राजस्थान में ‘अवैध’ धर्मांतरण के विरुद्ध विधेयक

पाठ्यक्रम: GS 2/शासन व्यवस्था

समाचार में

  • हाल ही में राजस्थान सरकार ने बलपूर्वक, धोखाधड़ी या प्रलोभन से किए जाने वाले धर्म परिवर्तन को रोकने के लिए एक विधेयक प्रस्तुत किया।

परिचय

  • राजस्थान में धर्मांतरण विरोधी कानून लाने का प्रथम प्रयास 2006 में किया गया था, लेकिन विरोध के कारण राष्ट्रपति ने इसे वापस लौटा दिया था।
  • 2017 में राजस्थान उच्च न्यायालय ने कानून के अभाव में जबरन धर्मांतरण को रोकने के लिए दिशानिर्देश जारी किए थे।
  • नया विधेयक मध्य प्रदेश और उत्तराखंड जैसे राज्यों में पहले से वर्तमान धर्मांतरण विरोधी कानूनों की तर्ज पर बनाया गया है।

प्रमुख प्रावधान

  • गैरकानूनी धर्मांतरण: इसमें जबरदस्ती, बल, प्रलोभन (नकद, लाभ, आदि) या धोखाधड़ी के माध्यम से धर्मांतरण शामिल है।
  • साक्ष्य का भार: आरोपी व्यक्ति को यह सिद्ध करना होगा कि धर्मांतरण गैरकानूनी तरीके से नहीं किया गया था।
  • FIR दर्ज करना: पीड़ित के रक्त संबंधी (माता-पिता, भाई-बहन आदि) संदिग्ध मामलों में FIR दर्ज करा सकते हैं।
  • दंड:
    • सामान्य गैरकानूनी धर्मांतरण: 1 से 5 वर्ष की जेल, 15,000 रुपये का जुर्माना।
      • नाबालिग, महिला या SC/ST का धर्म परिवर्तन: 2 से 10 वर्ष की जेल, 25,000 रुपये का जुर्माना।
    • सामूहिक धर्मांतरण: 3 से 10 वर्ष की जेल, 50,000 रुपये का जुर्माना।
    • बार-बार अपराध करने वालों को प्रत्येक अपराध के लिए दोगुनी सजा का सामना करना पड़ता है।
    • सभी अपराध संज्ञेय एवं गैर-जमानती हैं।
  • स्वैच्छिक धर्मांतरण प्रक्रिया: धर्मांतरण करने वाले को एक घोषणा पत्र भरना होगा और उसे 60 दिन पूर्व जिला मजिस्ट्रेट (DM) को प्रस्तुत करना होगा।
    • समारोह के लिए DM को एक माह पूर्व सूचना देनी होगी।
    • धर्मांतरण समारोह आयोजित करने वाले व्यक्ति को भी 30 दिन पूर्व DM को सूचित करना होगा।
    • एक अधिकारी धर्मांतरण के इरादे और उद्देश्य की जाँच करेगा।
    • धर्मांतरण की घोषणा DM के पास दर्ज की जानी चाहिए, जिसमें धर्मांतरित व्यक्ति की पहचान, धर्मांतरण से पूर्व और पश्चात् का धर्म आदि जैसे विवरण सम्मिलित होने चाहिए।
    • सत्यापन के लिए घोषणा के 21 दिनों के अंदर रूपांतरण को DM के समक्ष प्रस्तुत किया जाना चाहिए।

विधेयक की आवश्यकता और उद्देश्य

  • सरकार का दावा है कि कई साधारण  व्यक्तियों का अवैध तरीके से धर्म परिवर्तन किया जा रहा है।
  • विधेयक का उद्देश्य धार्मिक स्वतंत्रता और धोखाधड़ी से धर्मांतरण को रोकने के बीच संतुलन स्थापित करना है।
  • इसका उद्देश्य बलपूर्वक धर्मांतरण तथा दबाव, बल, प्रलोभन या धोखाधड़ी के माध्यम से धर्मांतरण को रोकना था।
क्या आप जानते हैं?
– संविधान सभा ने धर्म के प्रचार-प्रसार के अधिकार को मौलिक अधिकारों के भाग के रूप में शामिल करने पर चर्चा की।
– कुछ सदस्य इस बात से चिंतित थे कि प्रचार करने के अधिकार के कारण बलपूर्वक धर्मांतरण हो सकता है, और वे “प्रचार करना” शब्द के स्थान पर “निजी रूप से अभ्यास करना” शब्द रखना चाहते थे।
– अनुच्छेद 25(1) सभी व्यक्तियों को अंतःकरण की स्वतंत्रता एवं धर्म को मानने, आचरण करने और प्रचार करने का अधिकार देता है।
1. यह सभी को समान धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी देता है, लेकिन सार्वजनिक व्यवस्था, नैतिकता और स्वास्थ्य के हित में कुछ सीमाओं के साथ।

Source :IE