं।
- इसे प्रायः सॉफ्ट आधिपत्य(soft hegemony) के रूप में संदर्भित किया जाता है, जो पश्चिमी देशों, विशेषकर संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा प्रयुक्त अवधारणा है।
- इसका उपयोग लोकप्रिय प्रवृत्तियों के माध्यम से, विशेष रूप से युवा पीढ़ी को लक्ष्य करके, उनके विचारों और मूल्यों को बढ़ावा देकर अन्य संस्कृतियों को प्रभावित करने के लिए किया जाता है।
- जोसेफ नाई ने सबसे पहले ‘सॉफ्ट पावर’ शब्द की अवधारणा प्रस्तुत की थी।
भारत की सांस्कृतिक सॉफ्ट पावर कूटनीति के रूप में बौद्ध धर्म
- दक्षिण एशियाई देशों के साथ संबंधों को सुदृढ़ करना: थाईलैंड, म्यांमार, कंबोडिया, लाओस, वियतनाम और श्रीलंका जैसे कई दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में बौद्ध परंपराएँ गहराई से जमी हुई हैं।
- भारत रणनीतिक रूप से अपनी समृद्ध बौद्ध विरासत का लाभ उठाकर संबंधों को सुदृढ़ कर रहा है और चीन के बढ़ते प्रभाव का सामना कर रहा है।
- खुद को एक शांतिपूर्ण राष्ट्र के रूप में स्थापित करना: साझा मूल्यों और विविधता पर बल देकर, भारत का लक्ष्य न केवल कूटनीतिक और आर्थिक संबंधों को गहरा करना है, बल्कि क्षेत्र में शांति और स्थिरता के प्रतीक के रूप में स्वयं को स्थापित करना है।
- बौद्ध धर्म की उत्पत्ति: भारत द्वारा बौद्ध कूटनीति को बढ़ावा देने के पीछे ऐतिहासिक आधार हैं, जहाँ बौद्ध धर्म की उत्पत्ति हुई है और बोधगया जैसे महत्वपूर्ण स्थल उपस्थित हैं।
- दलाई लामा और भारत का वैश्विक प्रभाव: 1959 से भारत में निर्वासन में रह रहे दलाई लामा बौद्ध दर्शन के राजदूत के रूप में कार्य करते हैं।
- दलाई लामा और तिब्बती बौद्ध धर्म के लिए भारत के समर्थन ने विश्व भर के बौद्ध समुदायों के बीच इसके प्रभाव को बढ़ाया है।
- नालंदा विश्वविद्यालय का पुनरुद्धार: 5वीं शताब्दी ई. में स्थापित मूल नालंदा विश्वविद्यालय बौद्ध अध्ययन का एक प्रमुख केंद्र था, जो पूरे एशिया से छात्रों और विद्वानों को आकर्षित करता था।
- नए नालंदा विश्वविद्यालय का लक्ष्य बौद्ध अध्ययन में शिक्षा और अनुसंधान के लिए एक वैश्विक केंद्र बनना है।
- बौद्ध कला और स्मारक: अजंता और एलोरा गुफाएँ, सांची स्तूप और सारनाथ में महान स्तूप जैसी भारतीय बौद्ध कला और वास्तुकला यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल हैं जो भारत की सांस्कृतिक विरासत के प्रतीक के रूप में कार्य करते हैं।
- विदेश नीति: देश की विदेश नीति पंचशील पहल और पंचामृत सिद्धांतों सहित गैर-सैन्य दृष्टिकोण पर बल देती है।
- एक महत्वपूर्ण पहलू संस्कृति एवं सभ्यता है, जो भारत के अन्य देशों के साथ सांस्कृतिक संबंधों को प्रकट करता है ताकि इसकी सॉफ्ट पावर रणनीति को मजबूत किया जा सके।
- पर्यटन: भारत वर्तमान में विश्व के आठ सबसे महत्वपूर्ण बौद्ध स्थलों में से सात का घर है।
- पर्यटन मंत्रालय कई ऐसे पर्यटन सर्किट को बढ़ावा दे रहा है जो राष्ट्रीय सीमाओं का उल्लंघन करते हैं।
- बौद्ध धर्म के पवित्र स्थान, जहां भगवान बुद्ध का जन्म हुआ और उन्होंने शिक्षा दी, उपदेश दिए, तथा ‘ज्ञान’ और ‘निर्वाण’ प्राप्त किया, उन्हें बौद्ध सर्किट कहा जाता है।
- पर्यटन मंत्रालय कई ऐसे पर्यटन सर्किट को बढ़ावा दे रहा है जो राष्ट्रीय सीमाओं का उल्लंघन करते हैं।

निष्कर्ष
- बौद्ध धर्म के माध्यम से भारतीय और एशियाई संस्कृतियों का ऐतिहासिक जुड़ाव आपसी समझ और सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक मजबूत आधार प्रदान करता है।
- ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक संबंधों का लाभ उठाकर, भारत राष्ट्रों के बीच आपसी समझ, सहयोग और सद्भावना को बढ़ावा देना चाहता है।
- बौद्ध पर्यटन को बढ़ावा देने और नालंदा विश्वविद्यालय के पुनरुद्धार जैसी पहलों के माध्यम से, भारत शिक्षा के क्षेत्र में अपने नेतृत्व को सुदृढ़ करने के साथ-साथ अपनी सांस्कृतिक तथा कूटनीतिक आधार को मजबूत करने का प्रयास करता है।
Source: PIB
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संक्षिप्त समाचार 05-11-2024