पाठ्यक्रम: GS3/अर्थव्यवस्था
संदर्भ
- आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 में “मजबूत संस्थानों” के निर्माण का आह्वान किया गया है, जो श्रमिकों को मध्यम और उच्च-कुशल रोजगारों में स्थानांतरित करने में सहायता कर सकते हैं, जहां AI उन्हें बदलने के बजाय उनके प्रयासों को बढ़ा सकता है।
प्रमुख विशेषताएँ
- कार्य का भविष्य ‘संवर्धित बुद्धिमत्ता’ के आस-पास घूमता है, जहां कार्यबल मानव और मशीन दोनों क्षमताओं को एकीकृत करता है।
- अपनी युवा, गतिशील एवं तकनीक-प्रेमी जनसंख्या का लाभ उठाकर, भारत में ऐसा कार्यबल तैयार करने की क्षमता है जो अपने कार्य और उत्पादकता को बढ़ाने के लिए AI का उपयोग कर सकता है।
- गुणवत्ता बढ़ाना: भारत की रोजगार संबंधी चुनौती संख्या की नहीं है, बल्कि कार्यबल की समग्र गुणवत्ता बढ़ाने की भी है।
- सेवा-उन्मुख अर्थव्यवस्था: भारत की अर्थव्यवस्था अत्यंत सीमा तक सेवा-उन्मुख है, तथा इसके IT कार्यबल का एक महत्त्वपूर्ण भाग कम मूल्य-वर्धित सेवाओं में लगा हुआ है।
- ये भूमिकाएँ विशेष रूप से स्वचालन के प्रति संवेदनशील हैं, तथा जनसंख्या का एक बड़ा भाग अपनी आजीविका के लिए इन रोजगारों पर निर्भर है।
- चुनौती यह सुनिश्चित करने में है कि AI के लाभ कार्यबल, विशेष रूप से कमजोर स्थिति वाले लोगों की कीमत पर न आएँ।
उठाए जाने वाले कदम
- सर्वेक्षण में इस परिवर्तन के लिए आवश्यक तीन प्रकार की संस्थाओं की पहचान की गई है: सक्षम संस्थाएँ, बीमा संस्थाएँ, और प्रबंधन संस्थाएँ।
- ये संस्थाएँ कार्यबल को कुशल बनाने में सहायता करेंगी, उन्हें मध्यम और उच्च कौशल वाली रोजगारों के लिए तैयार करेंगी, जहां AI उनकी क्षमताओं को बढ़ा सकता है न कि उनका स्थान ले सकता है।
- सक्षम संस्थाओं को शामिल करते हुए सामाजिक अवसंरचना,
- मध्यम और उच्च कौशल वाली रोजगारों के लिए कार्यबल को आगे बढ़ाने में सहायता के लिए संस्थानों एवं प्रबंधन संस्थानों का बीमा करना।
- इसलिए भारत को सरकार, निजी क्षेत्र और शिक्षा जगत के बीच त्रिपक्षीय समझौते के माध्यम से मजबूत संस्थानों के निर्माण की प्रक्रिया में तेजी लानी होगी।
चुनौतियाँ
- व्यावहारिकता और विश्वसनीयता मुख्य मुद्दे हैं जिन पर डेवलपर्स को ध्यान देने की आवश्यकता है।
- AI को स्केलिंग के लिए महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे की भी आवश्यकता होती है, जिसके निर्माण में समय लगता है।
- AI मॉडलों को प्रदर्शन से समझौता किए बिना दक्षता में वृद्धि को लक्ष्य बनाना होगा।
सुझाव
- नीति निर्माताओं को नवाचार और सामाजिक लागत के बीच संतुलन बनाना होगा, क्योंकि श्रम बाजार में AI से प्रेरित बदलावों के दीर्घकालिक प्रभाव हो सकते हैं।
- कॉर्पोरेट क्षेत्र को भी जिम्मेदारी से काम करना चाहिए तथा भारत की आवश्यकताओं के प्रति संवेदनशीलता के साथ AI की शुरूआत करनी चाहिए।
- सरकार, निजी क्षेत्र और शिक्षा जगत के बीच सहयोगात्मक प्रयास आवश्यक है।
आगे की राह
- AI, जो अभी अपने प्रारंभिक चरण में है, भारत को चुनौतियों से निपटने, अपनी नींव को मजबूत करने और देशव्यापी संस्थागत प्रतिक्रिया जुटाने का अवसर प्रदान करता है।
- देश की मुख्यतः सेवा-संचालित अर्थव्यवस्था, तथा इसकी युवा एवं गतिशील जनसंख्या, उभरती प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाने के लिए उपजाऊ जमीन प्रदान करती है।
- चूंकि भारत AI क्रांति के बिन्दु पर खड़ा है, आर्थिक सर्वेक्षण नीति निर्माताओं से नवाचार को बढ़ावा देने और सामाजिक लागतों को संबोधित करने के मध्य संतुलन बनाने का आग्रह करता है।
Source: PIB
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