पाठ्यक्रम: GS2/अंतर्राष्ट्रीय संबंध, GS3/अर्थव्यवस्था
प्रसंग
- भारत-UK मुक्त व्यापार समझौता (FTA) वार्ता नई बाधाओं का सामना कर रही है, मुख्य रूप से UK द्वारा प्रस्तावित कार्बन बॉर्डर एडजस्टमेंट मैकेनिज़्म (CBAM) या कार्बन कर के कारण।
पृष्ठभूमि
- भारत-यूके FTA वार्ता को 2022 में औपचारिक रूप से प्रारंभ किया गया,
- जिसका उद्देश्य आर्थिक सहयोग को गहरा करना और द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देना था।
- वित्तीय वर्ष 2023-24 के अनुसार, दोनों देशों के बीच व्यापार $21.34 बिलियन तक पहुँच गया,
- जो विगत वित्तीय वर्ष $20.36 बिलियन से अधिक था।
- वर्तमान में, UK को भारत से निर्यातित वस्तुओं पर औसत आयात शुल्क 4.2% है।
- दोनों पक्ष अब एक FTA, एक द्विपक्षीय निवेश संधि (BIT) और एक सामाजिक सुरक्षा समझौते पर
- सहमति बनाने की कोशिश कर रहे हैं, जिसे डबल योगदान कन्वेंशन समझौता (DCAA) कहा जाता है।
भारत की प्रमुख माँगें
- भारत ने अपने वस्त्र, परिधान, रत्न और आभूषण जैसे श्रम-प्रधान क्षेत्रों के लिए
- अधिक बाजार पहुँच की माँग की है।
- भारत ने आईटी, आईटी-सक्षम सेवाओं (ITeS), और स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के कुशल पेशेवरों के गमन की अनुमति देने के लिए UK के वीज़ा नियमों के उदारीकरण की माँग की है।
- भारत ने सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) के लिए
- विशेष प्रावधानों और कार्बन उत्सर्जन मानकों में लचीलापन की माँग की है।
UK की प्रमुख माँगें
- UK भारत द्वारा उच्च-मूल्य वाली वस्तुओं पर लगाए गए
- शुल्कों को कम करना चाहता है, जिनमें स्कॉच व्हिस्की, इलेक्ट्रिक वाहन, चॉकलेट, और भेड़ का मांस शामिल हैं।
- यह दूरसंचार, कानूनी, बीमा, वित्तीय सेवाओं में बाजार पहुँच की माँग कर रहा है।
- UK प्रस्तावित द्विपक्षीय निवेश संधि में ‘सनसेट खंड’ और
- डेटा स्थानीयकरण व अपने नए कार्बन कर विनियमों की मान्यता पर अधिक लचीलापन चाहता है।
कार्बन बॉर्डर एडजस्टमेंट मैकेनिज़्म (CBAM)
- यह एक प्रस्तावित पर्यावरण कर है, जिसका उद्देश्य
- UK में आयातित वस्तुओं पर एक कार्बन मूल्य निर्धारण लागू करना है।
- इसका आधार उन वस्तुओं के उत्पादन के दौरान उत्पन्न कार्बन उत्सर्जन होगा।
- यह घरेलू उत्पादकों (जो UK के कठोर जलवायु नियमों का पालन करते हैं) और
- कमज़ोर या गैर-मौजूद कार्बन मूल्य निर्धारण वाले देशों के निर्यातकों के बीच संतुलन स्थापित करने के लिए बनाया गया है।
CBAM और भारत की चिंताएँ
- UK का CBAM मसौदा1 जनवरी, 2027 से प्रभावी होगा,
- जो सीमेंट, स्टील, एल्यूमीनियम, उर्वरक, हाइड्रोजन जैसे उच्च-उत्सर्जन आयातों पर कर लगाएगा।
- उत्सर्जन गणना यूके की घरेलू उत्सर्जन व्यापार योजना का अनुसरण करेगी।
- भारत की चिंता: CBAM जलवायु वार्ताओं में ‘सामान्य लेकिन विभेदित जिम्मेदारियों’ (CBDR) के सिद्धांत को कमजोर करता है।
भारत की CBAM पर प्रतिक्रिया
- भारत ने “रीबैलेंसिंग मैकेनिज़्म” का प्रस्ताव रखा है,
- जिसके अंतर्गत यूके को भारत के उद्योगों को कार्बन कर से हुई हानि की पूर्ति करनी होगी।
- भारत ने यह बल दिया कि इसका कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग स्कीम (CCTS)
- जो निष्क्रिय उत्सर्जन स्तरों के बजाय उत्सर्जन तीव्रता पर आधारित है,
- एक विकासशील अर्थव्यवस्था के लिए अधिक उपयुक्त है।
आगे की राह
- यह सुनिश्चित करने के लिए कि FTA लाभ CBAM जैसे गैर-शुल्क बाधाओं से प्रभावित न हों,
- भारत को मजबूती और रणनीतिक रूप से बातचीत करनी होगी।
- भारत को CBDR सिद्धांत का समर्थन जारी रखनी चाहिए और
- जलवायु-संबंधी व्यापार उपायों में विभेदित उपचार की माँग करनी चाहिए।
- संस्थागत तंत्र जैसे प्रस्तावित रीबैलेंसिंग क्लॉज़ और
- प्रभावी विवाद निपटान रूपरेखाएँ अंतिम समझौते में शामिल की जानी चाहिए,
- ताकि दोनों पक्षों के हितों की रक्षा हो सके।
Source: IE