भारत, वियतनाम ने मीडिया और मनोरंजन क्षेत्र में सहयोग करने का निर्णय लिया

पाठ्यक्रम: GS2/अंतर्राष्ट्रीय संबंध

संदर्भ 

  • भारत और वियतनाम ने सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री और वियतनाम के प्रतिनिधिमंडल के बीच बैठक के दौरान मीडिया एवं मनोरंजन क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की है।

परिचय 

  • कुछ प्रमुख क्षेत्रों की पहचान की गई है, जिनमें शामिल हैं:
    • राष्ट्रीय प्रसारकों (जैसे दूरदर्शन और वियतनाम टेलीविज़न) के बीच सामग्री का आदान-प्रदान।
    • संयुक्त फिल्म निर्माण और सह-मेजबान फिल्म समारोह।
    • पत्रकारिता, मीडिया प्रबंधन और डिजिटल प्रसारण में क्षमता निर्माण एवं प्रशिक्षण।
    • मीडिया पेशेवरों, विद्वानों और फिल्म कलाकारों के लिए आदान-प्रदान कार्यक्रम।
    • विशेष रूप से बौद्ध धर्म और क्षेत्रीय विरासत से जुड़े साझा सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टिकोणों का प्रचार।

भारत-वियतनाम संबंधों की प्रमुख विशेषताएँ: 

  • 2022: दोनों देशों ने राजनयिक संबंधों की स्थापना की 50वीं वर्षगांठ मनाई।
  • समग्र रणनीतिक साझेदारी: 
    • 2016: पीएम मोदी की यात्रा के दौरान रणनीतिक साझेदारी से समग्र रणनीतिक साझेदारी का दर्जा मिला। 
    • 2020: “शांति, समृद्धि और लोगों के लिए संयुक्त दृष्टि” अपनाई गई। 
    • 2022: राजनयिक संबंधों की 50वीं वर्षगांठ मनाई गई। 
    • 2024: विभिन्न उच्च स्तरीय आदान-प्रदान के माध्यम से द्विपक्षीय गति मजबूत हुई।
  • व्यापार और आर्थिक संबंध: भारत-वियतनाम द्विपक्षीय व्यापार (अप्रैल 2023–मार्च 2024): 14.82 अरब अमेरिकी डॉलर (भारत का निर्यात: 5.47 अरब डॉलर; आयात: 9.35 अरब डॉलर)।
  • भारत-वियतनाम रक्षा सहयोग ढाँचे:
    • रक्षा सहयोग पर समझौता ज्ञापन (2009), संयुक्त दृष्टि वक्तव्य (2015)।
    • भारत-वियतनाम रक्षा साझेदारी की संयुक्त दृष्टि 2030 तक (जून 2022 में हस्ताक्षर)।
    • रक्षा प्रशिक्षण और आपूर्ति: भारत वियतनामी सैन्य कर्मियों को प्रशिक्षण प्रदान करता है।
    • रक्षा ऋण (LoC): वियतनाम को 500 मिलियन अमेरिकी डॉलर की रक्षा ऋण सुविधा।
    • INS किरपान का उपहार (2023): आसियान देश को प्रथम प्रमुख युद्धपोत हस्तांतरण।
    • संयुक्त अभ्यास और नौसेना सहयोग: नियमित द्विपक्षीय नौसेना अभ्यास (जैसे PASSEX), संयुक्त सैन्य अभ्यास VINBAX, बंदरगाह यात्राएँ और समुद्री डोमेन जागरूकता में सहयोग।
  • क्षेत्रीय और वैश्विक सहयोग:
    • मुक्त, खुले और समावेशी हिंद-प्रशांत के लिए साझा दृष्टि।
    • वियतनाम भारत की UNSC स्थायी सदस्यता की दावेदारी का समर्थन करता है।
    • ASEAN, ईस्ट एशिया समिट (EAS) और मेकांग फ्रेमवर्क में प्रगाढ़ समन्वय।
    • भारत एक्ट ईस्ट नीति के तहत क्षेत्रीय संरचना में वियतनाम की भूमिका का समर्थन करता है।
  • हालिया विकास और सहयोग:
    • 2024 कार्य योजना (2024–2028) रणनीतिक साझेदारी को लागू करने के लिए हस्ताक्षरित।
    • वियतनाम आपदा रोधी अवसंरचना गठबंधन (CDRI) में शामिल हुआ।
    • 50 वर्षों की साझेदारी मनाने हेतु कलारीपयट्टू और वोवीनाम प्रदर्शित करता संयुक्त डाक टिकट जारी।

चुनौतियाँ 

  • चीन फैक्टर: दोनों देश चीन के साथ समुद्री विवादों का सामना करते हैं, लेकिन वियतनाम क्षेत्रीय सुरक्षा पर भारत के साथ खुलकर गठबंधन करने को लेकर सतर्क रहता है। 
  • व्यापार असंतुलन: वियतनाम को भारत के साथ व्यापार अधिशेष प्राप्त है (जैसे 2023-24 में 9.35 अरब डॉलर का आयात बनाम 5.47 अरब डॉलर का निर्यात)। 
  • भारत की निर्यात क्षमता: गैर-टैरिफ बाधाएँ, लॉजिस्टिक्स लागत और सीमित बाजार पहुँच के कारण भारत की निर्यात क्षमता अपर्याप्त रूप से उपयोग होती है। 
  • FTA समीक्षा में धीमी प्रगति: ASEAN-भारत व्यापार समझौता (AITIGA) 2022 से समीक्षा के अधीन है, लेकिन प्रगति धीमी रही है। 
  • संपर्क बाधाएँ: सीमित प्रत्यक्ष संपर्क जनता के बीच संबंधों, पर्यटन और व्यापार सुविधा को बाधित करता है। 
  • समुद्री सुरक्षा की सीमाएँ: जबकि नौसेना सहयोग बढ़ रहा है, संयुक्त गश्त या समुद्री डोमेन जागरूकता (MDA) साझा करना सीमित है। 
  • आर्थिक प्रतिस्पर्धा: वियतनाम पूर्वी एशियाई आपूर्ति शृंखलाओं और मुक्त व्यापार समझौतों (RCEP) के साथ अधिक गहराई से जुड़ा हुआ है, जिससे उसकी भारत पर व्यापारिक निर्भरता कम होती है।

आगे की राह

  • भारत और वियतनाम को संतुलित व्यापार संबंध बनाने और ASEAN-भारत व्यापार समझौते (AITIGA) की समीक्षा को तीव्रता से पूरा करना चाहिए।
  • रक्षा एवं समुद्री सहयोग को संयुक्त प्रशिक्षण, लॉजिस्टिक्स समर्थन और जहाज निर्माण सहयोग के माध्यम से गहरा करना चाहिए।
  • संपर्क सुधारना, द्विपक्षीय निवेश को बढ़ावा देना, और डिजिटल, स्टार्टअप एवं ऊर्जा साझेदारी को मजबूत करना महत्त्वपूर्ण है।
  • दोनों देशों को नियम-आधारित इंडो-पैसिफिक व्यवस्था पर सामंजस्य बिठाना चाहिए और क्षेत्रीय एवं बहुपक्षीय मंचों में घनिष्ठ सहयोग करना चाहिए।

Source: AIR

 

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