बढ़ते STEM अनुसंधान के लिए पुनर्जीवित शिक्षा की आवश्यकता

पाठ्यक्रम: GS3/ विज्ञान और प्रौद्योगिकी

सन्दर्भ

  • भारत में उच्च शिक्षण संस्थानों से निकलने वाले अधिकांश स्नातकों में उद्योग-अनुकूल कौशल का अभाव है, जो एक महत्वपूर्ण कौशल अंतर को प्रकट करता है।

परिचय

  • STEM अनुसंधान चार मुख्य क्षेत्रों में प्रगति के अध्ययन और विकास को संदर्भित करता है: विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित। 
  • यह जटिल समस्याओं को हल करने, नवाचार को आगे बढ़ाने और उच्च प्रभाव वाले क्षेत्रों की एक श्रृंखला में वैज्ञानिक ज्ञान में योगदान देने पर केंद्रित है।

भारत में STEM अनुसंधान की चुनौतियाँ

  • कौशल अंतर(Skill Gap): कई भारतीय उच्च शिक्षा संस्थानों के स्नातकों में उद्योग के लिए आवश्यक कौशल की कमी है। यह अंतर उद्योगों के लिए कुशल पेशेवरों को खोजना चुनौतीपूर्ण बनाता है, जिससे आर्थिक विकास प्रभावित होता है।
  • संकाय की कमी(Faculty Shortages): शिक्षण संस्थान पहले से ही संकाय की कमी का सामना कर रहे हैं, जो नामांकन के मुद्दों के जारी रहने पर अधिक खराब हो जाएगा।
  • गुणवत्ता से ज़्यादा रैंकिंग पर ध्यान: रैंकिंग के लिए शोध आउटपुट पर बल देने से संकाय पेपर और पेटेंट बनाने की ओर बढ़ते हैं, प्रायः गुणवत्ता से अधिक मात्रा को प्राथमिकता देते हैं। यह ध्यान शिक्षण गुणवत्ता में सुधार करने से संसाधनों को हटा देता है।
  • प्रलोभनकारी शोध केंद्र: प्रलोभनकारी सम्मेलनों और प्रकाशनों की उपस्थिति वास्तविक शोध से ध्यान हटाती है और शोध परिणामों की विश्वसनीयता और गुणवत्ता को कम करती है।

सुधार के लिए आवश्यक कदम

  • पृथक रैंकिंग सिस्टम: शिक्षण संस्थानों को उनकी शिक्षण गुणवत्ता के आधार पर रैंक किया जाना चाहिए, जबकि शोध आउटपुट को मुख्य रूप से शिक्षण पर केंद्रित संस्थानों की रैंकिंग को बहुत अधिक प्रभावित नहीं करना चाहिए।
  • शिक्षणशास्त्र पर बढ़ा हुआ ध्यान: शिक्षण संस्थानों में संकाय को शुरू में शोध की तुलना में शिक्षणशास्त्र को प्राथमिकता देनी चाहिए, जिससे शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार हो सके और बाद में शोध परिणामों को लाभ मिल सके।
  • संकाय विकास कार्यक्रम: शिक्षण गुणवत्ता में सुधार के लिए संकाय विकास, मेंटरशिप तथा ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह के अपडेटेड पाठ्यक्रमों पर अधिक बल दिया जाना चाहिए।
  • शोध संस्थानों के साथ सहयोग: शिक्षणशास्त्र में सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने के लिए शिक्षण और शोध संस्थानों के बीच संयुक्त प्रयास शिक्षण की गुणवत्ता को मजबूत कर सकते हैं।
  • समर्पित शिक्षण ट्रैक: शैक्षणिक पदानुक्रम के अंदर एक समर्पित शिक्षण ट्रैक बनाने से शिक्षकों को शिक्षणशास्त्र पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है। संकाय केवल शोध आउटपुट के बजाय शिक्षण कौशल के आधार पर प्रगति कर सकते हैं।

भारत सरकार द्वारा उठाए गए कदम

  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP): NEP गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को प्रोत्साहन देती है और इसका उद्देश्य देश में कौशल अंतर को समाप्त करना है। यह शोध और शिक्षण गुणवत्ता के बीच संतुलन को प्रोत्साहित करती है। 
  • अनुसंधान राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (ANRF): ANRF शोध का समर्थन करता है और संस्थानों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने का लक्ष्य रखता है, गुणवत्तापूर्ण शोध तथा शिक्षण मानकों के विकास का समर्थन करता है। 
  • अनुसंधान नवाचार और प्रौद्योगिकी को प्रभावित करना (IMPRINT): इस पहल का उद्देश्य सबसे प्रासंगिक इंजीनियरिंग चुनौतियों का समाधान प्रदान करना और 10 चयनित प्रौद्योगिकी डोमेन में ज्ञान को व्यवहार्य प्रौद्योगिकी में बदलना है।
  •  IIT दिल्ली, IIT गुवाहाटी, IIT खड़गपुर, IIT कानपुर, IIT चेन्नई में अनुसंधान पार्क स्थापित किए गए हैं, जो IIT के छात्रों और संकाय सदस्यों के सहयोग से अपनी R&D इकाइयाँ स्थापित करने के लिए उद्यमिता और उद्योग के बीच एक इंटरफेस प्रदान करते हैं।

निष्कर्ष

  • देश के शिक्षण संस्थानों को पुनर्जीवित करना एक बड़े, उच्च-गुणवत्ता वाले प्रतिभा पूल का निर्माण करने के लिए महत्वपूर्ण है, जो नवीन अनुसंधान और वैज्ञानिक खोजों को आगे बढ़ाने में सक्षम हो। 
  • शैक्षणिक उत्कृष्टता को प्राथमिकता देकर, समर्पित शिक्षण ट्रैक बनाकर और शिक्षण एवं अनुसंधान संस्थानों के बीच सहयोग को बढ़ावा देकर, भारत एक शैक्षिक पारिस्थितिकी तंत्र विकसित कर सकता है जहाँ गुणवत्तापूर्ण शिक्षण तथा प्रभावशाली अनुसंधान एक-दूसरे को सुदृढ़ करते हैं।

Source: TH