पाठ्यक्रम: GS2/ अंतर्राष्ट्रीय संबंध
संदर्भ
- अमेरिकी सरकार वर्तमान में चाबहार बंदरगाह परियोजना के लिए भारत को दी गई प्रतिबंध छूट की समीक्षा कर रही है, जिससे मध्य एशिया के साथ भारत की संपर्क योजनाओं पर प्रभाव पड़ सकता है।
पृष्ठभूमि
- संयुक्त राज्य अमेरिका ने ईरान पर कई दौर के प्रतिबंध लगाए हैं, जिनमें मुख्य रूप से उसके परमाणु कार्यक्रम और आर्थिक गतिविधियों को लक्ष्य बनाया गया है।
- चाबहार के लिए अमेरिकी प्रतिबंधों में छूट: अमेरिका ने चाबहार में भारत की भागीदारी के लिए छूट प्रदान की। छूट के प्रमुख पहलू निम्नलिखित हैं:
- प्रथम छूट: 2018 में अमेरिका ने भारत को चाबहार से संबंधित प्रतिबंधों से छूट दी थी, तथा इसके मानवीय और क्षेत्रीय संपर्क लाभों को स्वीकार किया था।
- नवीनीकृत छूट: आगे और छूट प्रदान की गई, जिससे शहीद बेहेश्ती टर्मिनल और संबंधित कनेक्टिविटी परियोजनाओं पर भारतीय परिचालन जारी रहना सुनिश्चित हो गया।
भारत पर अमेरिकी प्रतिबंधों का प्रभाव
- विकास में संभावित व्यवधान: नए अमेरिकी निर्देश चाबहार बंदरगाह पर भारत की परिचालन जारी रखने की क्षमता को प्रतिबंधित करते हैं।
- ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंधों के बावजूद, बढ़ते वैश्विक दबाव के बीच भारत रूस से तेल आयात करना जारी रख रहा है।
- व्यापार और संपर्क पर प्रभाव: 2018 से, बंदरगाह ने 90,000 से अधिक TEU (बीस-फुट समतुल्य इकाइयाँ) कंटेनर यातायात और 8.4 मिलियन मीट्रिक टन से अधिक कार्गो को संभाला है।
- कोई भी प्रतिबंध आगे की प्रगति में बाधा उत्पन्न करेगा।
- ईरान के साथ व्यापार में गिरावट: पहले के प्रतिबंधों के कारण ईरान के साथ भारत के व्यापार में उल्लेखनीय गिरावट आई है।
- 2018-19 में ईरान से भारत का आयात 13 बिलियन डॉलर का था, जिसमें मुख्य रूप से कच्चा तेल शामिल था। हालाँकि, 2019 के बाद, आयात सालाना 1 बिलियन डॉलर से भी कम हो गया।
चाबहार बंदरगाह – ईरान का चाबहार बंदरगाह ओमान की खाड़ी में स्थित है और यह देश का एकमात्र समुद्री बंदरगाह है। 1. यह सिस्तान और बलूचिस्तान प्रांत के चाबहार शहर में स्थित है। – चाबहार में दो बंदरगाह हैं; शाहिद कलंतरी और शाहिद बेहेश्ती। 1. यह एक पुराना बंदरगाह है, जिसमें फीडर जहाजों के लिए सीमित जलक्षेत्र है। 2. शहीद बेहेश्ती बंदरगाह का विकास चार चरणों में किया जा रहा है। सभी चार चरणों के पूरा होने पर बंदरगाह की क्षमता 82 मिलियन टन प्रति वर्ष हो जाएगी। |

भारत के लिए चाबहार बंदरगाह का महत्त्व
- सामरिक महत्त्व: चाबहार बंदरगाह भारत को पाकिस्तान को दरकिनार करते हुए अफगानिस्तान और मध्य एशिया तक सीधा व्यापार मार्ग प्रदान करता है।
- यह भारत की क्षेत्रीय उपस्थिति को मजबूत करता है और चीन की बेल्ट एंड रोड पहल का विकल्प प्रस्तुत करता है।
- आर्थिक लाभ: यह बंदरगाह अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे (INSTC) के माध्यम से व्यापार को सुगम बनाता है, जिससे परिवहन लागत और समय में कमी आती है।
- आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 में शहीद बेहेश्ती टर्मिनल पर जहाज यातायात में 43% और कंटेनर यातायात में 34% की वृद्धि की सूचना दी गई।
- भारत का निवेश: 2024 के समझौते के अंतर्गत, इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (INSTC) ने बंदरगाह को सुसज्जित करने के लिए 120 मिलियन डॉलर देने की प्रतिबद्धता व्यक्त की है। इसके अतिरिक्त, भारत ने चाबहार से जुड़े बुनियादी ढाँचे के विकास के लिए 250 मिलियन डॉलर की ऋण सुविधा भी प्रदान की है।
आगे की राह
- भारत ने अमेरिका और ईरान दोनों के साथ अपने सामरिक संबंधों को संतुलित रखा है, लेकिन चाबहार छूट को रद्द करने की संभावना कूटनीतिक चुनौती बन सकती है।
- इसके क्षेत्रीय महत्त्व के कारण, चाबहार में भारत का निरंतर निवेश मध्य एशिया और अफगानिस्तान में दीर्घकालिक संपर्क एवं आर्थिक हितों के लिए आवश्यक है।
- चाबहार बंदरगाह का विकास भारत की विदेश नीति और क्षेत्रीय पहुँच के लिए महत्त्वपूर्ण बना हुआ है, जिसके लिए अमेरिका और ईरान दोनों के साथ सावधानीपूर्वक कूटनीतिक वार्ता की आवश्यकता है।
Source: ET
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