भारत की प्रथम वाणिज्यिक सेमीकंडक्टर फैब इकाई

पाठ्यक्रम: GS3/अर्थव्यवस्था

संदर्भ

  • इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन (ISM), टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स और टाटा सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग ने गुजरात के धोलेरा में भारत के प्रथम वाणिज्यिक सेमीकंडक्टर फैब के लिए राजकोषीय सहायता समझौते (FSA) पर हस्ताक्षर किए।

समाचार के बारे में अधिक जानकारी

  • ताइवान की पावरचिप ऑटोमोटिव, कंप्यूटिंग, संचार और AI बाजारों पर ध्यान केंद्रित करते हुए सहयोग कर रही है।
    • इससे ताइवान की फैब निर्माण कंपनियाँ गुजरात की ओर आकर्षित होंगी।
  • 11 बिलियन डॉलर की टाटा-PSMC फैब इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन (ISM) के अंतर्गत स्वीकृत पाँच सेमीकंडक्टर परियोजनाओं में से एक है।
  • चार अतिरिक्त सेमीकंडक्टर परियोजनाएँ निर्माणाधीन हैं, जिनमें माइक्रोन, टाटा, CG पावर (रेनेसास के साथ) और केनेस सेमीकॉन शामिल हैं।
  • यह समझौता सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले निर्माण में भारत की आत्मनिर्भरता को मजबूत करता है।

सेमीकंडक्टर्स क्या हैं?

  • अर्धचालकों में कंडक्टर (धातु) और इन्सुलेटर (रबर) के बीच विद्युत गुण होते हैं।
    • वे कुछ स्थितियों में विद्युत का संचालन करते हैं और अन्य स्थितियों में इन्सुलेटर के रूप में कार्य करते हैं।
  • प्रायः सिलिकॉन या जर्मेनियम से बने अर्धचालकों को एकीकृत सर्किट (IC) या माइक्रोचिप्स के रूप में भी जाना जाता है।
    • डोपिंग में सामग्री की चालकता को बदलने के लिए अशुद्धियाँ मिलाना शामिल है।
  • अनुप्रयोग: अर्धचालकों का उपयोग विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में किया जाता है, जिसमें ट्रांजिस्टर भी शामिल हैं, जो स्विच या एम्पलीफायर के रूप में कार्य करते हैं।
    • वे कंप्यूटर, सेल फोन, सौर सेल, LEDs और एकीकृत सर्किट में महत्त्वपूर्ण हैं।

सेमीकंडक्टर विनिर्माण का महत्त्व

भारत सेमीकंडक्टर मिशन (ISM) (2021)
– यह डिजिटल इंडिया कॉरपोरेशन के अन्दर एक समर्पित व्यवसाय प्रभाग के रूप में कार्य करता है।
उद्देश्य: भारत में एक मजबूत सेमीकंडक्टर पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करना, आयात पर निर्भरता कम करना और तकनीकी आत्मनिर्भरता को मजबूत करना।
सरकारी सहायता: भारत सरकार ने ISM के अंतर्गत पात्र परियोजना लागतों के लिए 50% राजकोषीय सहायता देने की प्रतिबद्धता जताई है।
वैश्विक सहयोग: यह मिशन ताइवान की पॉवरचिप और माइक्रोन टेक्नोलॉजी जैसी अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों के साथ सहयोग को प्रोत्साहित करता है।
PLI (प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव) योजना
– 4%-6% प्रोत्साहन के साथ घरेलू चिप विनिर्माण को प्रोत्साहित करता है।
SPECS (इलेक्ट्रॉनिक घटकों और अर्धचालकों के विनिर्माण को बढ़ावा देने की योजना)
– इलेक्ट्रॉनिक घटकों और अर्धचालकों का समर्थन करता है

सेमीकंडक्टर विनिर्माण में चुनौतियाँ

सेमीकंडक्टर विनिर्माण में चुनौतियाँ

सेमीकंडक्टर पर अधिक ध्यान क्यों दिया जा रहा है?

  • सामरिक महत्त्व: अर्धचालक अर्थव्यवस्था, प्रौद्योगिकी, रक्षा और औद्योगिक विकास के लिए महत्त्वपूर्ण हैं।
सेमीकंडक्टर पर अधिक ध्यान
  • आपूर्ति शृंखला की कमज़ोरी: 2021 में चिप की कमी ने कुछ प्रमुख आपूर्तिकर्त्ताओं पर वैश्विक निर्भरता को प्रकट किया। 
  • ताइवान का प्रभुत्व: ताइवान विश्व का सबसे बड़ा चिप निर्माता है, जो उत्पादन के एक बड़े हिस्से को नियंत्रित करता है। 
  • भारत की महत्त्वाकांक्षा: भारत का लक्ष्य सेमीकंडक्टर निर्माण में एक महत्त्वपूर्ण अभिकर्त्ता बनना है। 
  • भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा: चीन के साथ बढ़ते तनाव के कारण देश चिप उत्पादन में विविधता लाने के लिए प्रेरित हो रहे हैं।

आगे की राह

development process

Source: IE